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स्कूली बच्चियां प्रेग्नेंट: कोरोना के कारण बंद हुए स्कूल बने कारण, 13 वर्षीय छात्रा वर्जीनिया बनी शिकार
Zimbabwe: जिम्बाब्वे में कम उम्र की लड़कियों के प्रेग्नेंट होने के मामले तेजी से बढ़े हैं। कोरोना महामारी में लॉकडाउन के समय स्कूल बंद होने के कारण बच्चियां तेजी से प्रेग्नेंट होने लगीं इस समस्या को लेकर वहां की सरकार ने चिंता जताया है।
Zimbabwe News: कोरोना का कहर पूरी दुनिया के देशों में जारी है। इस दौरान संक्रमण के कारण लोगों की मौत होने के साथ-साथ समाज में बहुत सी बुराईयों ने भी जन्म लिया है। जिसमें कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की भूमिका अहम रही है। लॉकडाउन के कारण जिम्बॉब्वे में गरीबी के साथ-साथ कुछ अलग तरह की ही समस्या उत्पन्न हो गई है। देशों में लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद कर दिए गए हैं। वर्क फ्रॉम होम पर जोर दिया जा रहा है।
आपको बता दें कि इस बीच जिम्बाब्वे में कम उम्र की लड़कियों के प्रेग्नेंट होने के मामले तेजी से बढ़े हैं। स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां 12-13 साल की उम्र में ही प्रेग्नेंट हो रहीं हैं और स्कूल छोड़ रही हैं। सरकार और कार्यकर्ताओं ने इसके लिए कई कदम भी उठाए गए लेकिन इसमें किसी तरह का सुधार नहीं देखा जा रहा है।
13 वर्षीय स्कूली छात्रा वर्जीनिया हो गई प्रेगनेंसी की शिकार
कोरोना के कारण जिम्बाब्वे और अन्य दक्षिणी अफ्रीकी देशों में कम उम्र की लड़कियों के प्रेगनेंसी में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। 13 वर्षीय स्कूली छात्रा वर्जीनिया भी उन्हीं लड़कियों में से एक हैं। जिम्बाब्वे के ग्रामीण इलाके में रहने वाली 13 साल की वर्जीनिया मावुंगा 3 महीने के बच्चे तवनन्याशा की मां हैं।
वर्जीनिया बताती हैं कि उनका पूरा दिन कुएं से पानी लाने, सड़क किनारे फल और सब्जी बेचने, खाना बनाने, सफाई करने, कपड़े धोने में बीत जाता है। अपने इन कामों के बीच वर्जीनिया अपने चार छोटे भाई-बहनों को स्कूल के लिए भी तैयार करतीं हैं और उनके वापस आने पर उनके होमवर्क में भी मदद करतीं हैं।
स्कूल जाने की उम्र में वर्जीनिया को अपने भाई-बहनों को स्कूल के लिए तैयार करना पड़ता है
अपने भाई-बहनों को स्कूल के काम में उनकी मदद करना वर्जीनिया को सबसे अधिक कचोटता है। क्योंकि अभी वो महज 13 साल की हैं और इस उम्र में उन्हें स्कूल में होना चाहिए था। वर्जीनिया कहतीं हैं, 'अब यही मेरी पूरी जिंदगी है।'
अफ्रीकी देशों में कम उम्र की लड़कियों की प्रेगनेंसी बड़ी समस्या है
आपको बता दें कि जिम्बाब्वे लंबे समय से कम उम्र की लड़कियों के गर्भधारण और बाल विवाह से जूझ रहा है। कोविड महामारी के दौरान जिम्बाब्वे और अन्य दक्षिणी अफ्रीकी देशों में कम उम्र की लड़कियों के गर्भधारण में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। वर्जीनिया भी उन्हीं लड़कियों में से एक हैं। जिम्बाब्वे लंबे समय से कम उम्र की लड़कियों के गर्भधारण और बाल विवाह से जूझ रहा है।
परिवार ही बन जाता है लड़की का दुश्मन
पुलिस के प्रवक्ता पॉल न्याथी ने कहा कि परिवारों और अधिकारियों ने लंबे समय से ऐसे मामलों को छुपाया है। नाबालिग को ही विवाह के लिए मजबूर कर दिया जाता है। परिवार अक्सर दोषी से समझौता करने की कोशिश करते हैं। उस पर लड़की से शादी करने और उसके परिवार को मवेशी या पैसे देने का दबाव डालते हैं। फिर वे पुलिस को मामले की रिपोर्ट नहीं करने के लिए सहमत होते हैं। आखिर में पीड़ित लड़की के परिवार वाले ही उसके शोषण में सहभागी बन जाते हैं।
जिम्बाब्वे के पास कोई सही आंकड़ा नहीं
जिम्बाब्वे के पास कोई सही आंकड़ा नहीं है कि कितनी प्रेग्नेंट लड़कियों ने स्कूल छोड़ा लेकिन ऐसे मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। कई लड़कियां बिना कारण बताए ही स्कूल छोड़ देती हैं इसलिए सही आंकड़े बता पाना सरकार के लिए एक सिरदर्द है।
महिला मामलों के मंत्री सिथेम्बिसो न्योनी के अनुसार, साल 2018 में करीब 3 हजार लड़कियों ने प्रेग्नेंसी के कारण स्कूल छोड़ा। साल 2019 में ये आंकड़ा थोड़ा कम रहा लेकिन साल 2020 में ये आंकड़ा बढ़कर 4,770 हो गया। और साल 2021 के पहले दो महीनों में ही करीब 5 हजार प्रेग्नेंट लड़कियों ने स्कूल छोड़ा।
सरकार ने कानून में किए बड़े बदलाव
देश में कम उम्र की लड़कियों की बढ़ती प्रेग्नेंसी को देखते हुए जिम्बाब्वे की सरकार ने अगस्त 2020 में अपने कानून में बदलाव कर प्रेग्नेंट छात्राओं को भी स्कूल आने की अनुमति दे दी। कार्यकर्ताओं और अधिकारियों ने इस कदम की सराहना की और इसे एक उम्मीद के रूप में देखा।
पैसों की कमी, सामाजिक प्रथाएं बन रही हैं अड़चन
लेकिन ये नई नीति पूरी तरह से असफल रही है। प्रेग्नेंट लड़कियां कानून में बदलाव के बावजूद भी स्कूल में वापस नहीं आ रहीं हैं। पैसों की कमी, सामाजिक प्रथाएं, क्लास में परेशान किए जाने जैसे कई कारणों से लड़कियां दोबारा स्कूल नहीं जा पा रहीं हैं।
आसपास के लोगों ने वर्जीनिया का खूब मजाक बनाया
बता दें कि सरकार ने जब कानून में बदलाव किया तो प्रेग्नेंट वर्जीनिया ने भी दोबारा स्कूल जाने की कोशिश की थी। अधिकारियों ने उन्हें और उनके माता-पिता को इसके लिए प्रोत्साहित भी किया लेकिन इसके बाद उनके आसपास के लोगों ने वर्जीनिया का खूब मजाक बनाया। वहां के लोग एक प्रेग्नेंट लड़की को स्कूल यूनिफॉर्म में देखने के आदी नहीं थे जिसका शिकार वर्जीनिया को बनना पड़ा।