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Russia-Ukraine War: शांति वार्ता के लिए भारत की मध्यस्थता स्वीकार, रूसी विदेश मंत्री का बयान

Russia-Ukraine War: पत्रकारों से बातचीत के क्रम में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस औऱ यूक्रेन के बीच वार्ता में भारत की मध्यस्थता का समर्थन करेंगे।

Krishna Chaudhary
Written By Krishna ChaudharyPublished By Prashant Dixit
Published on: 1 April 2022 2:30 PM GMT (Updated on: 1 April 2022 2:39 PM GMT)
Russia and Indian Foreign Ministers
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Russia and Indian Foreign Ministers 

Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े भयानक युद्ध के बीच रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव दो दिवसीय दौरे पर भारत आए हैं। शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंचे लावरोव ने अपने समकक्ष और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता भी हई। वार्ता के बाद पत्रकारों से बातचीत के क्रम में रूसी विदेश मंत्री ने बड़ा बयान दिया है। सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस औऱ यूक्रेन के बीच वार्ता में भारत की मध्यस्थता का समर्थन करेंगे।

भारत बन सकता है मध्यस्थ

रूस औऱ यूक्रेन के बीच कई दौर की वार्ता बेपटरी होने के बाद युद्ध को लेकर संकट और गहरा गया है। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के कड़े रवैये ने पश्चिम और अमेरिका के तमाम कोशिशों को असफल साबित कर दिया है। इस बीच भारत दौरे पर पहुंचे रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शांति वार्ता में भारत की भूमिका बड़ा बयान दिया है। रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को खत्म करने में भारत मध्यस्थ की भूमिका अदा कर सकता है।

लावरोव ने कहा कि भारत एक गंभीर औऱ महत्वपूर्ण देश है। यदि भारत समस्या को खत्म करने वाली भूमिका निभाता है तो हम भारत की ऐसी पहल का समर्थन करेंगे। उन्होंने वेस्ट पर हमला बोलते हुए कि पश्चिमी देशों ने अपनी जिम्मेदारी की अनदेखी की है।

युद्ध शब्द पर जताई आपत्ति

रूस लगातार यूक्रेन में अपनी कार्रवाई को युद्ध कहने से बचता रहा है। उसने कई मौकों पर इसे युद्ध के बजाय विशेष ऑपरेशन कहा है। नई दिल्ली में भी रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान एकबार फिर दोहराते हुए कहा कि आपने इसे युद्ध कहा है जो सच नहीं है। यह एक विशेष ऑपरेशन है, जिसके तहत सैन्य बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया जा रहा है। लावरोव ने कहा कि इसका मकसद कीव शासन को रूस के लिए कोई भी खतरा पेश करने की क्षमता के निर्माण से वंचित करना है। बता दें कि पुतिन सरकार ने रूस के अंदर भी इस सैन्य कार्रवाई को युद्ध कहने पर पांबदी लगा दी है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है। बीते दिनों ऐसा कहने वाले कई रूसी नागिरकों को हिरासत में भी लिया जा चुका है।

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