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Russian Anti Satellite Missile : रूस ने मिसाइल से सैटेलाइट ध्वस्त की, बाल-बाल बचे अन्तरिक्ष यात्री

Russian Anti Satellite Missile : रूस के मिसाइल परीक्षण ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंतरिक्ष यात्रियों की जान को खतरे में डाल दिया जिन्हें थोड़ी देर के लिए सुरक्षित स्थान पर शरण लेनी पड़ी।

Neel Mani Lal
Report Neel Mani LalPublished By Vidushi Mishra
Published on: 16 Nov 2021 2:47 PM IST
russia anti satellite missile
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रूसी मिसाइल (फोटो- सोशल मीडिया)

Russian Anti Satellite Missile : रूस ने अपनी मिसाइल टेक्नोलॉजी का परीक्षण कर अपनी ही एक पुरानी सैटेलाइट को को ध्वस्त कर दिया है। लेकिन इस परीक्षण ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंतरिक्ष यात्रियों की जान को खतरे में डाल दिया जिन्हें थोड़ी देर के लिए सुरक्षित स्थान पर शरण लेनी पड़ी। रूस के परीक्षण से अन्तरिक्ष में भारी मात्रा में खतरनाक मलबा फ़ैल गया है जो बरसों तक यूं ही घूमता रहेगा।

रूस ने 1982 में अन्तरिक्ष में 2200 किलो वजनी जासूसी सैटेलाइट 'कॉसमॉस 1408' भेजी थी। लेकिन समय के साथ इसका काम पूरा हो गया और ये बेकार हो गयी। रूस ने अन्तरिक्ष की सैन्य तैयारी के क्रम में अपनी नई मिसाइल डेवलप की है और इसकी टेस्टिंग कॉसमॉस सैटेलाईट को ध्वस्त करने में की गयी।

मिसाइल ने सैटेलाइट को तो ध्वस्त कर दिया लेकिन उसके टुकड़े चारों और बिखर गए। इसपर अमेरिका ने कहा है कि अंतरिक्ष में मलबे के कारण अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के परिचालन में बाधा आई और वहां मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को आपात स्थिति के लिए तैयार होना पड़ा।

इस घटना के लिए अमेरिका ने रूस के मिसाइल टेस्ट को जिम्मेदार ठहराते हुए उसकी आलोचना की है। अमेरिका ने कहा है कि रूस ने एक खतरनाक और गैरजिम्मेदार मिसाइल परीक्षण कर अपने ही एक उपग्रह को ध्वस्त कर दिया लेकिन इसके मलबे ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र को खतरा पैदा कर दिया। अमेरिका को इस परीक्षण के बारे में पहले से नहीं बताया गया था।

चौथा परीक्षण

रूस का कारनामा, इस तरह का यह चौथा परीक्षण था। इससे अंतरिक्ष में मार कर सकने वाले हथियारों की होड़ को बढ़ावा मिल सकता है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने एक बयान जारी कर कहा है कि 15 नवंबर को रूस ने गैरजिम्मेदाराना तरीके से एक उपग्रह-रोधी मिसाइल का परीक्षण अपने ही एक उपग्रह के खिलाफ किया, इस परीक्षण में मलबे के 1,500 से ज्यादा बड़े टुकड़े और हजारों छोटे-छोटे टुकड़े पैदा हुए।

ब्लिंकेन ने कहा कि खतरा टला नहीं है। इस खतरनाक और गैर जिम्मेदाराना परीक्षण के कारण लंबे समय तक कक्षा में रहने वाला मलब पैदा हुआ है जो उपग्रहों और अंतरिक्ष में अन्य उपकरणों के लिए दशकों तक खतरा बना रहेगा। रूस दावे तो करता है कि वह अंतरिक्ष में हथियार नहीं बढ़ा रहा है लेकिन इन दावों के उलट वह अंतरिक्ष के आने वाले लंबे समय तक खोज और अनुसंधान के प्रयोग को खतरे में डाल रहा है।

नासा ने रूस की हरकत पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा है कि ऐसा कभी सोचा भी नहीं गया था कि रूस आईएसएस में मौजूद न सिर्फ अन्य अन्तरिक्ष यात्रियों बल्कि अपने खुद के यात्रियों की जिन्दगी खतरे में डालेगा।

सात यात्री मौजूद हैं आईएसएस में

आईएसएस पर इन दिनों चार अमेरिकी, एक जर्मन और दो रूसी अंतरिक्ष यात्री काम कर रहे हैं जिन्हें मलबे के कारण अपने वापसी वाहनों में शरण लेनी पड़ी। यह एक आपातकालीन व्यवस्था है जिसमें अंतरिक्ष यात्री किसी तरह का खतरा होने पर उन वाहनों में चले जाते हैं जिनके जरिए उन्हें पृथ्वी पर लौटाया जा सके।

मिसाइल परीक्षण के दौरान सभी अन्तरिक्ष यात्रियों को कहा गया कि वे बाहरी मौड्यूल के सभी द्वार बंद करके सुरक्षा के लिए सोयूज़ एमएस-19 और क्रू ड्रैगन कैप्सूल में चले जाएँ। सातों अन्तरिक्ष यात्री वहां चले गए और दो घंटे तक रहे। चूँकि मलबा और धूल का गुबार हर 90 मिनट पर आईएसएस के रास्ते में आयेगा सो आईएसएस के कुछ हिस्से बंद कर दिए गए हैं।

अन्तरिक्ष में हथियारों की होड़

रूसी का उपग्रह-रोधी हथियार अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित मिसाइल है जो कुछ ही देशों के पास हैं। पिछली बार ऐसा परीक्षण भारत ने 2019 में किया था जिससे बड़ी मात्रा में अंतरिक्षीय मलबा पैदा हुआ था जिसके कारण अमेरिका ने भारत की आलोचना की थी। इससे पहले 2007 में चीन ने और फिर अमेरिका ने 2008 में ऐसा ही परीक्षण किया था। अन्तरिक्ष में मौजूद मलबा दशकों तक मौजूद रहेगा और बेहद खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है।



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Vidushi Mishra

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