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Sheikh Hasina: शेख हसीना का वो आखिरी संदेश जो नहीं आ सका सामने, जानिए क्या कहा था हसीना ने
Sheikh Hasina: शेख हसीना के भाषण में था कि मैंने इस्तीफा दे दिया, ताकि मुझे शवों का जुलूस न देखना पड़े।
Sheikh Hasina: पड़ोसी देश बांग्लादेश में काफी उथल-पुथल चल रहा है। वहां तख्तापलट हुए एक हफ्ता हो चुका है। शेख हसीना जो हफ्ते भर पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थी वह अब पूर्व हो चुकी हैं और साथ ही देश से निर्वासित भी... लेकिन इस बीच उनका वो आखिरी भाषण सामने आया है जो अभी तक सार्वजनिक नहीं हो सका था। प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और अपने ढाका स्थित आवास से निकलने से पहले शेख हसीना राष्ट्र को संबोधित करना चाहती थी। खासकर उन प्रदर्शनकारियों को, जिनके आंदोलन के कारण उन्हें प्रधानमंत्री का पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाईं क्यों कि प्रदर्शनकारी उनके दरवाजे तक पहुंच गए थे और देश के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें जल्द से जल्द बांग्लादेश से चले जाने की सलाह दी।
अमेरिका पर लगाया सत्ता परिवर्तन की साजिश का आरोप
शेख हसीना ने अमेरिका पर देश में सत्ता परिवर्तन की साजिश रचने का आरोप लगाया है। अगर उन्हें मौका मिलता तो वह अपने भाषण में क्या कहने वाली थीं, वह आखिरी संदेश सामने आया हैं शेख हसीना के भाषण में था कि मैंने इस्तीफा दे दिया, ताकि मुझे शवों का जुलूस न देखना पड़े। वे छात्रों के शवों पर सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन मैंने इसकी अनुमति नहीं दी। मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
बोलीं-आप कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं
हसीना ने कहा कि मैं सत्ता में बनी रह सकती थी, अगर मैं सेंट मार्टिन द्वीप (आईलैंड) की संप्रभुता अमेरिका के सामने समर्पित कर दी होती और उसे बंगाल की खाड़ी में अपना प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दे दी होती। मैं अपने देश के लोगों से विनती करती हूं, कि आप कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं।
अगर मैं देश में रहती तो अधिक जानें जातीं
अवामी लीग नेता को छात्रों के हिंसक विरोध प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश से भागना पड़ा, जो आरक्षण के खिलाफ एक आंदोलन के रूप में शुरू हुआ और शेख हसीना सरकार के साथ गतिरोध में बदल गया। अनुभवी नेता द्वारा विरोध प्रदर्शन को कुचलने की कोशिश के कारण 400 से अधिक प्रदर्शनकारी मारे गए। भाषण में कहा गया है, अगर मैं देश में रहती, तो और अधिक जानें जातीं, अधिक संसाधन नष्ट हो जाते। मैंने बाहर निकलने का बेहद कठिन निर्णय लिया। मैं आपकी नेता हूं, क्योंकि आपने मुझे चुना, आप मेरी ताकत थे। इसके साथ ही शेख हसीना ने अपने संदेश में यह भी कहा कि, मेरा स्टाफ, जो वहां हैं, हिम्मत नहीं हारेंगे। अवामी लीग बार-बार खड़ी हुई है। आपने इसे बनाया। निराश मत होइए। मैं जल्द ही लौटूंगी. इंशाअल्लाह। हार मेरी है लेकिन जीत बांग्लादेश के लोगों की है। वह लोग जिसके लिए मेरे पिता और मेरे परिवार ने अपनी जान दे दी। मुझे खबर मिली है कि कई नेता पहले ही कार्यकर्ताओं की हत्या कर चुके हैं और घरों में तोड़फोड़ कर आग लगा चुके हैं। अल्लाह तुम्हारी मदद जरूर करेगा।
मैंने छात्रों को कभी रजाकार नहीं कहा
मैं अपने युवा छात्रों से दोहराना चाहूंगी, मैंने आपको कभी रजाकार नहीं कहा। मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। मेरा आपसे अनुरोध है कि आप उस दिन का पूरा वीडियो देखें। एक समूह ने आपके खतरे का फायदा उठाया है। मुझे विश्वास है कि आप एक दिन इसका एहसास कर पाएंगे। मेरे देशवासियों, स्वस्थ रहो...मेरे सुनहरे बांग्ला का ख्याल रखना, जय बांग्ला जय बंगबंधु।
चीन विरोधी पहल के लिए था यूएस का दबाव
बता दें कि आवामी लीग के नेताओं ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी राजनयिक चीन के खिलाफ पहल करने के लिए शेख हसीना पर दबाव डाल रहे थे। हसीना की पार्टी के नेताओं में से एक ने बांग्लादेश में अमेरिकी राजदूत पीटर हास पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का पक्ष लेने का आरोप लगाया। हास ने जुलाई में अपना कार्यकाल पूरा किया। अमेरिकी सरकार मानवाधिकार और चुनाव प्रक्रिया को लेकर लगातार शेख हसीना और उनकी पार्टी की आलोचना कर रही थी। अमेरिकी विदेश विभाग ने इस साल जनवरी में एक बयान में कहा था कि बांग्लोदश में हुए आम चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं थे, क्योंकि सभी दलों ने इसमें भाग नहीं लिया था।