मौत की नदी: जो उतरा कभी बाहर नहीं आया, अनसुलझा है राज

अमेजन फॉरेस्ट में जंगल अरबों एकड़ में फैला है। जहां आज तक कोई नहीं पहुंचा। रहस्यों से भरे इस जंगल की विशालता इस बात से ही लग सकती है कि ये नौ देशों के बॉर्डर से लगता है।

suman
Published on: 2 Jun 2020 1:35 PM GMT
मौत की नदी: जो उतरा कभी बाहर नहीं आया, अनसुलझा है राज
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नई दिल्ली : अमेजन फॉरेस्ट में जंगल अरबों एकड़ में फैला है। जहां आज तक कोई नहीं पहुंचा। रहस्यों से भरे इस जंगल की विशालता इस बात से ही लग सकती है कि ये नौ देशों के बॉर्डर से लगता है। अमेजन वैसे भी रहस्यों से भरा जंगल है। एक ऐसा जंगल, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा जंगल कहा जाता है, क्योंकि यह अरबों एकड़ में फैला हुआ है। यह जंगल इतना विशाल है कि यह अकेले ही नौ देशों की सीमाओं को छूता है। कहते हैं कि इस जंगल में ऐसे जीव-जंतु या अन्य चीजें मौजूद हैं, जिनके बारे में इंसान जानता तक नहीं। यही वजह है कि इस जंगल में ज्यादा अंदर तक जाने के बारे में इंसान सोचता तक नहीं। इसी जंगल में मौजूद है एक ऐसी नदी, जिसका पानी हमेशा उबलता रहता है। कहते हैं कि अगर इसके पानी में गलती से भी कोई गिर जाए तो उसकी मौत लगभग तय है।

आंद्रे रूजो जिज्ञासा

पेरू में मौजूद इस रहस्यमय नदी की खोज भूवैज्ञानिक आंद्रे रूजो ने साल 2011 में की थी। मयानतुयाकू नामक (बॉइलिंग रिवर )इस नदी की खोज की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है, जिसके बारे में आंद्रे रूजो ने बताया है। दरअसल, बचपन से ही रूजो ने ऐसी काल्पनिक नदियों की कहानियां सुन रखी थी, जो उन्हें आश्चर्य से भर देती थीं, लेकिन तब उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अहसास नहीं था कि ऐसी नदी सच में होती है।

उबलने के पीछे क्या वजह

यहां पर पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों की ऐसी प्रजातियां हैं, जिनके बारे में हमें कोई अंदाजा ही नहीं। इसी अमेजन फॉरेस्ट के एक हिस्से में जो पेरू से लगा हुआ है, एक नदी है जो लगातार उबलती रहती है। वैज्ञानिक इसे दुनिया का सबसे बड़ा थर्मल रिवर मान रहे हैं और ये समझने की कोशिश में हैं कि आखिर नदी के उबलने के पीछे क्या वजह है। पेरू से जुड़े हुए अमेजन फॉरेस्ट में आंद्रे को उबलती हुई नदी मिली। लगभग चार मील तक फैली इस नदी के आसपास पेरू की जनजाति की बसाहट है, जो इस नदी को पवित्र नदी मानते हैं और इसे स्थानीय भाषा में मयानतुयाकू कहते हैं।

'द बॉयलिंग रिवर: एडवेंचर एंड डिस्कवरी इन द अमेजन'

एक रिपोर्ट के अनुसार आंद्रे ने बाद में टेक टॉक में बताया कि नदी का पानी खासा गर्म है। अगर उसमें अंगुली डाली जाए तो एक सेकंड के भीतर थर्ड डिग्री बर्न हो सकता है। यह नदी करीब मील लंबी है। रूजो के मुताबिक, इसका पानी इतना गर्म है कि उससे आप चाय भी बना सकते हैं। आंद्रे ने अपने सामने ही कई जानवरों को नदी में गिरते और उबलते हुए देखा. उन्होंने इस नदी के बारे में 'द बॉयलिंग रिवर: एडवेंचर एंड डिस्कवरी इन द अमेजन' नाम की एक किताब भी लिखी है जो ज्वालामुखी इस नदी से सबसे करीब है, वो भी लगभग 700 किलोमीटर दूर है। ऐसे में ज्वालामुखी के कारण नदी का पानी नहीं उबल रहा।

वैज्ञानिक शोध जारी

इस नदी के बारे में हमारे पूर्वज जानते रहे होंगे। आंद्रे के अनुसार तब इस नदी का नाम था, जिसका मतलब है सूरज की गर्मी से उबला हुआ पानी। फिलहाल इस नदी को समझने के लिए एक प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है, जिससे पास रहने वाले जनजाति समुदाय को भी जोड़ा गया है। इसके तहत पर्यटन करने वाले सैलानियों को बताया जाता है कि वे किसी भी हाल में नदी में कुछ फेंके नहीं और न कोई नुकसान पहुंचाए। न ही तैरने की सोचें क्योंकि करीब 80 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा तापमान वाला पानी सेकंड्स में बुरी तरह से जला सकता है।रूजो ने इस नदी के बारे में 'द बॉयलिंग रिवर: एडवेंचर एंड डिस्कवरी इन द अमेजन' नाम की एक किताब भी लिखी है, जिसमें उन्होंने इसके रहस्यों के बारे में बताया है। उनके मुताबिक, यह नदी प्रकृति का आश्चर्य है, जिसका पानी रहस्यमय तरीके से उबल रहा है। इस बारे में वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं, लेकिन अब तक यह पता नहीं चल सका है कि इसका पानी क्यों इतना गर्म है।

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