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गोबी रेगिस्तान में मजबूरी का जाम, यहां आए दिन होते रहते हैं हादसे
130 किलोमीटर लंबा जाम और उसे पार करने के लिए एक हफ्ते का इंतजार। मंगोलिया के हजारों ट्रक ड्राइवर इसी तरह रोजी रोटी कमाते हैं। कोयले से लदे हजारों ट्रक मंगोलिया से बाहर निकलने का इंतजार करते हैं। गोबी मरुस्थल से गुजरने वाली यह सड़क चीन की सीमा तक जाती है। असल में इस जाम की जह है बहुत ज्यादा कालाबाजारी। मंगोलिया के कस्टम नाके से हर दिन 700 ट्रक गुजरते हैं जहां पुलिस की सख्त चेकिंग के कारण 130 किलोमीटर तक लंबा ट्रैफिक जाम लग जाता है।
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यहां हर दिन हजारों लोग ट्रकों के साथ पहुंचते हैं। सबको पता होता है कि क्या होने वाला है। सो लंबे इंतजार के दौरान वे खाना पीना भी नाके के पास ही कर लेते हैं। जाम में खड़े ट्रकों की वजह से मंगोलिया जैसे गरीब देश में कई लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
वे खाना पीना और जरूरत की आम चीजें बेचते हैं। चूंकि इलाका पहाड़ी और रेगिस्तानी है सो यहां रात ढलते ही भीषण ठंड हो जाती है। रात में ठंड बढ़ते ही ड्राइवर ट्रक स्टार्ट कर देते हैं। इंजन की गर्मी और ट्रक के हीटिंग सिस्टम से उन्हें सहारा मिलता है। लेकिन इसकी वजह से अक्सर कुछ ट्रकों का डीजल भी खत्म हो जाता है। ऐसे में चलते फिरते डीजल पंप उनके पास पहुंचते हैं।
ट्रक ड्राइवरों को अक्सर चीन की सीमा के पास एक हफ्ते इंतजार करना पड़ता है। इस दौरान स्थानीय लोग उन्हें गर्म पानी भी बेचते हैं और उनके कपड़े भी धोते हैं। चीन में पर्यावरण संबंधी नियम कड़े होने के बाद कोयला खनन महंगा हो गया है। इसीलिए चीनी कंपनियां मंगोलिया से कोयला खरीद रही हैं।
उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंधों के कारण भी कोयले को लेकर चीन मंगोलिया पर ज्यादा निर्भर हो गया है। 200 किलोमीटर लंबे सफर में आए दिन हादसे होते रहते हैं। लंबे इंतजार और जोखिम भरे रास्ते पर गाड़ी चलाने के अलावा इन लोगों के पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं है।