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यूक्रेन में अभी भी असमंजस

Ukraine News : रूसी नेता व्लादिमीर पूतिन ने यह घोषणा तो कर दी है कि वे अपनी कुछ फौजों को यूक्रेन-सीमांत से हटा रहे हैं, लेकिन उनकी बात पर कोई विश्वास नहीं कर रहा है।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Published on: 17 Feb 2022 11:08 AM IST
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रूसी नेता व्लादिमीर पूतिनरूसी नेता व्लादिमीर पूतिन (Social Media)

Ukraine news : यूक्रेन का माहौल अभी तक कुछ ऐसा बना हुआ है कि वहां क्या होनेवाला है, यह कोई भी निश्चित रुप से नहीं कह सकता। रूसी नेता व्लादिमीर पूतिन ने यह घोषणा तो कर दी है कि वे अपनी कुछ फौजों को यूक्रेन-सीमांत से हटा रहे हैंं, लेकिन उनकी बात पर कोई विश्वास नहीं कर रहा है। भारत के विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन में पढ़ रहे अपने 20 हजार छात्रों को सलाह दी है कि वे कुछ दिनों के लिए भारत चले आएं। उधर 'नाटो' के महासचिव जेंस स्टोलनबर्ग ने रूसी फौजों की वापसी को अभी एक बयान भर बताया है। उन्होंने कहा है कि वे उनकी वापसी होते हुए देखेंगे, तभी पूतिन के बयान पर भरोसा करेंगे।

पहले भी रूसी फौजी वापिस गए हैं लेकिन अभी की तरह वे अपने हथियार वहीं छोड़ जाते हैं ताकि दुबारा सीना ठोकने में उन्हें जरा भी देर न लगे। इसी मौके पर यूक्रेन की सरकार ने दावा किया है कि उनके रक्षा मंत्रालय और दो बैंकों पर कल जो साइबर हमला हुआ है, वह रूसियों ने ही करवाया है। पूतिन की घोषणा पर अमेरिका और कुछ नाटो सदस्यों को अभी भी भरोसा नहीं हो रहा है लेकिन रूसी सरकार के प्रवक्ता ने आधिकारिक घोषणा की है कि रूस का इरादा हमला करने का बिल्कुल नहीं है। वह सिर्फ एक बात चाहता है। वह यह कि यूक्रेन को नाटो में शामिल न किया जाए। यह ऐसा मुद्दा है, जिस पर फ्रांस, जर्मनी, रूस और यूक्रेन ने भी 2015 में एक समझौते के द्वारा सहमति जताई थी।

यूरोप में मचा हड़कंप

रूसी फौजों के आक्रामक तेवरों से यूरोप में हड़कंप मचा हुआ है। पहले फ्रांस के राष्ट्रपति मेक्रों ने पूतिन से बात की और अब जर्मनी के चांसलर ओलफ शोल्ज खुद पूतिन से मिलने मास्को गए। इसके पहले वे यूक्रेन की राजधानी कीव जाकर राष्ट्रपति व्लोदीमीर झेलेंस्की से भी मिले। वे एक सच्चे मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे थे। इसमें उनका राष्ट्रहित निहित है, क्योंकि युद्ध छिड़ गया तो और कुछ हो या न हो, जर्मनी को रूसी तेल और गैस की सप्लाय बंद हो जाएगी। उसकी अर्थव्यवस्था घुटनों के बल बैठ जाएगी।

ऐसा लगता है कि शोल्ज की कोशिशों का असर पूतिन पर हुआ जरुर है। शोल्ज ने पूतिन को आश्वस्त किया होगा कि वे यूक्रेन को नाटो में मिलाने से मना करेंगे। यों भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूतिन से चली अपनी बातचीत में भी कहा था कि नाटो की सदस्य-संख्या बढ़ाने का उनका कोई विचार नहीं है। और अमेरिकी सरकार ने यह भी साफ-साफ कहा था कि वह यूक्रेन में दूरमारक प्रक्षेपास्त्र तैनात नहीं करेगा। लंदन में यूक्रेन के राजदूत ने भी कहा है कि यूक्रेन अब नाटो में शामिल होने के इरादे को छोड़नेवाला है। राष्ट्रपति झेलेंस्की ने भी कहा है नाटो की सदस्यता उनके लिए ''एक सपने की तरह है।''

यूरोप, अमेरिका और रूस तीनों को पता है कि यदि यूक्रेन को लेकर युद्ध छिड़ गया तो वह द्वितीय महायुद्ध से भी अधिक भयंकर हो सकता है। ऐसी स्थिति में अब यह मामला थोड़ा ठंडा पड़ता दिखाई पड़ रहा है लेकिन रूसी संसद ने अभी एक प्रस्ताव पारित करके कहा है कि यूक्रेन के जिन इलाकों में अलगाव की मांग हो रही है, उन्हें रूस अपने साथ मिला ले। लगता है, रूस, कुल मिलाकर जबर्दस्त दबाव की कूटनीति कर रहा है।

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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