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Trump Effect: अमेरिका और कोलंबिया में क्यों है तनातनी, डोनाल्ड ट्रम्प ने खा डाली ट्रेड वार शुरू करने की कसम
President Donald Trump Effect: राजनीति में आने से पहले चूंकि डोनाल्ड ट्रंप एक व्यापारी थे। तो जाहिर सी बात है उनका ध्यान मुनाफे पर होगा ही। अब जब वे सत्ता में हैं तो वे हर उन चीजों पर कार्रवाई कर रहे हैं या अलग हो रहे हैं, जिससे उनके देश को कोई मुनाफा नहीं हो रहा है।
President Donald Trump Effect: वाशिंगटन, अमेरिका और कोलंबिया में तनातनी क्यों है ये जानने से पहले हम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आइडियोलॉजी पर नजर डालेंगे। ट्रम्प का रूख एकदम स्पष्ट रहा है। उनके लिए उनका देश और वहां के नागरिक प्राथमिकता में सबसे ऊपर हैं। अगर उन्हें जिन चीजों से लगता है कि ये उनके देश को या देश के नागरिकों को नुकसान पहुंचा सकता है, तो ट्रम्प उस पर कार्रवाई से बिल्कुल पीछे नहीं हटते। भले से दूसरे देशों से रिश्ते तीखे क्यों न हो जाए।
राजनीति में आने से पहले चूंकि डोनाल्ड ट्रंप एक व्यापारी थे। तो जाहिर सी बात है उनका ध्यान मुनाफे पर होगा ही। अब जब वे सत्ता में हैं तो वे हर उन चीजों पर कार्रवाई कर रहे हैं या अलग हो रहे हैं, जिससे उनके देश को कोई मुनाफा नहीं हो रहा है। उदाहरण के तौर पर देख सकते हैं जलवायु परिवर्तन और डब्ल्यूएचओ से अलग होना।
अब यहां हम उन मुद्दों का जिक्र करेंगे, जिससे अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लगता है कि इससे अमेरिका को नुकसान हो रहा है या उनके इस कदम से देश का लाभ हो सकता है।
डोनाल्ड ट्रम्प हमेशा से अप्रवासियों को लेकर सख्त रुख अपनाने के लिए जाने जाते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं,। जो उनकी राजनीतिक विचारधारा, घरेलू नीति प्राथमिकताओं और उनके समर्थकों की अपेक्षाओं से प्रेरित हैं। जो कुछ इस तरह है...
1. अवैध अप्रवासन का मुद्दा
ट्रम्प ने अपने राजनीतिक अभियान की शुरुआत से ही अवैध अप्रवासन को एक बड़ा मुद्दा बनाया। उनका तर्क ये है कि अवैध अप्रवासन से आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं।
उदाहरण, अमेरिकी नौकरियों का नुकसान: उनका दावा है कि अवैध अप्रवासी अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां छीनते हैं।
सुरक्षा चिंताएं: ट्रम्प ने यह भी कहा कि अवैध अप्रवासी अपराध और नशीले पदार्थों की तस्करी को बढ़ावा देते हैं।
2. अमेरिका फर्स्ट नीति
ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति के तहत उन्होंने देश की सीमाओं को सुरक्षित करने और अप्रवासन प्रणाली को कड़ा बनाने पर जोर दिया। उनका मानना है कि अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा और आर्थिक लाभ पहले आना चाहिए।
3. दीवार निर्माण का वादा
ट्रम्प का सीमा पर दीवार निर्माण का वादा उनके राजनीतिक एजेंडे का प्रमुख हिस्सा रहा है। उन्होंने इसे अवैध अप्रवासन रोकने के लिए एक प्रतीकात्मक और व्यावहारिक समाधान के रूप में पेश किया।
4. कानूनी और अवैध अप्रवासन का अंतर
ट्रम्प प्रशासन ने अवैध अप्रवासियों पर सख्ती दिखाई, लेकिन उच्च कौशल वाले कानूनी अप्रवासियों जैसे H-1B वीजा धारकों को भी प्रतिबंधित करने के प्रयास किए। उनका तर्क था कि कानूनी अप्रवास प्रणाली को अमेरिकी श्रमिकों के हित में सुधार की आवश्यकता है।
5. राष्ट्रवाद और पहचान का मुद्दा
ट्रम्प का राजनीतिक आधार मुख्य रूप से श्वेत राष्ट्रवादी झुकाव वाले समूहों और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है। ये समूह अप्रवासियों को सांस्कृतिक और आर्थिक प्रतिस्पर्धा के रूप में देखते हैं। ट्रम्प ने इस आधार पर अपनी नीतियों को मजबूत किया।
6. राजनीतिक लाभ
अप्रवासन का मुद्दा उनके राजनीतिक प्रचार का एक मुख्य तत्व रहा है। यह उनके समर्थकों को एकजुट करता है और उन्हें मजबूत नेता की छवि बनाने में मदद करता है।
7. दस्तावेजों की कमी और अपराध का मुद्दा
