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सऊदी अरब में सर्जिकल स्ट्राइक, शाही हस्तियों, मंत्रियों और कारोबारियों की गिरफ्तारी

raghvendra
Published on: 10 Nov 2017 4:16 PM IST
सऊदी अरब में सर्जिकल स्ट्राइक, शाही हस्तियों, मंत्रियों और कारोबारियों की गिरफ्तारी
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रियाद: सऊदी अरब में वो हो रहा है जो अब तक कभी नहीं हुआ था। देश में दर्जनों शाही हस्तियों, मंत्रियों और कारोबारियों की गिरफ्तारी की गई है और बताया जा रहा है कि यह तो एंटी करप्शन अभियान की शुरुआत भर है। सउदी अरब के अटॉर्नी जनरल शेख सऊद अल मोजेब ने इन गिरफ्तारियों को ‘भ्रष्टाचार की जड़ों तक पहुंचकर उखाडऩे की प्रक्रिया की शुरुआत’ करार दिया है।

सऊदी अरब के घटनाक्रम को क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की ताकत में इजाफे के तौर पर देखा जा रहा है। 32 साल के क्राउन प्रिंस के नेतृत्व वाली एक भ्रष्टाचार निरोधक कमेटी ने 11 राजकुमारों, चार मंत्रियों और दर्जनों पूर्व मंत्रियों को हिरासत में लेने का आदेश दिया था और इन लोगों में दुनिया भर में मशहूर अरबपति बिजनेसमैन अलवलीद बिन तलाल भी शामिल हैं।

अरब जगत का ससे बड़ा देश 85 साल में पहली बार ऐसी हलचल से गुजर रहा है। तीन साल पहले इस बात की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि सत्ता के जाने-पहचाने स्तंभों को सार्वजनिक और अपमानजनक ढंग से कार्यालयों से हटाकर हिरासत में लिया जाएगा। मगर रूढि़वादी और जोखिम लेने से बचने वाला सऊदी अरब इन दिनों नए प्रबंधन में है।

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क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, जो कि आधिकारिक भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं, देश को आधुनिक बनाने और अपने सेक्युलर व धार्मिक विरोधियों को हटाने के अभियान के रास्ते में आने वाली हर चुनौती से निपटने के लिए दृढ़ नजर आते हैं। वह सऊदी युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं, मगर आलोचक कहते हैं कि वह बड़ा दांव खेल रहे हैं, जिसमें खतरनाक पलटवार का भी खतरा है।

क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने नेशनल गार्ड्स के मंत्री प्रिंस मितब बिन अब्दुल्ला और नेवी के कमांडर एडमिरल अब्दुल्ला बिन सुल्तान बिन मोहम्मद अल-सुल्तान को भी बर्खास्त कर दिया है। प्रिंस मितब दिवंगत सऊदी शाह अब्दुल्ला के बेटे हैं और कभी देश के सर्वोच्च पद के दावेदार रह चुके हैं। अब्दुल्ला परिवार के वो आखिरी सदस्य हैं जो सऊदी सरकार में ऊंचे पद पर थे।

इस कारण मोहम्मद बिन सलमान की ताकत और बढ़ी है। वो उस आखिरी रिश्तेदार को भी अपने रास्ते से हटा देना चाहते हैं जो एक बेहद आधुनिक पैरामिलिटरी फोर्स की अगुवाई करते हैं और उनकी सत्ता को चुनौती देने की काबिलियत रखते हैं। ऐसे और कोई प्रिंस नहीं बचे हैं जिनका सेना या सुरक्षा बलों पर कोई अधिकार हो और जो ऐसा कुछ कर सकें। हाल में एक सम्मेलन में युवराज मोहम्मद ने कहा था कि देश को आधुनिक बनाने की योजना के तहत वो उदार इस्लाम की वापसी चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि वो कट्टरपंथ के आखिरी झंडाबरदारों को हटा देंगे।

