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डीएनए में मिल जा रहा कोरोना वायरस, ठीक हो चुके मरीज भी रिपोर्ट में आ रहे पॉजिटिव

दुनिया भर के वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात से हैरान हैं कि कोरोना से रिकवर हुए लोग रिपोर्ट में दोबारा क्यों और कैसे पॉजिटिव आ रहे हैं।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiNewstrack Network Vidushi Mishra
Published on: 9 May 2021 8:27 AM IST (Updated on: 10 May 2021 11:07 AM IST)
दुनिया भर के वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात से हैरान हैं कि कोरोना से रिकवर हुए लोग रिपोर्ट में दोबारा क्यों और कैसे पॉजिटिव आ रहे हैं। डीएनए
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डीएनए(फोटो-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: व्हाइटहेड इंस्टीट्यूट मेंबर और MIT में बायोलॉजी प्रोफेसर रुडोल्फ जैनिश ने अपने एक अध्ययन में इस बात का खुलासा किया है कि क्यों लोग रिकवरी के बाद दोबारा कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं। रुडोल्फ की यह स्टडी 6 मई को प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुई है।

दुनिया भर के वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात से हैरान हैं कि कोरोना से रिकवर हुए लोग रिपोर्ट में दोबारा क्यों और कैसे पॉजिटिव आ रहे हैं। कई मरीजों में रिकवरी के कुछ हफ्ते या महीनों बाद फिर से कोरोना संक्रमण की रिपोर्ट आ रही है।

लेकिन इनके शरीर से लाइव कोरोना वायरस नहीं मिल रहा। कोरोना वायरस के RNA की लाइफ बहुत छोटी होती है। ये मुश्किल से कुछ मिनटों में खत्म हो जाते हैं। अध्ययन में चौंकाने वाली बात ये है कि वायरस के खत्म हुए RNA का अंश हमारे DNA में मिल जा रहा है। जिसकी वह से लोग दोबारा पॉजिटिव पाए जा रहे हैं।

कोरोना कोई रेट्रोवायरस नहीं


रुडोल्फ ने बताया है कि कैसे कोरोना वायरस का RNA हमारे शरीर की कोशिकाओं के जीनोम के साथ जुड़ जाता है। इसे रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन (Reverse Transcription) कहते हैं। ऐसे जीनोम को RNA के लिए होने वाले पीसीआर टेस्ट में पता चल जाते हैं। सिर्फ कोविड-19 ही ऐसा वायरस नहीं है जो इंसानों के जीनोम से जुड़ता है। बल्कि ऐसे कई और वायरस भी हैं जो ये काम करते हैं।

वैज्ञानिकों के मुताबिक हमारे शरीर में आठ फीसदी डीएनए ऐसे होते हैं जिनमें प्राचीन वायरसों के अंश होते हैं। उन्हें रेट्रोवायरस कहते हैं। ये इंसानों के जीनोम से जुड़कर खुद का वंश आगे बढ़ाते हैं।

हालांकि लिगुओ झांग का कहना है कि कोरोना कोई रेट्रोवायरस नहीं है। इसे अपना वंश बढ़ाने के लिए रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन की जरूरत नहीं है।

अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि जीनोम से जुड़कर आ रही पॉजिटिव रिपोर्ट के आधार पर क्या उपचार देने की जरूरत है। क्या इसका मरीज के स्वास्थ्य पर असर होगा। अभी इस पर शोध किया जाना बाकी है।



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Vidushi Mishra

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