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R9X Hellfire Missile: हेलफायर R9X मिसाइल से हुआ अल जवाहिरी का खात्मा, जानें इस साइलेंट किलर के बारे में

R9X Hellfire Missile: ऑपरेशन की सबसे खास बात ये रही कि बिना किसी धमाके या किसी को नुकसान पहुंचाए बिना ही अल-जवाहिरी को मौत की नींद सुला दिया गया।

Krishna Chaudhary
Published on: 2 Aug 2022 2:00 PM IST
R9X Hellfire Missile
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हेलफायर R9X मिसाइल (photo: social media ) 

R9X Hellfire Missile: अमेरिका ने अलकायदा सरगना अयमान अल जवाहिरी को तालिबान के नाक के नीचे मार गिराया। अमेरिका ने इस ऑपरेशन को अंजाम अलकायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन के खात्मे के करीब 11 वर्ष बाद दिया है। इस तरह यूएस ने 9/11 हमले के दो प्रमुख साजिशकर्ताओं को मारकर हिसाब चुकता कर लिया है। इस मौके पर राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि अमेरिका और यहां के लोगों के लिए जो भी खतरा बनेंगे उसे नहीं छोड़ा जाएगा।

इस ऑपरेशन की सबसे खास बात ये रही कि बिना किसी धमाके या किसी को नुकसान पहुंचाए बिना ही अल-जवाहिरी को मौत की नींद सुला दिया गया। तालिबान शासित अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में इस खतरनाक मिशन को अंजाम देने के लिए अमेरिका ने अपनी खतरनाक निंजा मिसाइल के नाम से पहचाने जाने वाले हेलफायर आर9एक्स हथियार का इस्तेमाल किया। हमले के बाद से यह अमेरिकी हेलफायर मिसाइल चर्चाओं में है, आइए जानते हैं इस मिसाइल के बारे में –

हेलफायर R9X मिसाइल से हुआ अल जवाहिरी का खात्मा (photo: social media )

कैसे काम करता है हेलफायर R9X मिसाइल

अमेरिका खुफिया एजेंसी सीआईए ने बिना किसी खून-खराबे के इस खतरनाक मिशन को अंजाम देकर दुनिया में एकबार फिर अपना लोहा मनवाया है। सीआईए के इस मिशन को कामयाब बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाई हेलफायर R9X मिसाइल ने। इस मिसाइल की खासियत ये है कि अन्य मिसाइलों की तरह यह विस्फोट नहीं करती है। इसके अंदर से चाकू जैसे ब्लेड्स निकलते हैं, जो टारगेट पर सीधा निशाना लगाते हैं। ये टारगेट को चीड़-फाड़ डालते हैं। इससे आसपास के लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। इसमें बारूद की मात्रा बेहद कम होती है। बारूद का विस्फोट इसमें लगे ब्लेड्स को तेजी से आगे बढ़ने की ताकत देता है।

मिसाइल की अन्य प्रमुख बातें

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मिसाइल 45 किलोग्राम का होता है। इस मिसाइल की रेंज 499 मीटर से लेकर 11.01 किलोमीटर तक होती है। हेलफायर मिसलाइल की अधिकतम गति 1601 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह लेजर और रडार सीकर टेक्नोलॉजी पर उड़ती है। हेलफायर मिसाइलों की अधिकतम लंबाई 1.6 मीटर होती है। इनका व्यास 7 इंच होता है। इस मिसाइल में पांच तरीके के वॉरहेड यानी हथियार लगाए जा सकते हैं। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि मजबूत से मजबूत बंकर, बख्तरबंद गाड़ियां, टैंक और मोटी से मोटी दीवार को फोड़कर विस्फोट करने में सक्षम है। इस मिसाइल को निंजा इसलिए कहा जाता है क्योंकि निंजा मार्शल आर्टिस्ट अधिकतर तेजधार वाले हथियारों का इस्तेमाल करते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, R9X हेलफायर मिसाइल को ड्रोन, हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमानों से भी दागा जा सकता है। इसकी नाक पर कैमरे और सेंसर्स लगे होते हैं, जो विस्फोट से पहले तक रिकॉर्डिंग करते रहते हैं और साथ ही टारगेट की सही स्थिति का पता लगाते रहते हैं। इस मिसाइल से आसपास अधिक नुकसान नहीं होता है, जो इसे इस तरह के खास मिशनों के लिए काफी मुफीद बनाता है।

अमेरिका कब – कब कर चुका है इस्तेमाल

अमेरिका ने पहली बार अपने इस खतरनाक निंजा मिसाइल का इस्तेमाल नहीं किया है। इससे पहले भी वह कई दुर्दांत आतंकियों को इसके जरिए निपटा चुका है। अमेरिका अफगानिस्तान में ही तालिबानी के विरूद्ध कई बार इसका इस्तेमाल कर चुका है। इसके अलावा सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में भी इसका इस्तेमाल हो चुका है। इसके बेहतर परिणाम से उत्साहित अमेरिका ने बीते दो सालों में इसका अधिक प्रयोग कर रहा है। बीते साल काबुल एयरपोर्ट पर हुए धमाके का बदला लेने के लिए अमेरिका ने इसी मिसाइल का सहारा लिया था। इसी मिसाइल की मदद से अमेरिका ने अलकायदा के वरिष्ठ नेता अबु खार अल मसरी और यूएसएस कोले बमबारी के मुख्य आरोपी जमाल अहम मोहम्मद अल बदावी को मार गिराया था।

भारत भी हेलफाइयर मिसाइल खरीदेगा

हेलफाइयर मिसाइलों के अचूक निशाने को देखते हुए भारत भी अमेरिका से इसे खरीदने की तैयारी कर रहा है। इसकी योजना लंबे समय से बन रही है। भारत अमेरिका से रीपर ड्रोन और हेलफाइयर मिसाइलों को खरीद कर अपनी सेनाओं में तैनात करेगा। रीपर ड्रोन बगैर किसी शोर के आसमान से निगरानी का काम करता है, वहीं उसमें लगे हेलफाइयर मिसाइल आसमान से किसी टारगेट को पूरी तरह से नष्ट करने का काम करते हैं।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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