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आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए सऊदी प्रशासकों को सज़ा-ए-मौत सुनाई जाए -मौलाना कल्बे जवाद नक़वी

हाल ही में पाकिस्तान के पेशावर शहर की जामा मस्जिद में हुए बम धमाके में शियों को निशाना बनाया गया।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 14 March 2022 2:55 PM GMT (Updated on: 14 March 2022 2:56 PM GMT)
आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए सऊदी प्रशासकों को सज़ा-ए-मौत सुनाई जाए -मौलाना कल्बे जवाद नक़वी
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: मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने सऊदी अरब में 41 निर्दोष शियों की फांसी की कड़ी निंदा करते हुए सऊदी सरकार के इस क़दम को खुला आतंकवाद क़रार दिया। मौलाना ने कहा कि दुनिया भर से शियों के नरसंहार की आने वाली खबरें अफ़सोस नाक और दिलों को बरमा देने वालीं हैं।

हाल ही में पाकिस्तान के पेशावर शहर की जामा मस्जिद में हुए बम धमाके में शियों को निशाना बनाया गया। उलेमा-ए-कराम, नौहा ख़्वान हज़रात, शोअरा-ए-कराम, और शियों की प्रमुख एवं विख्यात व्यक्तित्वों का नरसंहार थमने का नाम नहीं ले रहा है।

सऊदी अरब में शिया समुदाय असुरक्षित

इसी तरह अन्य देशों में जहाँ भी शिया अल्पसंख्यक हैं, उन्हें ज़ालिम सरकारेँ और आतंकवादी संगठन निशाना बनाती रहीं हैं। ख़ासकर सऊदी अरब में शिया समुदाय असुरक्षित हैं और जब भी सरकार चाहती है उनकी जान, माल और इज़्ज़त पर हमलावर हो जाती हैं।

मौलाना ने कहा कि दुनिया जानती है कि सऊदी अरब में लंबे समय से शियों का नरसंहार जारी हैं। ज़ालिम सऊदी सरकार बेबुनियाद और झूठे आरोपों के तहत निर्दोष लोगों की हत्या करवाती रही हैं।

सऊदी अरब जो वैश्विक स्तर पर आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा हैं और औपनिवेशिक शक्तियों का सहयोगी होने के नाते विभिन्न देशों में निर्दोष लोगों की हत्या का दोषी रहा है, वहां की अत्याचारी सरकार ने हाल ही में आतंकवाद के झूठे आरोप में 81 लोगों को मौत की सज़ा दे दी। 81 लोगों में से 41 शिया समुदाय के हैं।

उन्होंने कहा कि सऊदी सरकार ने पहले अयातुल्लाह शेख़ बाक़िर अल-निम्र और उनके सहयोगियों को झूठे आरोपों में मौत की सज़ा सुनाई थी। ज़ालिम सऊदी सरकार ने हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को झूठे और निराधार आरोपों के तहत गिरफ़्तार किया है और फिर जाली दस्तावेज़ दिखा कर उन पर मुक़दमा चला कर सज़ा-ए-मौत सुना दी जाती हैं।

यह खुला आतंकवाद है जिसके ख़िलाफ़ तथाकथित शांति के दावेदार देश, मानवाधिकार संगठन और संयुक्त राष्ट्र की ज़बान पर निंदा का एक भी शब्द नहीं आता हैं। अगर आतंकवाद की सज़ा फांसी हैं, तो यमन और अन्य जगहों पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए सऊदी प्रशासकों को सज़ा-ए-मौत सुनाई जानी चाहिए।

इस मौक़े पर मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के सभी सदस्यों ने सऊदी अरब के अमानवीय क़दम की कड़ी निंदा की और कहा कि हम सऊदी हुकूमत के इन भयानक अपराध की कड़ी निंदा करते हैं और मानवाधिकार संगठन और विश्व शांति के दावेदारों से अपील करते हैं कि सऊदी अरब में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को यक़ीनी बनाया जाये। मज़लूम और निर्दोष शियों के नरसंहार के जुर्म में सऊदी प्रशासकों पर अंतरराष्ट्रीय अदालत में मुकदमा चलाया जाये। याद रहे जब तक सऊदी सरकार औपनिवेशिक शक्तियों की ग़ुलाम हैं, दुनिया में आतंकवाद का अंत नहीं हो सकता।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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