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पाक को दी जाने वाली आर्थिक सैन्य मदद पर अमेरिका ने लगाई रोक

raghvendra
Published on: 5 Jan 2018 3:10 PM IST
पाक को दी जाने वाली आर्थिक सैन्य मदद पर अमेरिका ने लगाई रोक
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आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बुरी तरह घिर गया है। पाकिस्तान के सबसे बड़े मददगार माने जाने वाला अमेरिका ने अब अपने हाथ खींच लिए हैं और पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सैन्य मदद पर रोक लगा दी है। 255 मिलियन डॉलर (करीब 1626 करोड़ रुपए) की मदद पर रोकने से पाकिस्तान में खलबली मच गयी है। व्हाइट हाउस का कहना है कि इस तरह की मदद का भविष्य इस्लामाबाद द्वारा अपनी जमीन पर मौजूद आतंकियों पर की जाने वाली कार्रवाई पर निर्भर करेगा। अमेरिका के इस कदम से पाकिस्तान को करारा झटका लगा है क्योंकि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर इस मान्यता की पुष्टि हुई है कि वह आतंकवाद को लेकर दोहरा खेल खेल रहा है। एक ओर वह आतंकियों पर कार्रवाई का दम भरता है तो दूसरी ओर आतंकियों को अपने देश में सुरक्षित ठिकाने भी मुहैया कराता है।

अंशुमान तिवारी का विश्लेषण

पाक ने झूठ बोलकर धोखा दिया : ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने साफ तौर पर कहा है कि अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर मौजूद आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। ट्रंप ने पाकिस्तान को पिछले पंद्रह साल में दी गयी आर्थिक मदद का हवाला देते हुए कहा कि इस दौरान पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर (दो लाख दस हजार करोड़ रुपये) की भारी भरकम राशि दी गयी मगर पाकिस्तान ने बदले में अमेरिका से केवल झूठ बोला और उसे धोखा दिया। ट्रंप ने यहां तक कहा कि उसने हमारे नेताओं को बेवकूफ बनाया। पाक ने उन आतंकियों को पनाह दी जिन्हें हम अफगानिस्तान में तलाश रहे थे। यह सिलसिला अब और नहीं चल सकता।

पाकिस्तान को अब अमेरिका से मदद पाने के लिए आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करके दिखानी होगी। पाकिस्तान की कार्रवाई से ही हमारे रिश्तों की दिशा तय होगी जिसमें भविष्य में मिलने वाली सुरक्षा निधि भी शामिल है। ट्रंप का बयान पाकिस्तान को अमेरिका की अब तक की सबसे कड़ी फटकार मानी जा रही है। न्यूयार्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया था कि अमेरिका पाकिस्तान को आर्थिक मदद बंद कर सकता है।

ट्रंप प्रशासन के एक अफसर ने अमेरिका की रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि भविष्य में पाकिस्तान को कोई भी मदद करने से पहले यह देखा जाएगा कि इस्लामाबाद ने आतंकवाद के खिलाफ क्या और कितनी कारगर कार्रवाई की है।

इसके लिए पाकिस्तान को अपनी जमीन पर मौजूद आतंकी पनाहगाहों के खिलाफ नतीजे देने वाली कार्रवाई करनी होगी।उसे अमेरिका की दक्षिण एशिया नीति के हिसाब से एक्शन लेना होगा। इसी एक्शन से अमेरिका और पाकिस्तान के भविष्य के रिश्ते तय होंगे। अफसर ने कहा कि अमेरिका लगातार इस मामले में समीक्षा करता रहेगा।

कई सांसदों ने किया ट्रंप का समर्थन

अमेरिका में पाकिस्तान के आतंकवाद पर दोहरे चेहरे के खिलाफ कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही थी। यही कारण है कि अमेरिका के कई सांसदों ने ट्रंप के पाकिस्तान के खिलाफ सख्त एक्शन का समर्थन किया है। रिपब्लिकन पार्टी के सांसद मार्कवाएन मुलीन ने कहा कि मैं ट्रंप के पाकिस्तान को आर्थिक मदद रोकने के कदम से सहमत हूं। पाकिस्तान को अपना चेहरा साफ करना होगा। उन्हें या तो अमेरिका के साथ होना चाहिए या उसके खिलाफ।

