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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अल-जदान ने कहा कि 'सऊदी की इकॉनमी को ज्यादा अनुशासन की आवश्यकता है और आगे की राह लंबी है। खर्च कम करने के लिए मेगा-प्रोजेक्ट सहित सरकारी परियोजनाओं को धीमा किया जाएगा।'
नई दिल्ली: पूरी दुनिया को कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में ले रखा है। चीन, अमेरिका, इटली, पाकिस्तान और भारत जैसे बड़े मुल्क भी इसकी चपेट में हैं। सऊदी अरब भी इसके प्रकोप से नहीं बच पाया है।
यहां कोरोना वायरस से अब तक 25 हज़ार से ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए हैं। यहां अब तक 176 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 3765 लोग ठीक होकर वापस घर जा चुके हैं।
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया की अर्थ व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। सारे कारोबर लगभग ठप पड़ गए हैं। जिसके बाद से सऊदी अरब के वित्तमंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई 'सख्त और तकलीफदेह' निर्णय लेने के संकेत दिए हैं। वित्त मंत्री मोहम्मद-अल-जदान ने कहा है कि इन मुश्किल हालात से लड़ने के लिए सभी तरह के ऑप्शन खुले हुए हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अल-जदान ने कहा कि 'सऊदी की इकॉनमी को ज्यादा अनुशासन की आवश्यकता है और आगे की राह लंबी है। खर्च कम करने के लिए मेगा-प्रोजेक्ट सहित सरकारी परियोजनाओं को धीमा किया जाएगा।' बजट में खर्चे को कम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसका असर अगले साल की दूसरी तिमाही से दिखना शुरू हो जाएगा।
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तेल ने बिगाड़ी अर्थव्यवस्था
सऊदी अरब का केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार मार्च में पिछले 20 सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। 2011 के बाद से ये अपने सबसे कम स्तर पर है, जबकि कच्चे तेल से कमाई घटने के चलते पहली तिमाही में नुकसान 9 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
कच्चे तेल की कीमतें इन दिनों सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक सऊदी को इन दिनों भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। लिहाजा क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की तरफ से शुरू किए गए आर्थिक सुधारों की गति और पैमाने पर अंकुश लगने की संभावना है।
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