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Saudi Arabia: सावधान सोशल मीडिया पोस्ट करने वाले, इस महिला को 45 साल की जेल

Saudi Arabia: सऊदी अरब की एक अदालत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर एक महिला को 45 साल की जेल की सजा सुनाई है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 31 Aug 2022 5:43 PM IST
Saudi Arabia
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Saudi Arabia: सोशल मीडिया पोस्ट करने पर महिला को 45 साल की जेल। (Social Media)

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Saudi Arabia: सऊदी अरब की एक अदालत (Saudi Arabian court) ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर एक महिला को 45 साल की जेल की सजा सुनाई है। सऊदी अरब में महिला एक्टिविस्टों पर कार्रवाई का ये नवीनतम उदाहरण है। जिस महिला को जेल की सजा सुनाई गयी है उसका अनाम नूरा बिंत सईद अल-क़हतानी बताया गया है। सऊदी स्पेशलाइज्ड क्रिमिनल कोर्ट (Saudi Specialized Criminal Court) द्वारा पिछले सप्ताह उसे दोषी ठहराया गया था।

सोशल मीडिया का उपयोग करके सार्वजनिक आदेश का किया उल्लंघन

इस महिला पर आरोप है कि उसने इंटरनेट का उपयोग करके सऊदी सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने के लिए और सोशल मीडिया का उपयोग करके सार्वजनिक आदेश का उल्लंघन किया है। वाशिंगटन स्थित एक संगठन 'डेमोक्रेसी फॉर द अरब वर्ल्ड नाउ' ने एक बयान में अदालती दस्तावेजों का हवाला देते हुए ये जानकारी दी है। इस संगठन ने कहा कि काहतानी या उसके सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है।

क़हतानी को दोषी ठहराए जाने के कुछ हफ्ते पहले ब्रिटेन में लीड्स विश्वविद्यालय (Leeds University in UK) में डॉक्टरेट कर रहीं सलमा अल-शहाब को ट्विटर पर असंतुष्टों और कार्यकर्ताओं को फॉलो करने और रीट्वीट करने के लिए 35 साल की जेल और 34 साल के यात्रा प्रतिबन्ध की सजा सुनाई गई थी। ये घटनाएँ तब हुईं हैं जबकि जुलाई में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Saudi Crown Prince Mohammed bin Salman) के साथ अपनी बैठक के दौरान अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन (US President Joe Biden) ने मानवाधिकारों की चिंताओं का हवाला दिया था। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि पिछले हफ्ते उसने शेहाब की सजा पर सऊदी अरब के साथ चिंता प्रकट की थी।

क़हतानी और शेहाब के मामलों ने सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद द्वारा असंतुष्टों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को रेखांकित किया है। एक तरफ प्रिंस मोहम्मद अपने देश में खुलापन ला रहे हैं, महिलाओं को ड्राइव करने की अनुमति दी है और नौकरियों के सृजन के लिए परियोजनाओं को आगे बढ़ाने जैसे सुधारों का समर्थन किया है वहीँ दूसरी तरफ किसी भी के असंतोष की आज़ादी को सख्ती से कुचला जा आरहा है। शेबाब और कहतानी, दोनों के मामलों में, सऊदी अधिकारियों ने ट्विटर पर सरकार की आलोचना करने के लिए सऊदी नागरिकों को निशाना बनाने और दंडित करने के लिए सख्त कानूनों का इस्तेमाल किया है।

सऊदी अरब में राजनीतिक कैदी नहीं हैं: अधिकारी

सऊदी अधिकारियों का कहना है कि सऊदी अरब में राजनीतिक कैदी नहीं हैं। विदेश राज्य मंत्री अदेल अल-जुबेर (Minister of State for Foreign Affairs Adel al-Jubeir) ने पिछले महीने रॉयटर्स को बताया था कि सऊदी अरब में हमारे पास ऐसे कैदी हैं जिन्होंने अपराध किए हैं और जिन पर हमारी अदालतों ने मुकदमा चलाया और वे दोषी पाए गए। उन्होंने कहा, यह धारणा कि उन्हें राजनीतिक कैदी के रूप में वर्णित किया जाएगा, हास्यास्पद है। तेल समृद्ध सऊदी अरब के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर तनाव ने अमेरिका के साथ उसके संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है, जिसमें महिलाओं के अधिकार और 2018 में इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या शामिल है।

पत्रकार जमाल खशोगी द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी संगठन, डेमोक्रेसी फॉर द अरब वर्ल्ड नाउ (Democracy for the Arab World Now) के शोध निदेशक अब्दुल्ला अलौदा (Research Director Abdullah Alouda) ने बताया कि बिडेन की यात्रा के बाद, क्राउन प्रिंस को और अधिक क्रूर और दुष्ट होने के लिए प्रोत्साहन मिल गया है। अब्दुल्ला अलौदा के पिता सलमान अलोदा, सऊदी अरब में 2017 से कैद हैं। उनका अपराध इतना था कि उन्होंने सऊदी अरब और कतर के बीच सुलह की इच्छा जताते हुए एक ट्वीट किया था।

अब्दुल्ला अलौदा ने कहा कि अल-शहाब की सजा "एक बड़ी लहर और अधिक क्रूर कार्रवाई की शुरुआत" है। "इस लहर और पीड़ितों की ज़िम्मेदारी इस बार उन लोगों पर आती है जिन्होंने प्रिंस बिन सलमान को प्रोत्साहित किया और उसे वह सब कुछ दिया जो वह चाहता था : वैधता और दण्ड से मुक्ति!"

Deepak Kumar

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