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पूरी दुनिया में हल्ला: आ गई कोरोना की वैक्सीन, हर देश देखता रह गया

रूस की समाचार एजेंसी स्पूतनिक के अनुसार इंस्टिट्यूट फॉर ट्रांस्लेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नॉलॉजी के डायरेक्टर वादिम तरासोव ने दावा किया है कि रूस में कोरोना की पहली वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल पूरा कर लिया है और यह पूरी तरह सफल रहा है।

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Published on: 13 July 2020 9:28 AM GMT
पूरी दुनिया में हल्ला: आ गई कोरोना की वैक्सीन, हर देश देखता रह गया
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दुनिया में दहशत का पर्याय बने कोरोना के खात्मे के दिन नज़दीक हैं। रूसी विश्वविद्यालय की मानें तो उनके वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बना ली है। गौरतलब है कि नोवेल कोरोना वायरस से ब तक सवा करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और पूरी दुनिया में साड़े 5 लाख से ज्यादा लोग पनी जान गंवा चुके हैं।

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क्या है रूस का दावा

रूस की समाचार एजेंसी स्पूतनिक के अनुसार इंस्टिट्यूट फॉर ट्रांस्लेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नॉलॉजी के डायरेक्टर वादिम तरासोव ने दावा किया है कि रूस में कोरोना की पहली वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल पूरा कर लिया है और यह पूरी तरह सफल रहा है।तरासोव ने जानकारी दी कि मॉस्को की मेडिकल यूनिवर्सिटी सेचेनोफ ने यह ट्रायल किए हैं और ट्रायल में वैक्सीन को पूरी तरह सुरक्षित पाया गया है।

रूस की एंबेसी ने अपने ट्विटर हैंडल से भी सेचेनोफ यूनिवर्सिटी की इस सफलता को शेयर किया है और वैज्ञानिक एलेना स्मोलयारचुक के हवाले से जानकारी दी है कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित पाई गई है और सभी वालंटियर्स को 15 से 20 जुलाई के बीच डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। रूस की इस सरकारी यूनिवर्सिटी ने 18 जून को वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल शुरु किए थे जिसमें यह निर्धारित करना था कि यह वैक्सीन इंसानों के इस्तेमाल के लिए सुरक्षित है या नहीं।

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कब तक आएगी वैक्सीन बाज़ार में

रूसी एजेंसी और अधिकारियों ने वैक्सीन के सफल परीक्षण की सूचना तो दी लेकिन इस बात पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है कि यह बाज़ार में कब तक आ सकेगी।सफल परीक्षण के बाद माना जा रहा है कि बहुत जल्द इसे आम लोगों के इस्तेमाल में बाज़ार में उतारा जा सकता है।

और कहां कहां चल रही हैं वैक्सीन बनाने की कोशिशे

कोरोना का संक्रमण अब 188 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है। ऐसे में अमरीका ,ब्रिटेन ,इस्त्राइल,भारत ,चीन में वैक्सीन बनाने का काम विभिन्न चरणों में चल रहा है ।इनमें सबसे आगे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को माना जा रहा है। इसमें भारतीय संस्थान और कंपनियां भी साझेदार हैं वहीं भारत में भी वैक्सीन का ह्यूमेन ट्रायल चल रहा है। चीन में भी वैक्सीन रिसर्च में बड़े दावे किए हैं पर इन दावों की सच्चाई को लेकर अभी संदेह बना हुआ है।

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