सीनेटर रैंड पॉल ने कहा कि मैं बहुत पहले से सीनेट में यह मांग करता रहा हूं कि हमें पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद बंद कर देनी चाहिए। ट्रंप के इस कड़े फैसले से बहुत फायदा होगा। ट्रंप के बेटे डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे बेहतरीन शुरुआत बताया है। ऐसे मुल्कों को करोड़ों डॉलर देने का कोई मतलब नहीं है जो हमारे खिलाफ दुश्मन पैदा करते हों।

हेली ने कहा-नहीं चलेगा पाक का डबल गेम

ट्रंप के बाद संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने भी पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि आतंकवाद पर अब दोहरा खेल नहीं चलेगा। न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में हेली ने कहा कि पाकिस्तान को आर्थिक मदद रोकने के कारण बिल्कुल स्पष्ट हैं।

पाकिस्तान ने कई वर्षों तक आतंकवाद को लेकर दोहरा खेल खेला है। पाकिस्तान एक ओर हमारे साथ काम करने की बात कहता है तो दूसरी ओर पिछले दरवाजे से आतंकवादियों को पनाह देता है। पाकिस्तान जिन आतंकियों को पनाह देता है वे ही अफगानिस्तान में हमारे सैनिकों पर हमला करते हैं। अमेरिका अब इस दोहरे खेल को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। निक्की ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान से इससे कहीं अधिक सहयोग की उम्मीद करता है।

हेली ने कहा कि पाकिस्तान ने लगातार आतंकियों को मदद देना जारी रखा है। ट्रंप प्रशासन इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के इस दोहरे खेल के कारण ही उसे आर्थिक मदद रोकी गयी है। पाकिस्तान को अब अपना रवैया बदलना होगा।

पाक ने अमेरिका से जताया विरोध

पाकिस्तान ने अमेरिकी राजदूत डेविड हेली को तलब कर ट्रंप के आरोपों पर सख्त नाखुशी जाहिर की। पाकिस्तान की विदेश सचिव तहमीना जंजुआ ने डेविड को बताया कि पाकिस्तान ट्रंप के आरोपों पर सफाई चाहता है। पाकिस्तान सरकार का मानना है कि अमेरिका अफगानिस्तान में अपनी नाकामियों का ठीकरा पाकिस्तान पर ना फोड़े।

आतंकवाद के खिलाफ जंग में पाकिस्तान ने भी बेमिसाल कुर्बानियां दी हैं। इस पर किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए। इस बीच पाकिस्तान में सेना का प्रवक्ता आसिफ गफूर ने कहा कि पाकिस्तान को अमेरिका से जो मदद मिलती है वह उस मदद का मुआवजा है जो इस्लामाबाद अलकायदा के खिलाफ लड़ी जा रही जंग में देता है।

नहीं बर्दाश्त करेंगे अमेरिकी तानाशाही

पाकिस्तान को अमेरिकी मदद रोकने के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने ख्वाजा आसिफ ने कहा कि यदि हमने अमेरिका से पैसा लिया है तो इसमें पाकिस्तान द्वारा दी गई सेवाओं के बदले भुगतान भी शामिल है। ट्रंप अफगानिस्तान में मिली हार से दुखी हैं और इसलिए वह पाकिस्तान पर दोष मढ़ रहे हैं।

हमारी जमीन, रोड, रेल और दूसरी सेवाओं का इस्तेमाल किया गया और इसके बदले पाकिस्तान को भुगतान किया गया। इसका समय-समय पर ऑडिट भी हुआ है। आसिफ ने एक न्यूज चैनल से कहा कि अमेरिका पाकिस्तान के संसाधनों के बल पर अफगानिस्तान में जंग लड़ रहा है और उसी की पाकिस्तान को कीमत चुकाता है।

