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तालिबान के लिए काला सोना है अफगानी अफीम, हजारों एकड़ में करवाते हैं खेती
काबुल : तालिबान आतंकी अफीम उगाने वालों से कर वसूलते हैं और इस पैसे का इस्तेमाल हथियार खरीदने और अफगान सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने कर रहे हैं। सारीपुल राज्य के उत्तरी अशांत क्षेत्र में किसान तालिबान के नियंत्रण में हैं और तालिबान उन्हें अफीम की खेती के लिए प्रोत्साहित करता है।
आपको बता दें अफगानी अफीम दुनिया भर में काफी महँगी दरों पर बिकती है। इसको पसंद करने वाले इसके लिए कोई भी कीमत देने को तैयार रहते हैं। यहाँ की अफीम का ये कारोबार लगभग 100 अरब डॉलर है, जिसके कारण दुनिया में प्रति वर्ष एक लाख लोगों की मौत होती है।
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क्षेत्र के एक निवासी ने कहा, "अफीम की खेती में वृद्धि का मतलब तालिबान के राजस्व में इजाफा और हथियार खरीदने के उनके आर्थिक स्रोतों में वृद्धि और उसके बाद प्रांत व देश को बड़े स्तर पर छति पहुंचाना है।"
सारीपुल के गवर्नर जहीर वाहदत ने कहा कि आतंकवादी, किसानों को अफीम उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं और यही कारण है कि तालिबान के कब्जे वाले इस क्षेत्र में अफीम की खेती लगातार बढ़ती जा रही है।
अफगानिस्तान की मादक पदार्थ रोधी मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) के सर्वे में कहा गया है, "आतंकवादी गतिविधियों से तबाह हुए अफगानिस्तान में 2016 में 2015 के 3,300 टन के मुकाबले 4,800 टन अफीम पैदा हुई है।"
इसमें से ज्यादातर अवैध अफीम की फसल सरकार विरोधी आतंकियों के कब्जे वाले अशांत क्षेत्रों में उगाई गई थी।