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चीन ने फाइटर जेट्स में विकसित की ये खास तकनीक, भारत के लिए बढ़ा खतरा
भारतीय वायुसेना की शक्ति में आज बडी बढ़ोत्तरी हुई है। फ्रांस से उड़ान भरने के बाद पांच राफेल लड़ाकू विमान भारतीय जमीन पर पहुंच गए हैं। हरियाणा के अंबाला एयरबेस में बुधवार को राफेल विमान लैंड हुए, जहां उनका स्वागत वाटर सैल्यूट के साथ किया गया।
बीजिंग: भारतीय वायुसेना की शक्ति में आज बडी बढ़ोत्तरी हुई है। फ्रांस से उड़ान भरने के बाद पांच राफेल लड़ाकू विमान भारतीय जमीन पर पहुंच गए हैं। हरियाणा के अंबाला एयरबेस में बुधवार को राफेल विमान लैंड हुए, जहां उनका स्वागत वाटर सैल्यूट के साथ किया गया।
इस दौरान वायुसेना चीफ आरकेएस भदौरिया भी मौजूद रहे। ये विमान भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में जुलाई के अंत तक शामिल किये जाने वाले हैं। संभावना है कि राफेल विमान लद्दाख सेक्टर में तैनात किया जाएंगे।
इस बीच चीन से अब खबर आ रही है कि ,उसने अपने युद्पोत पर तैनात फाइटर जेट्स की क्षमता को और भी ज्यादा बढ़ा लिया है। जिसके बाद अब चीन रात में भी हमला करने में सक्षम हो गया है।
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फाइटर जेट को उड़ने और लैडिंग में ज्यादा मदद मिलेगी
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक चीन के युद्धपोत लियाओनिंग और शैनडोंग पर J-15 फाइटर जेट्स की लैंडिंग और टेकऑफ के लिए जंप रैक डेक्स हैं। वह कैटापॉल्ट जैसी पुरानी तकनीक का उपयोग नहीं करता।
इससे फाइटर जेट को उड़ने और लैडिंग में ज्यादा मदद मिलती है। पीएलए नेवल मिलिट्री स्टडीज रिसर्च इंस्टीट्यूट के रक्षा विशेषज्ञ झांग जुंशी ने बताया कि अब चीन किसी भी मौसम में किसी भी समय अपने जे-15 में ईंधन भरने में सक्षम है। रात में ईंधन भरने की क्षमता विकसित करना उसके लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
झांग जुंशी ने बताया कि इस क्षमता को विकसित करने के बाद चीन किसी भी समय किसी भी तरह के हमले को अंजाम दे सकता है। रीफ्यूलिंग तकनीक विकसित करने की वजह से जे-15 अब ज्यादा हथियार ले जा सकेंगे। जबकि, पहले फ्यूल बचाने के लिए कम हथियार लोड किए जाते थे।
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रात में रीफ्यूलिंग करने की क्षमता विकसित
उन्होंने बताया कि चीन ने अपने दो युद्धपोत पर तैनात फाइटर जेट्स जे-15 को रात में रीफ्यूलिंग करने की क्षमता विकसित कर ली है। इसे बडी रीफ्यूलिंग कैपेबिलिटी कहते हैं।
यानी अब एक जे-15 फाइटर जेट से दूसरे जे-15 फाइटर जेट को आसमान में ही ईंधन मिल जाएगा। इस क्षमता को विकसित करने के बाद अब चीन 24 घंटे किसी भी समय हमला करने के लिए तैयार हो गया है।
चीन ने इस तकनीक को विकसित करने के लिए जे-15 में कुछ बदलाव किए हैं। इसके बाद चीन ने अपने युद्धपोत लियाओनिंग और शैनडोंग पर तैनात जे-15 को अपग्रेड कर लिया है।
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