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Sri Lanka Crisis: रानिल विक्रमसिंघे चुने गए श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, तेज हो सकता है विरोध-प्रदर्शन
श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों के आक्रोश का निशाना बनने वाले रानिल विक्रमसिंघे को देश का अगला राष्ट्रपति चुना गया है। संसद में हुए गुप्त मतदान में उन्होंने सबसे अधिक सांसदों का समर्थन हासिल किया।
Sri Lanka Crisis: आर्थिक बदहाली से त्रस्त श्रीलंका में कुर्सी के खेल का आज अहम पड़ाव देखा गया। प्रदर्शनकारियों के आक्रोश का निशाना बनने वाले रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) को देश का अगला राष्ट्रपति चुना गया है। संसद में हुए गुप्त मतदान में उन्होंने सबसे अधिक सांसदों का समर्थन हासिल किया। विक्रमसिंघे गोटबाया राजपक्षे (Wickremesinghe Gotabaya Rajapakse) के पद छोड़ने के बाद श्रीलंका के एक्टिंग प्रेसीडेंट की भूमिका निभा रहे थे। वह इससे पहले छह बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। बीते दिनों प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके आवास को जलाए जाने के बाद उन्होंने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।
इतने सांसदों का मिला समर्थन
223 सांसदों वाली श्रीलंकाई संसद में रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) को 134 सांसदों का समर्थन मिला, जबकि उनके निकटतम प्रतिदवंदी दुलस अल्हाप्परुमा (dulce alhapparuma) को 82 सांसदों का समर्थन मिला। इस दौरान चार सांसदों का वोट अवैध घोषित कर दिया गया। संसद में 44 बाद गुप्त मतदान हुआ है। 1978 के बाद पहली बार देश में राष्ट्रपति का चुनाव जनादेश के माध्यम से नहीं बल्कि गुप्त मतदान के माध्यम से हुआ है।
श्रीलंकाई राजनीति में काफी अनुभवी नेता हैं विक्रमसिंघे
रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) श्रीलंकाई राजनीति का एक दिग्गज चेहरा है। उनके पास सियासत का लंबा अनुभव है। वह छह बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं और दो बार राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ चुके हैं, जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। रानिल 1977 में पहली बार आम चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। 1993 में वह पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने। सियासत में आने से पहले वह एक पत्रकार और वकील रह चुके हैं। वह नवंबर 2024 तक पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे के शेष कार्यकाल के लिए पद पर रहेंगे।
विक्रमसिंघे को लेकर है भारी नाराजगी
पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Former President Gotabaya Rajapaksa) की तरह प्रदर्शनकारियों के निशाने पर रानिल विक्रमसिंघे भी हैं। वह किसी भी कीमत पर विक्रमसिंघे को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। राष्ट्रपति आवास में घुसने के बाद प्रदर्शनाकिरियों ने विक्रमसिंघे के आवास को भी आग के हवाले कर दिया था। उस समय वह पीएम पद पर कार्यरत थे। बाद में प्रदर्शकारी इस्तीफा मांगते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में भी प्रवेश कर गए थे।
ऐसे में विरोध प्रदर्शन कर रही जनता उन्हें अपने नेता मानेगी, इस पर सियासी जानकार संदेह जता रहे हैं। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में सरकार और जनता के बीच टकराव बढ़ सकता है, जिससे मुल्क की स्थिति और भयावह हो सकती है। बता दें कि इस समय श्रीलंका में 22 मिलियन लोग खाने, ईंधन और दवाईयों की किल्लत झेल रहे हैं।