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Pakistan Economic Crisis: श्रीलंका से भी बुरे हालात में फंसा पाकिस्तान

Pakistan Economic Crisis: श्रीलंका जैसा आर्थिक संकट अब पाकिस्तान को अपने शिकंजे में ले चुका है। पाकिस्तान के पास नकदी की भारी कमी है। वहीं, विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो चला है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 21 Dec 2022 7:56 AM IST
Pakistan Economic Crisis
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Pakistan Economic Crisis। (Social Media)

Pakistan Economic Crisis: श्रीलंका जैसा आर्थिक संकट अब पाकिस्तान को अपने शिकंजे में ले चुका है। पाकिस्तान के पास नकदी की भारी कमी है, तेल खरीदने का पैसा नहीं है, विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो चला है। ऊपर से विदेश से कामगारों द्वारा भेजे जाने वाले धन में कमी आ गई है, धान, गेहूँ, कपास जैसी महत्वपूर्ण फसलें काफी प्रभावित हुईं हैं। आलम ये है कि पाकिस्तान पर 78,319 मिलियन डॉलर का विदेशी कर्जा है और वर्तमान स्थिति उसे और भी कर्जा लेने की ओर धकेल रही है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पटरी पर आने के लिए कर रही संघर्ष

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट 'एशियन डेवलपमेंट आउटलुक 2022 सप्लीमेंट' में भविष्यवाणी की है कि जून 2023 में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए पाकिस्तान का आर्थिक भविष्य भारी बाढ़ के कारण बहुत खराब हो गया है जबकि अर्थव्यवस्था पटरी पर आने के लिए संघर्ष कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल की अभूतपूर्व बाढ़ का पाकिस्तान के स्थानीय उद्योगों - विशेष रूप से कपड़ा और फ़ूड प्रोसेसिंग पर पड़ा है। यही नहीं, थोक व्यापार, परिवहन और सर्विस सेक्टर भी प्रभावित है।

पाकिस्तान के राजनयिक मिशन कर रहा गंभीर वित्तीय संकट का सामना

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) द्वारा रखा गया विदेशी मुद्रा भंडार 2 दिसंबर को 1 अरब अमेरिकी डॉलर के सुकुक बांड के भुगतान के बाद 784 मिलियन अमेरिकी डॉलर गिरकर 6.715 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर आ गया। यह जनवरी 2019 के बाद से सबसे निचला स्तर है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, एसबीपी और वित्त मंत्रालय द्वारा साख पत्र सहित सभी भुगतान रोक दिए जाने के बाद कई देशों में पाकिस्तान के राजनयिक मिशन गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। यूरोपीय संघ और दुनिया भर में पाकिस्तान के मिशनों ने इस्लामाबाद में विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वे जल्द से जल्द वेतन और भत्ते जारी करें।

नवंबर में विदेश से भेजे जाने वाले धन में 14 फीसदी की आई गिरावट

दूसरी ओर, इस साल नवंबर में विदेश से भेजे जाने वाले धन में 14 फीसदी की गिरावट आई है। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों के दौरान पैसे के फ्लो में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। एसबीपी ने एक नया डेटा जारी किया है जो बताता है कि विदेश से भेजा जाने वाली रकम नवंबर में गिरकर 2.1 अरब डॉलर हो गई जो पिछले साल इसी महीने के दौरान 2.5 अरब डॉलर थी। पाकिस्तान में डॉलर की कीमत 224.71 पाकिस्तानी रुपया हो गई है।

पाकिस्तान के डिफ़ॉल्ट की ओर बढ़ने की संभावना बढ़ गई: पूर्व वित्त मंत्री

पूर्व वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान के डिफ़ॉल्ट की ओर बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। जाहिर है, पाकिस्तान की समस्याओं का कोई तत्काल समाधान नहीं है। इसके अतिरिक्त, वर्तमान ऊर्जा संकट और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों का पाकिस्तान में स्थानीय आबादी, विशेष रूप से छोटे व्यवसायों पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। पाकिस्तान पर आने वाले महीनों में आम चुनाव कराने का वित्तीय बोझ पड़ने वाला है। देश की आर्थिक स्थिति के लिए जहां इमरान खान वर्तमान सरकार को कोस रहे हैं वहीं शाहबाज़ शरीफ सरकार और उनकी पार्टी इमरान खान के शासन को जिम्मेदार ठहरा रही है। इसके अलावा सरकार यूक्रेन युद्ध और बाढ़ को भी दोष दे रही है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की कहानी उसके कर्ज के चरित्र के बिना अधूरी

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की कहानी उसके कर्ज के चरित्र के बिना अधूरी है। पाकिस्तान की आर्थिक चुनौती अगस्त 1947 में आजादी के बाद ही शुरू हो गई थी। लेकिन 1958 में पहले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष कार्यक्रम में प्रवेश करने के बाद से पाकिस्तान कर्ज के जाल से बाहर नहीं आ सका। कुल 22 आईएमएफ कार्यक्रमों के साथ, पाकिस्तान बहुपक्षीय ऋणदाता के तले रहा है। इसके विपरीत, भारत और बांग्लादेश क्रमशः सात और 10 अवसरों पर ही आईएमएफ तक पहुंचे हैं। पाकिस्तान अभी भी अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए बाहरी ऋण पर निर्भर करता है। पिछले 75 वर्षों में, पाकिस्तान ने अक्सर संकट देखे हैं जहाँ उसे राजकोषीय असंतुलन और अपने भुगतान संतुलन पर भारी दबाव का सामना करना पड़ा है। बार-बार, आईएमएफ ने उसे सहायता प्रदान की है, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान ने अर्थव्यवस्था में अल्पकालिक स्थिरता लाने के लिए किया है। आज पाकिस्तान गहरे आर्थिक संकट और कर्जे में डूबा हुआ है और इससे उबरने के कोई संकेत फिलहाल तो दिखाई नहीं पड़ रहे हैं।

Deepak Kumar

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