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UK: क्या नारायण मूर्ति के दामाद ऋषि सुनक बनेंगे ब्रिटेन के पीएम? जानिए इस भारतीय मूल के नेता के बारे में
UK: ब्रिटिश पीएम के खिलाफ बगावत के सूत्रधार ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ही हैं। पांच जुलाई को सबसे पहले उन्होंने जॉनसन के नेतृत्व पर सवाल उठाते वित्त मंत्र के पद से इस्तीफा दे दिया था।
London: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (British Prime Minister Boris Johnson) के खिलाफ उनके ही मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने मोर्चा खोल दिया है। सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी के 41 मंत्रियों ने जॉनसन के विरोध में इस्तीफा दे दिया है। जिसके बाद गुरूवार को ब्रिटिश पीएम को भी अपना पद छोड़ना पड़ा। देश में जारी इस सियासी उठापटक के बीच एक भारतीय मूल के ब्रिटिश राजनेता की चर्चा मीडिया में खूब हो रही है। इन्हें जॉनसन के संभावित उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखा जा रहा है। ये हैं ब्रिटेन के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक।
दरअसल ब्रिटिश पीएम के खिलाफ बगावत के सूत्रधार ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ही हैं। पांच जुलाई को सबसे पहले उन्होंने जॉनसन के नेतृत्व पर सवाल उठाते वित्त मंत्र के पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से ही मंत्रियों और सांसदों के इस्तीफे की झड़ी लग गई। सुनक के इस्तीफे के बाद जॉनसन सरकार के तीन अन्य वरिष्ठ मंत्री, जिनमें स्वास्थ्य मंत्री साजिद जावेद, साइमन हार्ट और ब्रैंडन लुईस ने भी पद छोड़ने का ऐलान कर दिया।
ऋषि सुनक पीएम की रेस में आगे
ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री पद के दावेदारों (Prime Ministerial candidate Rishi Sunak) में छह नाम शामिल है। उनमें सबसे भारी पलड़ा भारतीय मूल के ऋषि सुनक का बताया जा रहा है। सुनक जॉनसन सरकार में वित्त मंत्री के अलावा, मीडिया में इस सरकार का चेहरा भी थे। 42 वर्षीय ऋषि सुनक 2020 में उस दौरान सुर्खियों में आए थे, जब बोरिस जॉनसन ने उन्हें अपनी सरकार में वित्त मंत्री बनाया था। यॉर्कशर के रिचमंड से कंजरवेटिव पार्टी के सांसद सुनक को उस दौरान वित्त मंत्री रहे साजिद जावेद के इस्तीफे के बाद इस पद पर नियुक्त किया गया था।
ब्रिटिश पीएम के कट्टर समर्थक माने जाने वाले सुनक ने ब्रेग्जिट का पुरजोर समर्थन किया था। बोरिस जॉनसन के चुनाव अभियान में भी उनका अहम रोल रहा। कई मौके ऐसे भी आए जब टीवी डिबेट में बोरिस की जगह ऋषि ने हिस्सा लिया। इसको लेकर विपक्षी लेबर पार्टी ने सवाल भी उठाए थे और पूछा था कि असली पीएम कौन है।
ऋषि सुनक की उपलब्धियां (Achievements of Rishi Sunak)
ऋषि सुनक बोरिस जॉनसन सरकार में सबसे लोकप्रिय मंत्री के तौर पर देखे जाते थे। उन्हें अक्सर प्रेस ब्रीफिंग में सरकार का पक्ष रखते हुए पाया जाता था। सुनक ने कोरोनाकाल में कुछ ऐसे फैसले लिए जिससे उनकी लोकप्रियता में जबरदस्त इजाफा हुआ। उन्होंने लगभग हर वर्ग को सरकार की तरफ से राहत दी। होटल इंडस्ट्री को 15 हजार करोड़ की मदद और टूरिज्म इंडस्ट्री को 10 हजार करोड़ का पैकेज इसका उदाहरण है। इसके अलाव कर्मचारियों और स्वरोजगार वाले लोगों को भी कोरोना की दूसरी लहर के बाद बीते साल 2 लाख की सहायता राशि सरकार की ओर से दी गई। इन्हीं वजहों से लोग उनसे काफी खुश बताए जा रहे थे।
विवादों से भी रहा है नाता
जिस पार्टीगेट स्कैंडल में ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन को भारी फजीहत का सामना करना पड़ा, यहां तक कि उन्हें अपनी कुर्सी भी गंवानी पड़ी, उसकी आंच सुनक पर भी पड़ी। उन पर भी पार्टीगेट स्कैंडल में जुर्माना लगाया गया था। दरअसल कोरोना की पहली लहर के दौरान मई 2020 में ब्रिटिश पीएम के आधिकारिक आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट में शराब पार्टी की गई थी, जिसका खुलासा होने पर ब्रिटेन की राजनीति में बवाल मच गया था। बोरिस जॉनसन को इसे लेकर सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगनी पड़ी थी।
दूसरा विवाद टैक्स चोरी को लेकर है। लोकप्रियता के बावजूद ऋषि सुनक को पत्नी अक्षता पर लगे टैक्स चोरी के आरोपों के चलते आलोचना का सामना करना पड़ा था। दरअसल, अक्षता के पास ब्रिटेन की नागरिकता नहीं है। ब्रिटेन के कानून के अनुसार, अक्षता को ब्रिटेन से बाहर हुई कमाई पर यहां टैक्स देना नहीं पड़ता है। इस वजह से सुनक और अक्षता पर सवाल उठे थे।
अफ्रीका से ब्रिटेन आया था सुनक का परिवार
भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश पीएम बनने के प्रबल दावेदार के रूप में देखे जा रहे ऋषि सुनक का परिवार पहले भारत से ईस्ट अफ्रीका गया फिर वहां से ब्रिटेन आ गया था। ब्रिटेन के साउथैम्पटन में जन्मे 42 वर्षीय सुनक विंचेस्टर कॉलेज से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और फिलोसॉपी की पढ़ाई की। फिर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University)से एमबीए किया। सुनक की शादी इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता से हुई है। उनकी दो बेटी कृष्णा और अनुष्का हैं। सुनक 2017 में उस समय सुर्खियों में आए थे, जब इन्होंने ब्रिटिश संसद में गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी।