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India-Russia Relations: रूस ने किया भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने का समर्थन, अमेरिका ने भी की वकालत
India-Russia Relations: रूस से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने की वकालत की थी।
India-Russia Relations: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के मुद्दे पर भारत को वैश्विक समर्थन बढ़ता जा रहा है। अमेरिका के बाद रूस ने भी भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने की वकालत की है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का कहना है कि ब्राजील के साथ भारत को भी जल्द से जल्द स्थायी परिषद का सदस्य बनाया जाना चाहिए।
रूस से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने की वकालत की थी। इस तरह भारत को दुनिया की दो बड़ी ताकतों का समर्थन हासिल हो गया है। कूटनीतिक मामलों के जानकार इसे भारत की बड़ी कामयाबी मान रहे हैं।
भारत को स्थायी सदस्यता देने की मांग
रूस और भारत के बीच लंबे समय से अच्छे रिश्ते रहे हैं। यूक्रेन के खिलाफ रूस की ओर से जंग छेड़े जाने के बावजूद दोनों देशों के बीच सहज रिश्ते बने हुए हैं। अमेरिका की अगुवाई में पश्चिमी देशों की ओर से रूस के खिलाफ अभियान छेड़े जाने के बावजूद भारत ने स्वतंत्र विदेश नीति अपनाते हुए रूस के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखे हैं। अब रूस की ओर से भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने की जोरदार वकालत की गई है।
रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने कहा कि सुरक्षा परिषद में एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कदम के जरिए सुरक्षा परिषद को और ज्यादा लोकतांत्रिक स्वरूप प्रदान किया जा सकता है। उन्होंने खुलकर भारत का नाम लेते हुए कहा कि ब्राजील के साथ भारत को स्थायी सदस्य बनाया जाना चाहिए।
इससे पहले भारत और 31 अन्य देशों की ओर से भी सुरक्षा परिषद का विस्तार किए जाने की मांग की गई थी। इन देशों की ओर से जारी किए गए संयुक्त बयान में मांग की गई थी कि स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में सुरक्षा परिषद का विस्तार होना चाहिए।
अमेरिका भी भारत के पक्ष में
रूस के विदेश मंत्री से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी खुलकर भारत के पक्ष में अपनी राय जाहिर कर चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी सुरक्षा परिषद के विस्तार पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को भी परिषद की स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए। भारत के साथ उन्होंने जर्मनी और जापान को भी परिषद का स्थायी सदस्य बनाने की वकालत की है।
हाल में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत की दावेदारी का खुलकर समर्थन किया था। उनका कहना था कि सुरक्षा परिषद को और ज्यादा समावेशी बनाए जाने की जरूरत है। अमेरिकी राष्ट्रपति के मुताबिक मौजूदा समय की जरूरतें बदल चुकी हैं और इस लिहाज से सुरक्षा परिषद का विस्तार किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि वीटो का इस्तेमाल भी काफी सोच समझकर किया जाना चाहिए ताकि सुरक्षा परिषद की पूरी दुनिया में विश्वसनीयता बनी रहे।
भारत की ओर से मजबूत दावेदारी
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान सुरक्षा परिषद की कार्यप्रणाली में और सुधार लाए जाने पर जोर दिया था। उन्होंने भारत की ओर से सुरक्षा परिषद की मजबूत दावेदारी पेश करते हुए कहा कि हमारा देश वैश्विक स्तर पर और बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। उनका कहना था कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सुरक्षा परिषद में गंभीर बातचीत होनी चाहिए। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों को इस गंभीर मुद्दे पर खुले दिल से बातचीत करनी चाहिए और बाधाएं खड़ी करने से बाज आना चाहिए।।