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वैज्ञानिकों ने निकाला हॉट डॉग पकाने का नायाब तरीका, देखकर हो जाएंगे हैरान

आइसलैंड में 6000 साल के बाद एक ज्वालामुखी फटा। जिसे देखने के लिए वहां पर सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही यहां पर कुछ वैज्ञानिकों की टीम भी मौजूद है, जो लावा और ज्वालामुखी पर रिसर्च कर रही है।

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Published on: 24 March 2021 11:14 AM GMT
वैज्ञानिकों ने निकाला हॉट डॉग पकाने का नायाब तरीका, देखकर हो जाएंगे हैरान
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सोशल मीडिया

नई दिल्ली: आइसलैंड में 6000 साल के बाद एक ज्वालामुखी फटा। जिसे देखने के लिए वहां पर सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही यहां पर कुछ वैज्ञानिकों की टीम भी मौजूद है, जो लावा और ज्वालामुखी पर रिसर्च कर रही है। और ज्वालामुखी फटने की वजह खोज रहे हैं। अब इन्हीं वैज्ञानिकों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। आइये जानते है क्या है इस वीडियो में।

जब वैज्ञानिकों को लगी भूख

रिसर्ज कर रहे वैज्ञानिकों का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दिखाया गया है कि जब वैज्ञानिकों को भूख लगी तो उन्होंने क्या किया। वह अपने साथ बन और चिकेन सॉसेज लाए थे, उन्होंने बन और सॉसेज को गर्म लावे पर ही ग्रिल किया और उसे बन में लगाया और टोमैटो सॉस के साथ खाने लगे। साथ ही वैज्ञानिकों ने हॉटडॉग बनाने के लिए जो रेसिपी अपनायी है, उसे देखकर आप दंग रह जाएंगे। अक्सर हॉटडॉग की फिलिंग के लिए सॉसेज को ग्रिल किया जाता है लेकिन वैज्ञानिकों ने ज्वालामुखी पर उसको ग्रिल करने का नायाब तरीका निकाला।

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माउंट फैगराडैल्सफाल ज्वालामुखी फटा

आपको बता दें कि माउंट फैगराडैल्सफाल (Mount Fagradalsfjall) में पहला विस्फोट चार दिन पहले हुआ। तब से लगातार इससे लावा बाहर निकल रहा है। वहीं माउंट फैगराडैल्सफाल (Mount Fagradalsfjall) ज्वालामुखी फटने की वजह से 1640 फीट ऊंची लावे की आकृति बन गई है। कई बार लावे का फव्वारा 300 फीट की ऊंचाई तक जा रहा है।



कैसे फटा ज्वालामुखी

सवाल ये है कि ज्वालामुखी अचानक कैसे फट गया? आइसलैंड में ज्वालामुखी की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं. हर चार-पांच साल में एक ज्वालामुखी बड़ा विस्फोट तो कर ही देता है। वजह यह है कि इस देश को भूकंपीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है। यहां सबसे बड़ा भूकंप साल 2014 में आया था। जिसके बाद से अब तक यहां पर हर साल 1000 से 3000 भूकंप आए हैं। वहीं दिसंबर 2019 से भूकंपों की गतिविधि अचानक से बढ़ गई है, जिसकी वजह जानने के लिए साइंटिस्ट अब भी जुटे हैं।

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