बीते साल उन्होंने देश में तेल के ऊपर देश की निर्भरता खत्म करने के लिए और देश में आर्थिक और सामाजिक बदलाव लाने के लिए बड़े पैमाने पर सुधारों की घोषणा की थी। उन्होंने देश की उदार सब्सिडी व्यवस्था को कम करने की शुरुआत की और सरकारी तेल संपनी सऊदी अराम्को के निजीकरण का प्रस्ताव आगे बढ़ाया। लेकिन बुजुर्ग और रूढि़वादी उन्हें कम पसंद करते हैं। रूढि़वादियों का कहना है कि वो कम समय में देश में अधिक बदलाव करना चाहते हैं।

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उन्होंने यमन में कभी न जीता जा सकने वाला युद्ध शुरू कर दिया है और साथ-ही कथित इस्लामिक स्टेट के चरमपंथियों से भी लड़ रहे हैं। उन्होंने खाड़ी देशों के कतर के बहिष्कार का भी समर्थन किया है जिससे नुकसान हो सकता है। लेकिन उनके समर्थक देश के आधुनिकीकरण के उनके प्रयासों की तारीफक़रते हैं। कई सालों तक उम्रदराज शासकों की सत्ता में रह चुके युवा एक कम उम्र के शासक के विजन का स्वागत करते हैं और मानते हैं कि वो अगले 50 वर्षों तक देश के किंग रह सकते हैं।

शाही फरमान में कहा गया है कि अगर भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ कर न फेंका गया और भ्रष्टाचार करने वालों को सजा न दी गई तो इस देश का अस्तित्व नहीं रहेगा। 2009 में जेद्दा में आई बाढ़ और 2012 में मर्स वायरस का संक्रमण फैलने के मामलों की जांच नए सिरे से शुरू की गई है।

सऊदी अरब के शाही पैलेस के अंदर शक है कि क्राउन प्रिंस की बढ़ती ताकत के बीच तेजी से जारी सुधारों से नाराज लोग तख्तापलट की कोशिश भी कर सकते हैं। समझा जा रहा है कि क्राउन प्रिंस इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत में किंग बन सकते हैं। ऐसे में उन्हें भविष्य में जिन ताकतों से चुनौती मिल सकती है, उन्हें ठिकाने लगाया जा रहा है। चुनौती देने के मामले में सबसे आगे रहे उनके बड़े चचेरे भाई मोहम्मद बिन नायेफ को कुछ समय पहले गृह मंत्री के पद से हटा दिया गया था। अब तक हिरासत में लिए गए लोगों में अलवलीद बिन तलल सबसे प्रमुख हैं।

बिन तलल की कंपनी किंगडम होल्डिंग की हिस्सेदारी ट्विटर और एप्पल के अलावा रूपर्ट मरडॉक की मीडिया कंपनी, सिटीबैंक ग्रुप, फोर सीजन्स होटल और कार सेवा कंपनी ‘लिफ्ट’ में भी है। अलवलीद लंदन स्थित होटेल सैवॉय के भी मालिक हैं और फोब्र्स पत्रिका के अनुसार 17 बिलियन डॉलर (यानी 17 अरब डॉलर) के साथ दुनिया के सबसे धनी लोगों में गिने जाते हैं।

अलवलीद ने डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने से पहले उनकी कंपनी से एक यॉट और एक होटल खरीदा था। साल 2015 में वो ट्विटर पर ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने के फैसले के विरोध में उनके साथ बहस में उलझ गए थे। अलवलीद का कहना था, ‘आप न केवल रिपब्लिकन नेशनल कमिटी के लिए बल्कि पूरे अमेरका के लिए अपमान के समान हैं। आप राष्ट्रपति पद की दौड़ से अपना नाम वापस ले लें क्योंकि आप कभी जीत नहीं सकेंगे।’ इसके जवाब में ट्रंप ने कहा, ‘झूठे राजकुमार अपने पिता के पैसों से हमारे अमेरिकी राजनेताओं को अपने काबू में करना चाहते हैं। लेकिन मैं राष्ट्रपति बन गया तो ऐसा नहीं होगा।’

