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Russia Ukraine Update: यूक्रेन की लड़ाई में उतरे दुनियाभर के लड़ाके, अमेरिकियों को यूक्रेन छोड़ने की हिदायत
Russia Ukraine Update: यूक्रेन में लड़ने के लिए कई अमेरिकी नागरिकों ने निजी प्रयास से ग्रुप बनाये हैं, लोगों को एकत्र किया है और लड़ाई के मैदान तक जाने के लिए खर्चे का इंतजाम किया है।
Russia Ukraine Update: रूस से लड़ाई में यूक्रेन की मदद करने वाले अंतरराष्ट्रीय लड़ाकों की संख्या हर दिन बढ़ रही है। यूक्रेनी सरकार की रिपोर्ट है कि 16,000 से अधिक विदेशी पहले ही आ चुके हैं, जिनमें कुछ अमेरिकी भी शामिल हैं।
यूक्रेन में लड़ने के लिए कई अमेरिकी नागरिकों ने निजी प्रयास से ग्रुप बनाये हैं, लोगों को एकत्र किया है और लड़ाई के मैदान तक जाने के लिए खर्चे का इंतजाम किया है। बहुत से लोगों के लिए ये एडवेंचर है जिसमें वह असली बन्दूकों से असली लड़ाई में शरीक हो सकते हैं। ऐसे ही एक अमेरिकी नागरिक हैं एंड्री पेंचक। वह एक ट्रक ड्राइवर हैं। वह युद्ध क्षेत्र में जाने के लिए तैयार तीन अन्य अमेरिकियों के साथ तैयार हैं। उन्होंने अपने हवाई जहाज के टिकटों के लिए व्यक्तिगत बचत का उपयोग किया है।
अमेरिकी यूक्रेन में हैं, वे यूक्रेन छोड़ दें
व्हाइट हाउस का कहना है कि अमेरिकी सेना रूस से लड़ने के लिए यूक्रेन में नहीं जा रही है लेकिन पेंचक जैसे आम और साधारण अमेरिकियों को यूक्रेन जाने से प्रतिबंधित भी नहीं किया गया है। हालांकि अमेरिकी सरकार इसकी अनुशंसा भी नहीं करती है। यूक्रेन में कार्यवाहक अमेरिकी राजदूत क्रिस्टीना केविएन ने कहा है कि - हम सभी अमेरिकियों को अभी यूक्रेन की यात्रा नहीं करने के लिए कह रहे हैं, और जो अमेरिकी यूक्रेन में हैं, वे यूक्रेन छोड़ दें, क्योंकि यह सुरक्षित नहीं है।
यूक्रेन में हथियार उठाने वालों में क्रिस्टोफर कलास नामक एक बेकरी कर्मचारी भी हैं जो न्यूयॉर्क से यूक्रेन पहुंच गए हैं। अब क्रिस्टोफर मशीनगन लिए और फुल बॉडी आर्मर पहने यूक्रेन में तैनात हैं। वे कहते हैं कि वह दूसरों की मदद करने के लिए यहां आए हैं।
हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के सदस्य सिनेटर ग्रेगरी मीक्स और माइकल मैककॉल ने युद्ध को करीब से देखने के लिए यूक्रेन की सीमा की यात्रा की है। मीक्स ने कहा कि जैसा कि राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने हमसे कहा, यह केवल यूक्रेनी लोगों की लड़ाई नहीं है, यह हम सभी की लड़ाई है।
इस बीच रूस की सेना ने विदेशी लड़ाकों को चेतावनी दी कि उन्हें "भाड़े के सैनिकों" के रूप में माना जाएगा, न कि "अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून" के तहत संरक्षित लड़ाकों के रूप में।