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भारत की बढ़ी चिंता: Islamophobia पर यूएन में Pakistan का प्रस्ताव पारित, इमरान खान ने दी बधाई
Islamophobia: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 मार्च को इस्लामोफोबिया विरोधी दिवसमनाने का प्रस्ताव पारित किया है। ये प्रस्ताव पाकिस्तान द्वारा लाया गया था और मुख्य रूप से 55 मुस्लिम देशों द्वारा प्रायोजित था।
Islamophobia: संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने 15 मार्च को इस्लामोफोबिया विरोधी दिवस (Anti-Islamophobia Day) मनाने का प्रस्ताव पारित किया है। ये प्रस्ताव पाकिस्तान (Pakistan) द्वारा लाया गया था और मुख्य रूप से 55 मुस्लिम देशों द्वारा प्रायोजित था। इस्लामिक सहयोग संगठन (organization of islamic cooperation) के 57 सदस्यों के अलावा, चीन और रूस सहित आठ अन्य देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। पाकिस्तान ने जहां इसका स्वागत किया वहीं भारत ने इस पर चिंता जताई है।
ये प्रस्ताव धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता के अधिकार पर जोर देता है और 1981 के एक संकल्प को याद करता है जिसमें "सभी प्रकार के असहिष्णुता और भेदभाव के उन्मूलन का आह्वान किया गया था। प्रस्ताव पेश करते हुए संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम (Pakistan Ambassador Munir Akram) ने कहा कि इस्लामोफोबिया एक वास्तविकता है और यह प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसे दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने महासभा में कहा कि मुसलमान व्यक्तियों और समुदायों के प्रति भेदभाव, शत्रुता और हिंसा के ऐसे कार्य, उनके मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हैं। यह उनके धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं। संकल्प को अपनाने के बाद संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों, उसके सहयोगियों, अन्य क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय संगठनों, नागरिक समाज, निजी क्षेत्र और धार्मिक संगठनों को वैश्विक स्तर पर यह दिवस मनाने के लिए आमंत्रित किया गया है।
भारत की चिंता
भारत (India) ने प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि एक विशेष धर्म का डर इस स्तर पर पहुंच गया है कि उसे एक अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने की आवश्यकता पड़ गई है। हालांकि, तथ्य यह है कि अन्य धर्मों, विशेष रूप से हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और सिखों के खिलाफ भय का माहौल बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति (Ambassador of India TS Tirumurti) ने कहा कि इस्लामोफोबिया (Islamophobia) पर प्रस्ताव पारित होने के बाद अन्य धर्मों पर भी इसी तरह के प्रस्ताव पारित किए जा सकते हैं और संयुक्त राष्ट्र एक धार्मिक मंच बन सकता है।
उन्होंने कहा इसलिए इस संकल्प को एक उदाहरण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। तिरुमूर्ति ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को ऐसे धार्मिक मुद्दों से दूर रहना चाहिए। ऐसा संकल्प दुनिया को एक परिवार के रूप में देखने के बजाय विभाजित कर सकता है और हमें शांति और सद्भावना के मंच पर एक साथ लाने के बजाय बांट सकता है।
इमरान खान ने दी बधाई
इस्लामोफोबिया (Islamophobia) के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Pak PM Imran Khan) ने मुस्लिम सुमदाय को बधाई दी और ट्वीट किया, कि संयुक्त राष्ट्र ने आखिरकार आज दुनिया के सामने प्रमुख चुनौतियों को स्वीकार कर लिया है, जैसे इस्लामोफोबिया, धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सम्मान, संगठित नफरत और मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव के खिलाफ लड़ाई। इस ऐतिहासिक संकल्प का पालन सुनिश्चित करना अब अगली परीक्षा है।
यूएन में फ्रांस के स्थायी प्रतिनिधि निकोलस डी रिवेरे ने भी इस प्रस्ताव पर अपना मत रखते हुए कहा कि इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने वाला प्रस्ताव सभी तरह के भदभाव के खिलाफ लड़ाई का जवाब नहीं देता है। उन्होंने सवाल किया कि क्या हमें हर धर्म को समर्पित करने के लिए दिनों को तय करने की उम्मीद करनी चाहिए? इन सभी मांगों को पूरा करने के लिए साल में पर्याप्त दिन नहीं हो सकते हैं।
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