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जब तक नहीं आएगी कोरोना की वैक्सीन, तब तक बंद रहेंगे स्कूल

लॉकडाउन को अब समाप्त करने की दिशा में भारत समेत कई देश आगे बढ़ रहे हैं। भारत में जुलाई से स्कूल खोलने की बात हो रही है।

Roshni Khan
Published on: 8 Jun 2020 9:53 AM GMT
जब तक नहीं आएगी कोरोना की वैक्सीन, तब तक बंद रहेंगे स्कूल
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नई दिल्ली: लॉकडाउन को अब समाप्त करने की दिशा में भारत समेत कई देश आगे बढ़ रहे हैं। भारत में जुलाई से स्कूल खोलने की बात हो रही है। लेकिन कुछ देश ऐसे हैं जिन्होने फैसला लिया है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन जब तक नहीं आ जाती तब तक स्कूल कालेज नहीं खोले जाएंगे। कई देशों में स्कूल खुले तो हैं लेकिन वहाँ खुले मैदान में पढ़ाई कराई जा रही है।

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साउथ कोरिया और फिलीपींस ने बच्चों को लेकर कहा ये

साउथ कोरिया और फिलीपींस ने कहा है कि भले ही बच्चों की पढ़ाई पीछे रह जाये लेकिन उनके स्वास्थ्य से सम्झौता नहीं किया जा सकता। फिलीपींस के शिक्षा मंत्री ने साफ कहा है कि समान्य क्लास रूम की पढ़ाई तब तक बंद रहेगी जब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन देश में नहीं आ जाती। दरअसल फिलीपींस के प्रेसिडेंट रोड्रिगो दुतर्ते ने राष्ट्र ने नाम अपने एक संबोधना में कहा था कि फिलीपींस में वैक्सीन उपलब्ध न हो जाने तक क्लासरूम की पढ़ाई प्रतिबंधित रहनी चाहिए। दुतर्ते ने कहा है कि देश दूरस्थ शिक्षा के लिए तैयार है। फिलीपींस में नए सत्र के लिए 64 लाख बच्चों ने नाम लिखवाया है। ये क्रम अभी जारी है। 2019-20 के शिक्षण सत्र के लिए कक्षा 12 तक के 2 करोड़ 70 लाख बच्चों ने नामांकन कराया था।

कुछ देश ऐसे हैं जहां स्कूल खुल गए हैं लेकिन क्लासरूम में पढ़ाई के बजाय खुले मैदान में पढ़ाई कराई जा रही है। डेन्मार्क ऐसा ही देश है जहां अप्रैल से स्कूल खुल तो गए लेकिन कमरों की बजाय पेड़ के नीचे या मैदान में टीचर और स्टूडेंट्स बैठते हैं। वहाँ भी फिजिलक डिस्टेन्सिंग का सख्ती से पालन किया जाता है। स्विट्ज़रलैंड में सिर्फ 50 फीसदी बच्चों को क्लास में बैठाया जाता है और हर बच्चे को साढ़े 6 फुट की दूरी मेंटेन करनी होती हैं। नीदरलैंड में स्कूलों में डेस्कों के बीच प्लास्टिक की शील्ड लगाईं गईं हैं।

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कोरोना वायरस की दूसरी लहर

स्कूल आदि खुल तो रहे हैं लेकिन अब कोरोना की दूसरी लहर का खतरा बढ़ रहा है। मार्च में कोरोना वायरस के तेज फैलाव के चलते बहुत से देशों में सख्त लॉकडाउन लागू कर दिये गये थे। जबर्दस्त सामूहिक उपायों से स्लोवेनिया और न्यूज़ीलैंड जैसे देशों ने अपने यहाँ वायरस को प्रभावी ढंग से कंट्रोल कर भी लिया। लेकिन बहुत से देश इतने लकी नहीं रहे। लॉकडाउन के बावजूद संक्रमण फैलता ही गया। आर्थिक और सामाजिक कारणों से अब लॉक डाउन में ढील दी जारी है लेकिन एक्स्पर्ट्स ने कोरोना का एक और हमला होने की आशंका जताई है।

1918-20 की स्पेनिश फ्लू महामारी में दूसरी लहर बहुत भयानक थी जिसमें अनगिनत लोगों की जानें चली गईं थीं। 2009-10 में एच1एन1 महामारी के दूसरे आक्रमण में भी ऐसा ही हुआ आता।

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