PM Modi: ब्रुनेई के सबसे बड़े मस्जिद उमर अली सैफुद्दीन पहुंचे पीएम, जानिए क्या है इसकी खासियत

PM Modi: पीएम मोदी इन समय दो दिनों के लिए ब्रुनेई पहुंचे हुए हैं। जहां उन्होंने सबसे बड़े मस्जिद उमर अली सैफुद्दीन का दौरा किया।

Sonali kesarwani
Published on: 4 Sep 2024 3:02 AM GMT
PM Modi: ब्रुनेई के सबसे बड़े मस्जिद उमर अली सैफुद्दीन पहुंचे पीएम, जानिए क्या है इसकी खासियत
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PM Modi: पीएम मोदी अपनी दो दिवसीय यात्रा के लिए ब्रुनेई गए है। जहाँ वो ब्रुनेई के सबसे बड़े और प्राचीन मस्जिद उमर अली सैफुद्दी पहुंचे है। इस मस्जिद का ऑर्किटेक्ट काफी ज्यादा खूबसूरत है। जिसकी तारीफ पीएम मोदी ने खुद की। पीएम मोदी ने मस्जिद के अधकारियों से भी बातचीत की। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी वहां रहे भारतीय समुदाय के लोगों से भी मुलाकात की। पीएम मोदी के अब तक के कार्यकाल के दौरान यह पहली यात्रा है। दोनों देशों के बीच 2024 में राजनयिक संबधों के 40 साल पूरे हुए हैं। जिसके चलते पीएम मोदी ने ब्रुनेई में भारतीय हाई कमीशन के नए परिसर की शुरुआत की। जिसे उन्होंने दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्ते का प्रतीक बताया। ब्रुनेई में हाई कमीशन परिसर का उद्देश्य भारतीय प्रवासियों की सेवा करना है।

उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद है राष्ट्रीय स्थलचिह्न

पीएम मोदी ब्रुनेई के जिस मस्जिद में पहुंचे है वह वहां का एक राष्ट्रीय स्थलचिह्न भी है। वह मस्जिद सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है। जिसका नाम ब्रुनेई के 28वें सुल्तान और वर्तमान सम्राट सुल्तान हसनल बोल्किया के पिता के नाम पर रखा गया है। उस मस्जिद की बात बात करें तो वह वहां के इस्लामों के आस्था का प्रतीक है। मस्जिद की खासियत की बात करे तो उसे बनाने में लगगभग पांच साल लगे थे जिसकी उस समय कुल लागत 1 मिलियन पाउंड यानी कि 11,00,07,700 रुपये से ज्यादा की थी। इस मस्जिद का निर्माण मलेशिया की आर्किटेक्चुअल फर्म बूटी एडवर्ड्स एंड पार्टनर्स ने की थी। इस मस्जिद के नींव की गहराई 80-120 फीट (24-37 मीटर) के बीच है।

क्या है मस्जिद की खासियत

इस मस्जिद का उद्घाटन 26 सितंबर 1958 को सुल्तान उमर अली सैफुद्दीन तृतीय के 42वें जन्मदिन समारोह के साथ किया गया था। इसकी वास्तुकला भारतीय मुगल साम्राज्य की वास्तुकला और इतालवी पुनर्जागरण शैली से प्रभावित है। इस मस्जिद में हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस डिजाइन की संकल्पना सबसे पहले सुल्तान उमर अली सैफुद्दीन तृतीय ने की थी और फिर इसे इतालवी मूर्तिकार और सजावटी पत्थर के ठेकेदार, कमीशन आर्किटेक्ट रुडोल्फो नोली ने विकसित किया था। इस मस्जिद के आकार की बात करें तो यह लगभग 225X86 फीट (69 गुणा 26 मीटर) है और इसमें 3,000 श्रद्धालु बड़े आराम से बैठ सकते हैं।

मस्जिद के अंदर क्या

इस मस्जिद की ऊंचाई की बात करे तो इसकी अधिकतम ऊंचाई 52 मीटर (171 फीट) है। इस मस्जिद का गुंबद पूरी तरह से सोने से ढका हुआ है। फर्श और पिलर इटली के संगमरमर से बने हुए है। जिसकी कुल लागत 200,000 डॉलर से अधिक थी। अंदर के हस्से में 15 फीट (4.6 मीटर) व्यास का एक झूमर है जिसका वजन तीन टन से भी अधिक है। इसमें 62 फ्लोरोसेंट ट्यूब हैं। इस मस्जिद का फर्श बेल्जियम और सऊदी अरब से हाथ से बने एक्समिंस्टर कालीनों से ढके हुए हैं।

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Content Writer

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