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Russia-Ukraine War: यूक्रेन लौटने लगे मेडिकल स्टूडेंट्स, कोर्स पूरा करने का कोई दूसरा जरिया नहीं

Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध के सात महीने बाद, लगभग 20,000 भारतीय छात्रों में से कई अब अपने कॉलेजों में लौट रहे हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 16 Sept 2022 7:04 PM IST
Russia-Ukraine War
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Russia-Ukraine War (image social media)

Russia-Ukraine War Latest Update: रूस-यूक्रेन युद्ध के सात महीने बाद, लगभग 20,000 भारतीय छात्रों में से कई अब अपने कॉलेजों में लौट रहे हैं। इन छात्रों में ज्यादातर यूक्रेनी चिकित्सा विश्वविद्यालयों में चौथे, पांचवें और छठे वर्ष में पढ़ रहे हैं। इन छात्रों का कहना है कि उनके पास बहुत कम विकल्प बचा था। अन्य देशों के विश्वविद्यालयों में स्थानांतरण में शामिल व्यावहारिक कठिनाइयों और अंतिम वर्ष के मेडिकल छात्रों के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए अनिवार्यता को देखते हुए उनके पास यूक्रेन लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

यूक्रेन से छात्र ज्यादातर पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया या रोमानिया के रास्ते पलायन कर गए थे। लेकिन अब वापसी में वे यूक्रेन के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक छोटे से देश मोल्दोवा के माध्यम से ऐसा कर रहे हैं जो ई-वीजा जारी कर रहा है। अधिकांश छात्र यूक्रेन के पश्चिम में स्थित ल्वीव, इवानो-फ्रैंकिव्स्क और विन्नीशिया शहरों में लौट रहे हैं। छात्रों के अनुसार ये शहर तुलनात्मक रूप से सुरक्षित और युद्ध क्षेत्रों से दूर हैं। यूक्रेन के ऊपर हवाई क्षेत्र अभी भी बंद है, इसलिए छात्र दिल्ली से इस्तांबुल जा रहे हैं और वहां आठ घंटे के ठहराव के बाद मोल्दोवा की राजधानी चिसीनाउ के लिए उड़ान भरते हैं।

ये छात्र मार्च में भारत लौटे थे। इन छात्रों का भाग्य अनिश्चित था क्योंकि भारत के मेडिकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में उन्हें समायोजित करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसके अलावा ऑनलाइन मेडिकल डिग्री भारत में मान्य नहीं है। हालांकि, पिछले सप्ताह जारी एक नोटिस में, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने भारतीय छात्रों को यूक्रेन द्वारा प्रस्तावित शैक्षणिक गतिशीलता कार्यक्रम का विकल्प चुनने की अनुमति दी, जो उन्हें अन्य देशों के विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करने और अपनी पढ़ाई पूरी करने की अनुमति देता है। हालांकि, छात्रों का कहना है कि इस तरह के स्थानांतरण में व्यावहारिक बाधाएं हैं।

छात्रों के अनुसार, एजेंटों ने दूसरे देशों के विश्वविद्यालयों में स्थानांतरण के लिए भारी शुल्क लिया है। इसके अलावा, अन्य यूरोपीय देशों में पाठ्यक्रम शुल्क यूक्रेन की तुलना में बहुत अधिक है। इसलिये सबसे अच्छा विकल्प यूक्रेन ही लौटना चाह रहा था। यूक्रेनी विश्वविद्यालयों में स्कोरिंग और मूल्यांकन प्रणाली अन्य देशों से अलग है। विषय और यहां तक कि पाठ्यक्रम अवधि भी अलग-अलग हैं।

उदाहरण के लिए, यहां एमबीबीएस को एमडी कहा जाता है और यह भारत के विपरीत छह साल का कोर्स है, जहां यह पांच साल के लिए होता है। इन्हीं सहूलियत के चलते और यूक्रेनी डिग्री के आधार पर यूरोप में प्रवेश करने की चाहत की वजह से छात्र यूक्रेन पढ़ने जाते हैं। बहुत कम छात्रों की मंशा भारत लौट कर डॉक्टरी करने की होती है।

Prashant Dixit

Prashant Dixit

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