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पनामा क्लिप सामने लाने वाले जॉन डो ने तोड़ी चुप्पी, मांगी सुरक्षा
पनामा: पनामा क्लिप को लीक करने वाले मुखबिर 'जॉन डो' ने दस्तावेजों को संबंधित देशों के सरकारों को प्रदान करने की पेशकश की है। साथ ही उचित सुरक्षा की मांग भी की है।
जर्मन अखबार 'Suddeutsche Zeitung' और इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेशन जर्नलिस्ट (आईसीआईजे) को जारी बयान में 'जॉन डो' ने स्पष्ट किया है कि वह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी सरकार या खुफिया एजेंसी के लिए काम नहीं करता है। इन दस्तावेजों को लीक करने के फैसले के पीछे कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं था।
The Revolution Will Be Digitised शीर्षक से प्रकाशित होने वाले बयान में जॉन ने कहा कि केवल कानून लागू करने वाली एजेंसियां ही उनके मूल दस्तावेज की जांच कर लें तो पनामा क्लिप से जुड़े हजारों मामले शुरू हो सकते हैं। जॉन ने एडवर्ड स्नोडेन जैसे मुखबिरों का हवाला देते हुए विशिष्ट सुरक्षा की मांग की है।
मोजेक फोंसेका पर क्या कहा ?
पनामा पेपर लीक करने वाले जॉन ने दावा किया कि उन्होंने लॉ फर्म 'मोजेक फोंसेका' को उजागर करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि उनका मानना है कि इसके संस्थापक, कर्मचारियों और ग्राहकों को जवाबदेह होना चाहिए। क्योंकि कागजी कंपनियां आमतौर पर न केवल कर चोरी के अपराध में शामिल होती हैं बल्कि उन्हें गंभीर अपराधों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
कानून अमीरों की मदद के लिए है
जॉन डो ने अपने बयान में कहा कि मौजूदा प्रणाली अमीरों को कानून की पकड़ में लाने में विफल है। मीडिया और कानून भी इस संबंध में योगदान नहीं कर रहा। उनका मानना है कि बैंक, वित्तीय नियामक और कर अधिकारी अमीरों को छोड़ने और मध्यम और कम आय वाले नागरिकों को काबू करने के फैसलों पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं।
वकीलों और मीडिया पर भी उठाई उंगली
उनका कहना था कि वकील भी काफी हद तक भ्रष्ट हैं। जबकि बड़े-बड़े दावों के बावजूद कई बड़े मीडिया संस्थानों ने इस मामले की कवरेज न करने का फैसला किया। डू अपने बयान में कहा था कि यह कड़वा सच है कि दुनिया की बड़ी और प्रसिद्ध मीडिया संगठनों में से कोई एक भी इस स्टोरी में रुचि नहीं रखता था। यहां तक कि विकीलीक्स ने भी इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया था।