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NATO के विस्तार के कारण बढ़ा रूस-यूक्रेन का संकट, विदेश मंत्री जयशंकर का कूटनीतिक समाधान पर जोर

Russia-Ukraine Crisis: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि नाटो के विस्तार और यूरोपीय देशों के साथ रूस के बदलते रिश्तों की वजह से यह संकट पैदा हुआ है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 23 Feb 2022 12:16 PM IST
NATO के विस्तार के कारण बढ़ा रूस-यूक्रेन का संकट, विदेश मंत्री जयशंकर का कूटनीतिक समाधान पर जोर
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विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Russia-Ukraine Crisis: रूस और यूक्रेन के बीच जारी विवाद (Russia-Ukraine Tension) के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) कड़ी कार्रवाई करने पर अड़े हुए हैं। रूस की ओर से सैन्य कार्रवाई शुरू किए जाने के बाद पूरी दुनिया में इसकी प्रतिक्रिया दिख रही है। पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं। फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका जैसे बड़े देशों ने खुलकर यूक्रेन की वकालत की है और उसकी सैन्य कार्रवाई को पूरी तरह गलत बताया है।

इस बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S. Jaishankar) ने इस बाबत महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि नाटो (NATO) के विस्तार और यूरोपीय देशों के साथ रूस के बदलते रिश्तों की वजह से यह संकट पैदा हुआ है। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच तनाव की वजह सोवियत के बाद की सियासत में भी छिपी हुई है।

भारत और फ्रांस कूटनीतिक समाधान के पक्ष में

फ्रांस के एक प्रमुख समाचार पत्र ले फिगारो को दिए गए साक्षात्कार में विदेश मंत्री ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि पिछले 30 वर्षों के दौरान जो जटिल परिस्थितियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैदा हुई हैं,उनके कारण रूस और यूक्रेन के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत और फ्रांस दोनों देशों की ओर से इस समस्या के कूटनीतिक समाधान की मांग की गई है और इसके जरिए ही दोनों देशों के बीच तनाव को कम किया जा सकता है। भारत शुरुआत से ही शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए इस विवाद को सुलझाने की मांग करता रहा है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

फ्रांस के साथ रिश्ते सबसे मजबूत दौर में

फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में अपनी राय रखते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फ्रांस के साथ भारत के मजबूत रिश्तों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में पूरी दुनिया के सामने समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक काफी चुनौतियां हैं और इन चुनौतियों का सामना करने में भारत फ्रांस को अपने मजबूत साझीदार के रूप में देखता है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद मौजूदा समय में भारत और फ्रांस के रिश्ते सबसे मजबूत स्थिति में पहुंच चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ्रांस समय-समय पर भारत का सहयोग और समर्थन करता रहा है।

ताइवान और यूक्रेन के हालात पूरी तरह अलग

विदेश मंत्री ने कहा कि ताइवान और यूक्रेन की तुलना किया जाना उचित नहीं है क्योंकि दोनों के हालात पूरी तरह अलग हैं। दोनों समस्याओं की पृष्ठभूमि भी पूरी तरह अलग है। ऐसे में दोनों की तुलना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में भारत चीन के साथ सभी बिंदुओं का समाधान करने की कोशिश में जुटा हुआ है। दोनों देशों के बीच सैन्य दौर की तेरह वार्ताएं हो चुकी हैं और इन वार्ताओं के दौरान टकराव के तमाम बिंदुओं का समाधान भी किया गया है।

विदेश मंत्री ने कहा कि जिन बिंदुओं को लेकर दोनों देशों के बीच अभी भी टकराव बना हुआ है, उनके समाधान की कोशिश की जा रही है। उन्होंने भारत के रवैए को स्पष्ट करते हुए कहा वास्तविक नियंत्रण रेखा में एकतरफा बदलाव हमें किसी भी सूरत में मंजूर नहीं होगा। इस मामले में भारत किसी भी प्रकार के दबाव में आने वाला नहीं है।

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