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सीरियल किलर : हीरो बनने के लिए होगेल ने 85 लोगों को मार डाला
बर्लिन: जर्मनी में सीरियल किलर और पूर्व नर्स नील्स होएगेल को 85 लोगों की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। न्यायाधीश सेबेस्टियन बेहरमैन ने दोषी से कहा, 'तुम्हारा जुर्म अकल्पनीय है। सामान्य इंसान का दिमाग इस तरह का जुर्म सोच भी नहीं सकता। ऐसी चीजों को बुरे से बुरे सपने में भी नहीं सोचा जा सकता है।' होएगेल पर जून 1999 से 2005 के बीच 100 मरीजों की मौत का आरोप है। मारे गए लोग अलग-अलग उम्र और पृष्टभूमि के थे। इनमें से कुछ ज्यादा बीमार थे तो कुछ ठीक हो रहे थे। होएगेल जर्मन राज्य लोअर सैक्सॉनी के मेडिकल सेंटरों में काम करता था और वहीं इन सब लोगों की हत्या हुई।
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ऑल्डनबर्ग की अदालत ने दोषी को सबसे कठोर आजीवन कारावास की सजा दी है। इसका मतलब है कि दोषी आजीवन जेल में रहेगा। साधारण आजीवन कारावास में दोषी व्यक्ति 15 साल की कैद के बाद पैरोल की अपील कर सकता है लेकिन होएगेल के जुर्म को जघन्य अपराध माना गया है। इसलिए उसे पूरी जिंदगी में कभी पैरोल नहीं मिल सकेगी। अदालत में जिरह खत्म होने के दौरान 42 वर्षीय होएगेल ने पीडि़त लोगों के रिश्तेदारों और दोस्तों को संबोधित किया। उसने इन सभी लोगों से माफी मांगी।
ओल्डेनबर्ग की एक क्लीनिक और डेलमेनहोस्र्ट के एक अस्पताल में काम करते हुए होएगेल मरीजों को जानबूझकर एक खास दवाई दे देता था। इससे उनकी हृदयगति रुकने लगती थी। फिर वह उन्हें पुनर्जीवित करने की कोशिश करता, जिससे उसे शाबाशी मिल सके। लेकिन कई बार उसका यह स्टंट गलत हो जाता और मरीज की मौत हो जाती। होएगेल के एक पूर्व सहकर्मी ने बताया कि मरीजों को पुनर्जीवित करते समय होएगेल सभी को एक तरफ हटा देता था। वह खुद को एक हीरो की तरह दिखाता था। होएगेल के ऐसा करते समय जूनियर डॉक्टर भी कुछ नहीं करते थे।
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पीडि़त पक्ष ने होएगेल पर 97 हत्याओं का आरोप लगाया। तीन केसों में पर्याप्त सबूत नहीं मिले। होएगेल के बचाव पक्ष ने उसके ऊपर 55 हत्याओं, 14 हत्याओं की कोशिश का दोष माना। 31 केसों को उन्होंने गलत बताया। होएगेल की इन हरकतों के बारे में जून 2005 में पता चला जब डेलमेनहोस्र्ट के अस्पताल में एक सहकर्मी नर्स ने उसे किसी मरीज की सिरिंज को बदलते देख लिया। शुरुआत में होएगेल पर एक हत्या का मामला दर्ज हुआ। फिर उस पर तीन हत्याओं का आरोप लगा और जब आगे सबूत सामने आने लगे तो तय हो गया कि उसने बहुत सी हत्याएं की हैं। अदालत में उसने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। हालांकि उसके पास कोई रास्ता भी नहीं बचा था क्योंकि जांच एजेंसियों के पास उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत थे। 2015 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। आगे हुई जांच से लगा कि होएगेल अब भी पूरा सच नहीं बोल रहा था। कई संभावित पीडि़तों के बारे में जानकारी इसलिए नहीं मिल सकी क्योंकि उन्हें दफनाया जा चुका था।
जब उससे और मरीजों की हत्या के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि उसे बिल्कुल याद नहीं है। होएगेल ने अपने किए पर कोई पछतावा नहीं जताया। वह ऐसे बात कर रहा था जैसे यह कोई छोटी-मोटी बात हो। होएगेल का बचपन बहुत खुशहाल रहा था। उसके बाद भी उसका जीवन व्यवस्थित था। उसके जीवन की घटनाओं से ये अंदाजा लगाना मुश्किल है कि उसने दर्जनों हत्याएं क्यों कीं। मरीजों की हत्या करने वाले चिकित्सा कर्मियों के मनोविज्ञान पर 25 साल से रिसर्च कर रहे कार्ल बेन का कहना है कि शायद होएगेल ज्यादा बीमार और मृतप्राय मरीजों के दुख को नहीं देख पा रहा हो। इसलिए उसने मामले को अपने हाथ में लेकर खत्म कर दिया हो। वह जानबूझकर ऐसी परिस्थितियां बना रहा था जिसमें वो मरीज को पुनर्जीवित कर हीरो बन सके। इसका मतलब कि वह बेहद आत्मवादी इंसान है जो अपने कमजोर ईगो को संतुष्ट करने के लिए बस तारीफ सुनना चाहता है।
शुरुआती शक के बाद होएगेल को सघन चिकित्सा इकाई से बाहर कर दिया था। फिर भी उसे अच्छे काम का सर्टिफिकेट दिया गया जिससे उसे दूसरे अस्पताल में नौकरी मिल गई और वहां उसने 60 से ज्यादा मरीजों की हत्या की।