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Russia-Ukrain War: यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने में मदद करें पूर्वी यूरोपीय देश, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर जताया आभार
यूक्रेन का पड़ोसी देश हंगरी से लगातार भारतीय छात्रों का रेस्क्यू चलाया जा रहा है।
Russia-Ukrain War: भारत के मध्यमवर्गीय परिवार के छात्रों की पढ़ाई के लिए आकर्षक गंतव्य स्थल रहे यूक्रेन अचानक दुनिया के सबसे असुरक्षित मुल्कों में तब्दिल हो जाएगा, इसकी कल्पना न तो वहां पढ़ने वाले छात्रों ने की होगी और न ही भारत सरकार ने। लंबे समय से जारी रूस औऱ यूक्रेन के बीच तनाव ने जैसे ही यूध्द की शक्ल अख्तियार की, नई दिल्ली के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींचने लगीं। इस बीच यूक्रेन द्वारा वायुसीमा बंद किए जाने के बाद ये समस्या और गंभीर हो गई। ऐसी परिस्थिति में भारत ने यूक्रेन के पड़ोसी मुल्कों के जरिए वहां फंसे भारतीय छात्रों का रेस्क्यू मिशन चलाया, जो अब भी जारी है। नई दिल्ली को इस दौरान पूर्वी यूरोपीय देशों की तरफ से अच्छा रिस्पांस भी मिला।
विदेशमंत्री जयशंकर ने ट्वीट कर जताया आभार
यूक्रेन का पड़ोसी देश हंगरी से लगातार भारतीय छात्रों का रेस्क्यू चलाया जा रहा है। यूक्रेनी स्थित भारतीय दूतावास के जरिए छात्रों को पहले यूक्रेन-हंगरी सीमा पर पहुंचाया जाता है, फिर वहां से हंगरी स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी उन्हें संबंधित स्थान पर ले जाते हैं। भारत के इस अभियान में हंगरी द्वारा काफी सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
हंगरी के इस सहयोग पर भारतीय विदेशमंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट करते हुए लिखा, अब तक प्रदान की गई निकासी सहायता के लिए धन्यवाद। इसके अलावा उन्होंने हंगरी-यूक्रेन सीमा पर और सहयोग का अनुरोध भी किया।
इससे पहले विदेशमंत्री एस जयशंकर ने मोल्दोवा के विदेश मंत्री निकू पोपेस्कु को फोन कर यूक्रेन-मोल्दोवा सीमा पर भारतीय नागरिकों के प्रवेश की सुविधा के लिए समर्थन मांगा था। जयशंकर ने ट्वीट कर उनकी प्रतिक्रिया के बारे में बताते हुए लिखा, उनकी तैयार प्रतिक्रिया और मजबूत समर्थन की सराहना करता हूं। कल विदेश मंत्रालय का एक प्रतिनिधि मोल्दोवा पहुंचेंगे।
इस बीच यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास ने वहां फंसे भारतीय नागरिकों को भरोसा देते हुए कहा कि वे लगातार यूक्रेन के पड़ोसी देशों के साथ और अधिक सीमाएं खुलवाने का प्रयत्न कर रहे हैं। ताकि जल्द से जल्द लोगों को यहां से बाहर निकाला जाए।