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क्या आपको पता है 34 साल पहले इस इंडियन ने किया था E-MAIL का आविष्कार

Newstrack
Published on: 30 May 2016 8:36 AM GMT
क्या आपको पता है 34 साल पहले इस इंडियन ने किया था E-MAIL का आविष्कार
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नई दिल्ली: ईमेल का अविष्कार हुए 34 साल हो चुके हैं। आज के दौर में इंटरनेट यूजर के लिए एक पहचान इंपोर्टेंट पार्ट बन गया है। इसका उपयोग हम न केवल संदेश भेजने, बल्कि नेट बैंकिंग, जॉब सर्चिंग, ऑनलाइन आवेदन से लेकर और भी अन्य कामों में करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर इसका अविष्कार किसने किया था?

MAIL

हम आपको बताते है कि ईमेल की खोज का श्रेय शिवा अय्यादुरई को जाता है, जो अमेरिका में रहते हैं, पर मूल रूप से भारतीय ही हैं। आपको जान कर ये हैरानी होगी कि शिवा अय्यादुरई उस वक्त मात्र 14 साल के थे, जब उन्होंने ईमेल का अविष्कार कर सबको चौंका दिया था।

शिवा कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में बेहतर थे। उस समय पर फोरट्रान प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग होता था। कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के वजह से उनको यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड डेंटिस्ट्री ऑफ न्यू जर्सी में प्रोग्रामर के रूप में कार्य करने का मौका मिला। जहां उनके मार्गदर्शक डॉ. लेस्ली पी. मिकेलसन ने शिवा की प्रोग्रामिंग वॉलेज को पहचानते हुए, उन्हें चुनौती के तौर पर एक प्रोग्रामिंग असाइनमेंट दिया।

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KALAM

असाइनमेंट में उनका काम किसी भी संस्था में किसी भी जानकारी को साझा करने के लिए उपयोग होने वाले पेपर संचार प्रणाली को इलेक्ट्रॉनिक संचार प्रणाली में बदलना था।

उस समय कंप्यूटर नेटवर्क,जैसे लोकल एरिया नेटवर्क, इंट्रानेटवर्क का कांसेप्ट अस्तित्व में था। जिसका उपयोग किस भी संस्था में दो या अधिक कम्प्यूटर्स के बीच डेटा फाइल को साझा करने के लिए होता था।

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EMAISL

आख़िरकार 1978 में अय्यादुरई एक कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार करने में सफल हुए, जिसे 'ई-मेल' कहा गया। इसमें इनबॉक्स, आउटबॉक्स, फोल्डर्स, मेमो, अटैचमेंट्स आदि सभी कुछ था, और आज भी ये सभी फीचर हर ई-मेल सिस्टम का हिस्सा हैं।

अमेरिकी सरकार ने 30 अगस्त, 1982 को अय्यादुरई को आधिकारिक रूप से ई-मेल की खोज करने का श्रेय दिया था और साल 1978 की उनकी इस खोज के लिए पहला अमेरिकी कॉपीराइट दिया। उस समय सॉफ्टवेयर खोज की सुरक्षा के लिए कॉपीराइट ही एकमात्र तरीका था।

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email

वीए शिवा अय्यादुरई का जन्म मुंबई में एक तमिल परिवार में हुआ था, और सात साल की आयु में वो अपने परिवार के साथ अमेरिका चले गए। 14 साल की आयु में उन्होंने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के पढ़ाई के लिए न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के कोरैंट इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमैटिकल साइसेंज में विशेष ' समर' कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

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FGG

बाद में ग्रेजुएशन करने न्यूजर्सी के लिविंगस्टन हाई स्कूल गए, और वहां पढ़ाई करने के साथ उन्होंने न्यू जर्सी में यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड डेन्टिस्ट्री में रिसर्च फैलो के रूप में काम भी किया।

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