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पाक का फिर कश्मीर राग, संबंध सामान्य बनाने के प्रयासों को झटका

पाकिस्तान ने कहा कि जब तक भारत अनुच्छेद 370 को बहाल नहीं कर देता, तब तक दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।

Shreya
Published on: 2 April 2021 5:37 AM GMT
पाक का फिर कश्मीर राग, संबंध सामान्य बनाने के प्रयासों को झटका
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पाक का फिर कश्मीर राग, संबंध सामान्य बनाने के प्रयासों को झटका (फोटो- सोशल मीडिया)

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: भारत से चीनी और कपास के आयात के फैसले को 24 घंटे के भीतर ही पलटने के बाद पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा है। दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार के संकेतों को पाकिस्तान की नई शर्त से करारा झटका लगा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का कहना है कि जब तक भारत जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को बहाल नहीं कर देता, तब तक दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते।

पाक के विदेश मंत्री के इस बयान से साफ हो गया है कि दोनों देशों के बीच रिश्तो की बहाली आसान काम नहीं है क्योंकि भारत हमेशा से यह बात दोहराता रहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसमें दखल देने का पाकिस्तान को कोई अधिकार नहीं है।

इमरान सरकार ने पलटा फैसला

पाकिस्तान की आर्थिक समन्वय समिति ने भारत से कपास और चीनी के आयात के निर्णय को मंजूरी दी थी मगर इमरान खान की सरकार ने 24 घंटे के भीतर ही भारत से कपास और चीनी के आयात के फैसले को पलट दिया। सियासी जानकारों का कहना है कि इस बाबत विपक्षी दलों की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद इमरान सरकार कदम वापस खींचने पर मजबूर हो गई।

जानकारों का कहना है कि रमजान के मौके पर लोगों को सस्ती चीनी मुहैया कराने व कपड़ा उद्योग को संकट से उबारने के लिए पाकिस्तान की आर्थिक समन्वय समिति ने भारत से आयात करने का फैसला लिया था मगर कट्टरपंथियों और सेना के दबाव में इमरान सरकार ने इस फैसले को खारिज कर दिया।

(फोटो- सोशल मीडिया)

विपक्ष के दबाव में सरकार का यूटर्न

भारत से कारोबारी रिश्ते बहाल करने के फैसले पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी। कई नेताओं ने इमरान खान के फैसले को जम्मू-कश्मीर के मामले पर समझौता करना बताया था। पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज ने इमरान सरकार को घेरते हुए सवाल खड़ा किया था कि क्या भारत ने कश्मीर विवाद को लेकर अपना रुख बदल लिया है? पार्टी ने सवाल किया कि अगर ऐसा नहीं है तो इमरान खान की सरकार ने यू-टर्न क्यों ले लिया।

विपक्ष ने इमरान सरकार पर देश के हितों की चिंता न करने और भारत के आगे झुकने का आरोप भी लगाया था। जानकारों के मुताबिक विपक्ष की घेरेबंदी के बाद इमरान आयात का फैसला वापस लेने पर मजबूर हुए।

आयात के फैसले पर लगाई रोक

इमरान सरकार के फैसले के बाद विदेश मंत्री महमूद कुरैशी ने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने भारत से कपास और चीनी आयात के फैसले पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब तक भारत 5 अगस्त, 2019 के फैसले को वापस नहीं लेता तब तक भारत के साथ सामान्य रिश्ते बहाल करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। कुरैशी के इस बयान के बाद साफ हो गया है कि पिछले कुछ दिनों से दोनों देशों के रिश्ते पटरी पर आने के संकेत महज ख्याली पुलाव ही थे।

जबर्दस्त दबाव में इमरान सरकार

जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान ऐसा देश है जिस पर कभी आसानी से भरोसा नहीं किया जा सकता। आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान काफी बदहाली झेल रहा है और देश में जरूरी सामानों की कीमतें आसमान छू रही हैं मगर कश्मीर मुद्दे पर सियासी दलों की घेरेबंदी से इमरान खान एक बार फिर अपना फैसला पलटने पर मजबूर हुए हैं। सरकार इस मसले को लेकर जबर्दस्त दबाव में थी और आखिरकार वही हुआ जिसकी उम्मीद जताई जा रही थी।

भारत के साथ कोई व्यापार नहीं

पाकिस्तान में मानवाधिकार मामलों की मंत्री शिरीन मजारी ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद ट्वीट किया कि मंत्रिमंडल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत के साथ कोई व्यापार नहीं होगा। मजारी को कश्मीर को लेकर कट्टर रुख के लिए जाना जाता है। वह कश्मीर मुद्दे को लेकर हमेशा भारत के खिलाफ टिप्पणियां करती रही हैं।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी ने कहा कि मीडिया में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि भारत के साथ संबंध सामान्य हो गए हैं और व्यापार बहाल हो गया है, लेकिन प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल की सर्वसम्मत राय है कि जब तक भारत 5 अगस्त 2019 की एकतरफा कार्रवाई को वापस नहीं ले लेगा तब तक भारत के साथ संबंध सामान्य होना कतई संभव नहीं है।

रिश्तों की बहाली आसान काम नहीं

जम्मू कश्मीर का विरोध विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद दोनों देशों में व्यापार पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है। पाकिस्तान 5 अगस्त 2019 के बाद से लगातार अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग करता रहा है जबकि भारत कई बार यह बात साफ कर चुका है कि जम्मू-कश्मीर भारत का घरेलू मामला है और दूसरे देशों को इस मामले में टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान की ओर से एक बार फिर कश्मीर का राग अलापे जाने से साफ हो गया है कि दोनों देशों के रिश्तों की बहाली आसान काम नहीं है।


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