ट्रम्प ने कई बार यह दावा किया है कि अवैध अप्रवासी अपराधों में लिप्त हो सकते हैं। हालांकि, शोध से यह साबित हुआ है कि अप्रवासी, विशेष रूप से अवैध अप्रवासी, स्थानीय नागरिकों की तुलना में कम अपराध करते हैं। फिर भी ट्रंप ने इसे अपने संदेश का हिस्सा बनाया।
8. आर्थिक दबाव
ट्रम्प का कहना है कि अवैध अप्रवासियों पर खर्च होने वाले संसाधन जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण योजनाएं अमेरिकी करदाताओं पर बोझ डालते हैं।
9. चुनाव में समर्थन जुटाना
ट्रम्प ने अप्रवासन को एक भावनात्मक मुद्दे के रूप में इस्तेमाल किया। जिससे उन्होंने चुनावों में अपने समर्थन आधार को मजबूत किया।
अमेरिका और कोलंबिया में तनाव की ये मुख्य वजह
डोनाल्ड ट्रंप ने अवैध अप्रवासन का मुद्दा उठाते हुए साफ चेतावनी दी थी कि जिस भी देश के लोग अमेरिका में अवैध अप्रवासी हैं वो देश सहयोग करें। ऐसा न करने पर परिणाम भुगतना होगा। कोलंबिया ने इसमें अमेरिका का सहयोग करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
परिणाम अमेरिका और कोलंबिया के बीच तनाव का मुख्य कारण अप्रवासी प्रत्यावर्तन बना। इसे लेकर दोनों देशों में विवाद पैदा हो गया। अमेरिकी सरकार ने अवैध कोलंबियाई अप्रवासियों पर कार्रवाई कर दिया और वापस उसके देश भेज दिया। इस कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिका से कोलंबियाई अप्रवासियों को सैन्य विमानों में हथकड़ी लगाकर भेजे जाने का विरोध किया।
पेट्रो ने पहले तो ट्रम्प सरकार की इस कार्रवाई को अमानवीय बताया। साथ इन उड़ानों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इसके जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोलंबिया से आयातित सभी वस्तुओं पर 25% आपातकालीन शुल्क लगाने की घोषणा की और हफ्ते भर बाद इसे 50% करने की चेतावनी दी। साथ ही कोलंबियाई अधिकारियों के लिए वीजा प्रतिबंध भी लगाए।
इसके अलावा ट्रम्प ने कोलंबिया के सामने कुछ शर्तें रखीं। यही नहीं उन्होंने ट्रेड वार भी शुरू करने की कसम खा डाली। ट्रंप ने कहा कि अगर उनकी शर्त नहीं मानी गई तो ट्रेड वार शुरू होगा।
कोलंबिया के लिए अमेरिका की शर्त
मुख्य रूप से कोलंबिया द्वारा अमेरिका से निर्वासित अप्रवासियों को स्वीकार करने से इनकार के जवाब में उठाए गए हैं। ट्रंप की शर्तें और कदम इस तरह हैं
अमेरिकी आयात शुल्क में वृद्धि: डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की कि कोलंबिया से आयातित सभी वस्तुओं पर 25% आपातकालीन शुल्क लगाया जाएगा। यह कोलंबिया की अर्थव्यवस्था पर दबाव डालने के लिए किया गया है।
वीजा प्रतिबंध: ट्रंप ने कोलंबियाई अधिकारियों और नेताओं के लिए वीज़ा प्रतिबंध लगाने की बात कही है। यह शर्तें कोलंबिया के उच्च स्तरीय अधिकारियों के अमेरिका आने पर रोक लगाने के लिए हैं।
निर्वासित अप्रवासियों को वापस स्वीकारने की मांग:ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कोलंबिया को उन अप्रवासियों को स्वीकार करना होगा जिन्हें अमेरिका ने निर्वासित किया है, भले ही वे किसी भी स्थिति में हों।
अमेरिकी सैन्य उड़ानों की अनुमति: ट्रंप ने कोलंबिया से यह भी कहा कि वे निर्वासित अप्रवासियों को वापस भेजने के लिए अमेरिकी सैन्य विमानों की अनुमति दें।
कोलंबिया की सरकार पर सार्वजनिक दबाव: ट्रंप ने कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो को अमानवीय और गैर-जिम्मेदार कहा और इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से दबाव बनाने की कोशिश की।
हालांकि ट्रम्प के इन शर्तों पर कोलंबिया की प्रतिक्रिया सामने आई। इस विवाद के समाधान के लिए कोलंबिया के राष्ट्रपति पेट्रो ने अपने नागरिकों की सम्मानजनक वापसी सुनिश्चित करने हेतु राष्ट्रपति विमान भेजने की पेशकश की।
बाद में दोनों देशों के बीच समझौता हुआ। जिसमें कोलंबिया ने निर्वासित अप्रवासियों को स्वीकार करने पर सहमति व्यक्त की। जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका ने प्रस्तावित शुल्क और प्रतिबंधों को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया।