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आगे निकला पड़ोसी! पाकिस्तान चुनाव में वो हो रहा, जो भारत में मुश्किल नहीं नामुमकिन है
संजय तिवारी
भारत से ही अलग कर बनाये गए पकिस्तान की राजनीति का बहुत असर भारत पर भी पड़ता है। इस बार वह हो रहे आम चुनाव में 25 जुलाई को वोट डाले जायेंगे। पाकिस्तान में इस बार हो रहे चुनाव की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह आधी आबादी की अधिक से अधिक सहभागिता पर बहुत जोर दिया जा रहा है। महिलाओ को सामान्य सीटों पर भी पांच प्रतिशत टिकट देना अनिवार्य कर दिया गया है।
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पाकिस्तान के चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार आम चुनाव में 10 करोड़ 65 लाख वोटर मतदान करेंगे। यह संख्या 2013 से 2 करोड़ ज्यादा है। इनमें 5.92 करोड़ पुरुष और 4.67 करोड़ महिला वोटर हैं। पुरुषों से महिलावोटर 1.25 करोड़ कम हैं। इस चुनाव में 91 लाख महिलाएं पहली बार वोटिंग करेंगी। 2017 इलेक्शन एक्ट के मुताबिक इस बार हर पार्टी को सामान्य सीटों पर भी कम से कम 5% महिलाओं को टिकट देना अनिवार्य है। अगर पाकिस्तान के निर्वाचन की तुलना भारत से की जाय तो एक अलग ही तस्वीर उभरती है। भारत में सोलहवीं लोक सभा के लिए आम चुनाव 7 अप्रैल से 12 मई 2014 तक 9 चरणों में हुए। मतगणना 16 मई को हुई। इसके लिए भारत की सभी संसदीय क्षेत्रों में वोट डाले गये। यह अब तक के इतिहास में सबसे लंबा कार्यक्रम वाला चुनाव था। भारत के निर्वाचन आयोग के अनुसार 81 . 45 करोड़ मतदाताओं ने का प्रयोग किया था।
नए कानून के तहत किसी भी सीट पर महिलाओं की वोटिंग 10% से कम रही, तो वहां दोबारा चुनाव कराए जाएंगे। पाकिस्तान चुनाव आयोग ने महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया है। कई इलाके ऐसे हैं, जहां पिछले चुनावों में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत काफी कम रहा था। पाकिस्तान संसद की कुल 342 सीटें हैं। इसमें से 60 महिलाओं और 10 सीटें अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं।
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महिलाओं के लिए 60 सीटें आरक्षित:
पाकिस्तान में 2013 में 70 महिलाएं पाक नेशनल असेंबली पहुंचीं थी। इनमें 60 रिजर्व सीटों पर 9 सामान्य और एक अल्पसंख्यक सीट से चुनीं गई थीं। पीएमएल-एन से 39, पीपीपी से 13 महिला सांसद चुनी गई थीं। पाक में बड़ी पार्टियों ने पिछले चुनावों में महिलाओं की रिजर्व और सामान्य सीटों पर 90% टिकट राजनीतिक परिवारों से जुड़ी महिलाओं को दिया है। विश्वभर की संसदों में महिलाओं की संख्या के आधार पर हुए सर्वे में भारत 103वें स्थान पर है, जबकि नेपाल 35वें, अफगानिस्तान 39वें, चीन 53वें, पाकिस्तान 64वें, इंग्लैंड 56वें, अमेरिका 72वें स्थान पर हैं. बांग्लादेश में हर पांच में से एक सांसद महिला है. यहां तक कि सीरिया, रवांडा, नाइजीरिया और सोमालिया आदि की संसदों में भी महिलाओं की हिस्सेदारी भारत से ज्यादा है।
पाकिस्तान से भी पीछे है भारत
फिलहाल भारतीय संसद के दोनों सदनों में 12 प्रतिशत महिलाएं (96) हैं. लोकसभा में 65 और राज्यसभा में 31 है। नेपाल की संसद में कुल 176 सीट हैं और वहां हर तीसरी सीट पर महिला सांसद विराजमान है. अफगानिस्तान के दोनों सदनों में कुल 28 फीसदी महिला (97) हैं, जबकि चीन में निचले सदन में कुल 699 सांसदों में से 24 प्रतिशत महिला हैं. पाकिस्तान में 84 महिलाएं सांसद हैं. इनमें से 21 प्रतिशत निचले और 17 प्रतिशत उच्च सदन में हैं. इंग्लैंड में हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्डस में यह आंकड़ा क्रमश: 23 और 24 फीसदी है. अमेरिका के निचले सदन में 20 प्रतिशत महिलाएं हैं, जबकि उच्च सदन में केवल 20 सांसद हैं. सबसे खराब स्थिति वनुआतू की है, जहां संसद में एक भी महिला नहीं है.
महिला सीटों पर सीधा निर्वाचन :
महिलाओं के लिए रिजर्व 60 सीटों पर डायरेक्ट चुनाव होता है। पार्टियां चुनाव आयोग को चुनाव पूर्व ही अपनी महिला उम्मीदवारों की वरीयता सूची सौंप देती हैं। इसके बाद 272सीटों को 60 सीटों से डिवाइड किया जाता है। चुनाव के बाद पार्टी को 4.5 सीट के अनुपात में वरीयता के आधार पर एक महिला रिजर्व सीट मिल जाती है। यही फॉर्मूला अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित 10 सीटों के लिए भी है। यानी जिस दल को 27.2 सीटें मिलती हैं, उसका एक उम्मीदवार जीत जाता है।
दुनिया में संसद में महिलाओं की स्थिति :
इंटर पार्लियामेंट यूनियन (आईपीयू) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के देशों में महिलाओं के संसद में प्रतिनिधित्व के हिसाब से पाकिस्तान 199 देशों में 89वें नंबर पर है। भारत में 542 सदस्यीय लोकसभा में 64 महिला सांसद हैं, यानी कुल सदस्यों में ये महिला सदस्य सिर्फ 11.8% हैं। दुनिया में भारत 148वें और अमेरिका 97वें नंबर पर है।
हालांकि सोलहवीं लोकसभा चुनावों में देश भर से कुल 62 महिलाएं चुनकर सदन में आईं थीं, जिसके बाद चार और महिला सांसद पिछले दो सालों के दौरान उपचुनावों के जरिए पहुंची हैं और महिला सांसदों का आनुपातिक प्रतिनिधित्व 11.4 फीसदी से फरवरी 2016 में 12 फीसदी हो गया, लेकिन इसके बावजूद दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत की स्थिति में जबर्दस्त गिरावट आई है। इस मामले में भारत से ऊपर रैंक हासिल करने वाले देशों में कई अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ-साथ कभी सोवियत रूस का हिस्सा रहे देश भी शामिल हैं। इस सूची में जिस देश ने पहले पायदान पर जगह बनाई है वह है अफ्रीकी देश रवांडा, जहां 63.8 फीसदी महिलाएं संसद के निचले सदन में जबकि 38.5 फीसदी महिलाएं ऊपरी सदन में प्रतिनिधित्व करती हैं।