ट्रंप के नो मोर का कोई महत्व नहीं है। पाकिस्तान अमेरिका की इस तानाशाही को अब नहीं सहेगा। पाकिस्तान को अमेरिकी फंड की जरुरत नहीं है। ट्रंप अपने प्रशासन से पूछें कि पाकिस्तान को फंड क्यों दिया गया। हमें किसी और दूसरे देश के हित की रक्षा नहीं करनी है। हमारी प्राथमिकता पाकिस्तान की भलाई है। हमारा हित उनसे अलग है और हम उनके सहयोगी नहीं बनेंगे।

अमेरिका के कड़े रुख से पाक में हडक़ंप

अमेरिका के कड़े रुख के कारण पाकिस्तान में हडक़ंप मच गया है। ट्रंप प्रशासन के फैसले के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की एक बैठक की जिसमें पूरे मामले पर विचार किया गया। अमेरिका के कदम से पाकिस्तान गहरी मुसीबत में फंस सकता है।

ट्रंप द्वारा पाकिस्तान पर झूठ बोलने व धोखा देने के आरोप के बाद यह बैठक बुलाई गयी थी। बैठक में यह कहा गया कि अमेरिकी नेतृत्व का बयान पूरी तरह से समझ से परे है क्योंकि उसमें तथ्यों का स्पष्ट तौर पर खंडन किया गया है। इससे दोनों देशों के बीच विश्वास को तगड़ा झटका लगा है। इससे पाकिस्तान की ओर से दशकों के दौरान किये गए बलिदानों को नकार दिया गया है। ट्रंप ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि वह आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह मुहैया करा रहा है।

भाजपा ने किया ट्रंप के फैसले का स्वागत

इस बीच भाजपा ने ट्रंप के पाकिस्तान को फटकार लगाने वाले बयान का स्वागत करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर तंज कसा है। पार्टी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने ट्वीट करते हुए पाकिस्तान के लिए टेरेरिस्तान शब्द का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि ट्रंप का यह कहना सही है कि पाकिस्तान धोखेबाज देश है। उन्होंने इसके लिए अमेरिका का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को देखना चाहिए कि पीएम मोदी की कूटनीति के नतीजे अब सामने आ रहे हैं।

हाफिज के मंच पर फलस्तीनी राजदूत

इस बीच फलस्तीन ने पाकिस्तान में मौजूद अपने राजदूत वलीद अबु अली को वापस बुलाने का फैसला किया है। वलीद ने रावलपिंडी के लियाकत बाग में जमात-उद-दावा की एक रैली में शिरकत की थी। वलीद इस रैली में मंच पर आतंकी सरगना और मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के साथ मौजूद थे और उन्होंने भाषण भी दिया था। भारत ने इसे लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी जिसके बाद राजदूत को वापस बुलाने का फैसला किया गया।

भारत में फलस्तीन के राजदूत अदनान अबु अल हाइजा ने कहा कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में हम भारत का समर्थन करते हैं और इसीलिए हमारी सरकार ने पाकिस्तान में मौजूद अपने राजदूत को हटाने का फैसला किया है। हालांकि हाइजा ने यह भी कहा कि हमारे राजदूत नहीं जानते थे कि स्टेज पर उनके साथ कौन शख्स था। हमारे राजदूत का भाषण उसके बाद हुआ था। भाषण देने के बाद हमारे राजदूत वहां से चले गए थे। इसके बावजूद यह बिल्कुल मान्य नहीं है और पाकिस्तानी राजदूत को हटाने का फैसला लिया जा चुका है।

हाइजा ने कहा कि मोदी फलस्तीन के लिए बेहद खास मेहमान हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि वो जल्द ही फलस्तीन का दौरा करेंगे। मालूम हो कि येरूशलम के मुद्दे पर भारत ने फलस्तीन का समर्थन किया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत का मानना है कि फलस्तीनी राजदूत का यह कदम न केवल भारतीय हितों की अनदेखी है बल्कि अंतरराष्ट्रीय तौर पर घोषित एक आतंकवादी का खुला समर्थन भी है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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