Ukraine में मारे गए भारतीय छात्र नवीन की बॉडी जल्द आएगी भारत, सीएम बोम्मई ने तारीख की दी जानकारी

यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध में मारे गए भारतीय छात्र नवीन का शव जल्द भारत आएगा। मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने जानकारी देते हुए बताया 21 मार्च को बेंगलुरू एयरपोर्ट पर पहुंचेगा।

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Report Krishna ChaudharyPublished By Divyanshu Rao
Published on: 18 March 2022 5:35 PM GMT
Russia Ukraine War
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भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया) 

Russia Ukraine War: यूक्रेन पर अचानक शुरू हुए रूसी हमले ने वहां पढ़ रहे हजारों भारतीय छात्रों की जिंदगी एक झटके में मुश्किल में डाल दी। यूक्रेन की सड़कों पर भारी गोलीबारी और इमारतों पर भारी बमबारी से बचने के लिए भारतीय छात्रों ने बंकरों में शरण ले लिया। इसी दौरान एक भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा कुछ जरूरी काम के लिए अपने बंकर से निकला और गोलीबारी का शिकार हो गया। नवीन का शव 21 मार्च यानि सोमवार को भारत आएगा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि यूक्रेन में गोलीबारी में मारे गए भारतीय छात्र 21 वर्षीय नवीन का शव 21 मार्च को बेंगलुरू एयरपोर्ट पर पहुंचेगा।

मेडिकल के छात्र थे नवीन

कर्नाटक के हावेड़ी जिले के रहने वाले 21 वर्षीय नवीन शेखरप्पा यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खार्कीव में रहते थे। ये उन शहरों में शुमार है जहां रूसी सेना ने सबसे अधिक बमबारी की है। नवीन खार्कीव मेडिकल विश्वविद्यालय में चौथे और अंतिम साल के छात्र थे। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, उस दिन वो अपने बंकर से बाहर खाने-पीने का सामान और पैसे निकालने के लिए निकले थे। इसी दौरान वे गोलीबारी के चपेट में आ गए। मौत के बाद से नवीन की बॉडी खार्कीव मेडिकल यूनिवर्सिटी की मॉर्चुरी में ही रखी हुई थी। भारत ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी औऱ रूस एवं यूक्रेन से भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने को कहा था।

भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा (फोटो:सोशल मीडिया)

भारत सरकार ने शुरू से ही नवीन के शव को भारत लाने की कवायद में जुट गई थी। जो अब सफल होता नजर आ रहा है। दरअसल यूक्रेन में अब तक सैंकड़ों नागरिक युध्द की भेंट चढ़ चुके हैं। भारत ने ऑपरेशन गंगा के जरिए वहां फंसे 22500 भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी करवा चुकी है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक यूक्रेन में अब 50 के करीब भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं। जिनमें से केवल 15-20 ही फिलहाल आने को तैयार हैं, भारत सरकार इन्हें भी जल्द से जल्द लाने की कवायद में जुटी हुई है।

Divyanshu Rao

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