क्राउन प्रिंस सलमान

जनवरी 2015 में किंग अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अजीज की मौत हो गई और मोहम्मद बिन सलमान के पिता सलमान ७९ वर्ष की उम्र में किंग बने थे। इसी साल उन्होंने चचेरे भाई मोहम्मद बिन नायेफ को हटाकर मोहम्मद बिन सलमान को क्राउन प्रिंस यानी युवराज बनाया। मोहम्मद बिन नयेफ को गृह मंत्री के पद से भी हटा दिया गया था। इस तरह 31 साल के मोहम्मद बिन सलमान दुनिया के अग्रणी तेल निर्यातक देश के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति बन गए।

31 अगस्त 1985 को जन्मे सलमान तत्कालीन प्रिंस सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊदी की तीसरी पत्नी फहदाह बिन फलह बिन सुल्तान के सबसे बड़े बेटे हैं। क्राउन प्रिंस अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दामाद जैरेड कुशनर के मित्र हैं। बताया जाता है कि कुशनर अक्टूबर में सऊदी अरब की गुप्त यात्रा पर गए थे और क्राउन प्रिंस से मुलाकात की थी। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से कुशनर तीन बार सउदी अरब हो आए हैं।

राजा सऊदी अरब के

सऊदी किंग के परिवार को ‘हाउस ऑफ सऊद’ के नाम से भी जाना जाता है। देश पर शासन करने वाला व्यक्त हाउस ऑफ सऊद से ही होता है। सऊदी अरब में पूर्ण राजशाही की शुरुआत 1902 में किंग अब्दुल अजीज ने की थी। इनके पिता का नाम अब्दुल रहमान बिन फैसल था। किंग अब्दुल अजीज के आसनकाल की शुरुआत 22 सितम्बर 1932 में हुई थी। 1933 में किंग अजीज ने अपने दूसरे बेटे प्रिंस सऊद के साथ अपना तख्त साझा कर लिया था और दोनों ने मिल कर सऊदी शासन को आगे बढ़ाया। इन्होंने 1938 में सऊदी अरब में तेल की खोज की अध्यक्षता की और दूसरे विश्व युद्ध में बड़े पैमाने पर तेल उत्पादन की शुरुआत की थी।

किंग अजीज के 45 बेटे थे। इनका निधन 9 नवंबर 1953 को कुवैत में हुआ था। सऊद अब्दुल बिन अजीज अल सऊद ने किंग अब्दुल अजीज की मौत के बाद सऊदी सरब की कमान संभाली। लेकिन आऊस ऑफ सऊद में तनावपूर्ण स्थिति आने के बाद इनको जबरन 1964 में तख्त से हटा दिया गया और सऊदी अरब की सत्ता उनके भाई प्रिंस फैसल को सौंप दी गई। किंग सऊद के 115 बच्चे अ।र कई पत्नियां थीं। उनकी मौत 67 साल की उम्र में 24 जनवरी 1969 को हुई।

किंग अब्दुल अजीज के सबसे बड़े बेटे फैसल का जन्म 14 अप्रैल 1906 को हुआ था। ये अपने शासनकाल में काफी लोकप्रिय थे। इन्होंने 1962 में एक अहम फैसला लेते हुए देश में गुलामी को समाप्त कर दिया। 1975 में किंग फैसल को उनके भतीजे फैसल बिन मुशैद ने मार डाला। किंग फैसल के बाद 25 मार्च 1975 को खालिद बिन अब्दुल अजीज अल सऊद ने तख्त संभाला। वो किंग अब्दुल अजीज के पांचवें बेटे थे। लंबे समय तक बीमार रहने के कारण सऊदी अरब के शासन की कमान क्राउन प्रिंस फहद को सौंप दी गई। सात साल के छोटे शासनकाल के बाद 13 जून 1982 को किंग खालिद का निधन हो गया।

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किंग फहद ने 1982 से 2005 तक सऊदी अरब पर राज किया। 84 साल की उम्र में किंग फहद का देहांत हो गया। इसके बाद प्रिंस अब्दुल्लाह तख्त पर बैठे। 23 जनवरी 2015 को किंग अब्दुल्लाह का निधन हो गया। करीब दस साल तक सऊदी अरब तक किंग अब्दुल्लाह ने हुकूमत की। उनके बाद किंग सलमान बिन अब्दुल अजीज ने सत्ता संभाली।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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