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Bangladesh: बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी गुट ने सिर उठाया, एक नया खतरा
Bangladesh News: जनवरी में ब्रिटिश संसद ने तत्कालीन ब्रिटिश गृह सचिव जेम्स क्लेवरली द्वारा आतंकवाद अधिनियम 2000 के तहत एचयूटी पर प्रतिबंध लगाने के लिए रखे गए मसौदे को मंजूरी दे दी।
Bangladesh News: मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल और अस्थिरता के बीच बांग्लादेश को एक और चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। ये चुनौती है हिज्ब उत-तहरीर (एचयूटी) नामक कट्टरपंथी राजनीतिक संगठन से जो इस्लामी खिलाफत को फिर से स्थापित करने और विश्व स्तर पर शरिया लागू करने की आकांक्षा रखता है।
कई देशों में है प्रतिबंध
एचयूटी पर कई देशों में प्रतिबंधित लगा हुआ है। लेबनान, यमन और यूएई को छोड़कर चीन, रूस, पाकिस्तान, जर्मनी, तुर्की, ब्रिटेन, कजाकिस्तान और मध्य एशिया, इंडोनेशिया तथा सभी अरब देशों में एचयूटी पर प्रतिबंध है।जनवरी में ब्रिटिश संसद ने तत्कालीन ब्रिटिश गृह सचिव जेम्स क्लेवरली द्वारा आतंकवाद अधिनियम 2000 के तहत एचयूटी पर प्रतिबंध लगाने के लिए रखे गए मसौदे को मंजूरी दे दी। इसका मतलब है कि समूह के साथ कोई भी संबंध आपराधिक अपराध होगा।
बांग्लादेश में भी प्रतिबंधित
अक्टूबर 2009 में इसे बांग्लादेश में प्रतिबंधित कर दिया गया था। लेकिन ऐसा लगता है कि अब यह स्थिति उलट गई है क्योंकि इसके समर्थक ढाका सहित कई जगहों पर मार्च निकाल रहे हैं और इसकी विचारधारा का प्रचार करने वाले पोस्टर भी जगह जगह देखे जा रहे हैं। जानकारों के अनुसार, हिज्ब उत-तहरीर एक ऐसा संगठन है जो अच्छी तरह से स्थापित है और इसमें शिक्षित लोग शामिल हैं। वर्तमान में बांग्लादेश में समाज के सभी वर्गों में उसकी पैठ है।
खलीफा स्थापित करने की मांग
9 अगस्त को एचयूटी के समर्थकों ने ढाका के बैतुल मुकर्रम उत्तरी गेट पर एक रैली आयोजित की और शरिया कानून के आधार पर बांग्लादेश में "खलीफा" की स्थापना की मांग की, जिसके बारे में उनका दावा है कि इससे बांग्लादेश के सभी नागरिकों का "सच्चा न्याय और कल्याण" सुनिश्चित होगा। इसके समर्थकों ने विदेशी कंपनियों को बाहर निकालने और गैर-मुस्लिम राज्यों के साथ रणनीतिक समझौतों को रद्द करने का भी आह्वान किया है।
भारत में भी मौजूद
भारत में भी इस संगठन के कुछ गुप्त कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी हुई है, जो अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहे हैं। बताया जाता है कि अधिकांश कार्यकर्ता शिक्षित हैं और छात्रों के माध्यम से अपना प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और तमिलनाडु में गिरफ्तारियां हुई हैं। ऐसे में आशंका है कि अगर बांग्लादेश में इसका आंदोलन तेज होता है, तो इसका भारत पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि भारत में गुप्त संचालक बांग्लादेश के साथ समन्वय कर सकते हैं।
क्या है एचयूटी
1953 में फिलिस्तीनी तकीउद्दीन अल-नभानी अल-फिलास्टिनी द्वारा एचयूटी की स्थापना की गई थी। इसका कहना है कि इसका लक्ष्य मुस्लिम राष्ट्रों को शांतिपूर्ण तरीके से इस्लामवादी राजनीतिक प्रणालियों में परिवर्तित करना है। ये संगठन जिहाद की अवधारणा की प्रशंसा करता है। इस समूह से जुड़े लोगों को कई देशों में हिंसक घटनाओं से जोड़ा गया है। इनमें से कुछ मध्य पूर्व में तख्तापलट की कोशिशों, बांग्लादेश में एक धर्मनिरपेक्षता समर्थक ब्लॉगर की हत्या और पश्चिम में पश्चिम विरोधी और मुस्लिम अलगाववादी प्रचार-प्रसार में शामिल रहे हैं।