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सेंट पीटर्सबर्ग: मोदी का ट्रंप को जवाब, कहा- हम 5 हजार सालों से पर्यावरण हितैषी हैं
सेंट पीटर्सबर्ग: जलवायु को लेकर पेरिस समझौता तोड़ने के बाद भारत और चीन की आलोचना करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को पीएम नरेंद्र मोदी ने भी जवाब दिया है। सेंट पीटर्सबर्ग 'इकनॉमिक फोरम' में पीएम ने भारत को पर्यावरण हितैषी बताते हुए कहा, कि 'यह देश प्राचीन काल से ही इस जिम्मेदारी को निभाता आ रहा है। इसके लिए उन्होंने वेदों का उदाहरण दिया।'
मोदी बोले, 'भारत की सांस्कृतिक विरासत रही है। 5 हजार साल पुराने शास्त्र हमारे यहां मौजूद हैं, जिन्हें वेद के नाम से जाना जाता है। इनमें से एक वेद अथर्ववेद पूरी तरह प्रकृति को समर्पित है। हम उन आदर्शों को लेकर चल रहे हैं। हम यह मानकर चलते हैं कि प्रकृति का शोषण अपराध है। यह हमारे चिंतन का हिस्सा है। हम प्रकृति के शोषण को स्वीकार नहीं करते हैं। इसलिए हम अपने मैन्युफैक्टरिंक सेक्टर में जिरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट चलते हैं।'
हम रिन्युअल एनर्जी के क्षेत्र में काम कर रहे
पीएम मोदी ने पेरिस समझौते का जिक्र करते हुए कहा, 'आपको जानकर खुशी होगी कि हिंदुस्तान में आज पारंपरिक से ज्यादा रिन्युअल एनर्जी के क्षेत्र में काम हो रहा है। हम पर्यावरण की रक्षा को लेकर एक जिम्मेवारी वाले देश के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इसको लेकर हमारा पुराना कमिटमेंट है। जब ग्लोबल वॉर्मिंग की इतनी चर्चा नहीं थी और पेरिस समझौता नहीं हुआ था। तब मैं गुजरात के सीएम था। कई सालों पहले गुजरात दुनिया में चौथी ऐसी सरकार थी जिसने अलग क्लाइमेट डिपार्टमेंट बनाया था। इसलिए एलईडी बल्ब के जरिए एनर्जी सेविंग कर रहे हैं। 40 करोड़ एलईडी बल्ब घर-घर पहुंचाए हैं। हजारों मेगावॉट बिजली बचाई है।'
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ये कहा था ट्रंप ने
गौरतलब है, कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से अलग कर लिया है। ट्रंप का कहना है कि इस समझौते में भारत और चीन के लिए सख्त प्रावधान नहीं किए गए हैं, जबकि ये दोनों देश प्रदूषण रोकने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। इस तरह ग्लोबल वार्मिंग से निपटने की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों से अमेरिका अलग हो गया।
अमेरिका के लिए बेहद ख़राब करार
ट्रंप ने कहा कि पेरिस जलवायु समझौता अमेरिका के लिए बेहद खराब करार है। इस समझौते से अमेरिका को अलग करने की घोषणा करते हुए ट्रंप ने यह भी कहा, कि वह पेरिस समझौते पर फिर से बातचीत शुरू करेंगे, ताकि अमेरिका और इसके लोगों के हित में उचित समझौता किया जा सके।