Singapore Food Agency : खाने में कीड़े-मकोड़े? सिंगापुर ने दी मंजूरी

Singapore Food Agency : सिंगापुर के खाद्य नियामक ने कहा है कि उसने मानव उपभोग के लिए झींगुर और टिड्डे जैसे कीटों की 16 प्रजातियों को मंजूरी दे दी है। अब सिंगापुर में ग्लोबल खाद्य पदार्थों के मेनू में ये कीट भी शामिल हो गए हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 8 July 2024 5:48 PM GMT
Singapore Food Agency : खाने में कीड़े-मकोड़े? सिंगापुर ने दी मंजूरी
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Singapore Food Agency : सिंगापुर के खाद्य नियामक ने कहा है कि उसने मानव उपभोग के लिए झींगुर और टिड्डे जैसे कीटों की 16 प्रजातियों को मंजूरी दे दी है। अब सिंगापुर में ग्लोबल खाद्य पदार्थों के मेनू में ये कीट भी शामिल हो गए हैं। इस फैसले का इंतज़ार काफी समय से किया जा रहा था क्योंकि चीन, थाईलैंड और वियतनाम में पैदा किये जाने वाले कीटों के सप्लायर्स इसके लिए काफी उत्सुक थे। अब सिंगापुर में सप्लाई और खानपान की व्यवस्था कर रहे व्यवसाइयों को बड़ी रहत मिल गयी है।

सिंगापुर के खाद्य नियामक ने जिन कीटों को मंजूरी दी है उनमें झींगुर, टिड्डे, मीलवर्म और रेशम के कीड़ों की विभिन्न प्रजातियां शामिल हैं। सिंगापुर खाद्य एजेंसी (एसएफए) ने कहा कि मानव उपभोग या पशुधन चारे के लिए कीटों का आयात या खेती करने का इरादा रखने वालों को एसएफए के दिशा-निर्देशों को पूरा करना होगा। इसमें यह दस्तावेजी प्रमाण प्रदान करना शामिल है कि इम्पोर्टेड कीटों को खाद्य सुरक्षा नियंत्रण वाले विनियमित प्रतिष्ठानों में पाला गया है और उन्हें जंगल से नहीं लाया गया है। यानी फार्म पर पैदा किये गए कीट ही जायज माने जायेंगे।

ये प्रजातियां खाने के लिए सुरक्षित

एजेंसी ने कहा है कि जो कीट एस.एफ.ए. की 16 की सूची में नहीं हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए मूल्यांकन से गुजरना होगा कि ये प्रजातियाँ खाने के लिए सुरक्षित हैं। कीटों वाले पहले से पैक किए गए खाद्य पदार्थ बेचने वाली कंपनियों को भी अपनी पैकेजिंग पर लेबल लगाना होगा, ताकि उपभोक्ता उत्पाद खरीदने के बारे में सोच-समझकर निर्णय ले सकें।

एस.एफ.ए. ने कहा कि कीट उत्पादों को भी खाद्य सुरक्षा परीक्षण के अधीन किया जाएगा और जो कीट एजेंसी के मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाएंगे, उन्हें बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी। लैब में उगाए गए मांस की सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में केस स्टडी के तौर पर सिंगापुर का हवाला दिया गया है, जो उन्हें बेचने वाला एकमात्र देश है।

16 प्रजातियों को दी गई मंजूरी

एसएफए ने अक्टूबर 2022 में कीटों की 16 प्रजातियों को उपभोग के लिए अनुमति देने की संभावना पर सार्वजनिक परामर्श शुरू किया था। अप्रैल 2023 में, एसएफए ने कहा कि वह 2023 की दूसरी छमाही में इन प्रजातियों को उपभोग के लिए हरी झंडी देगा। बाद में इस समय सीमा को 2024 की पहली छमाही तक आगे बढ़ा दिया गया। अब बताया गया है कि सिंगापुर का हाउस ऑफ सीफूड रेस्तरां 30 कीट - युक्त व्यंजनों का एक मेनू तैयार कर रहा है। जिन 16 प्रजातियों को मंजूरी दी गयी है उसमें से रेस्तरां अपने मेनू में सुपरवर्म, क्रिकेट और रेशमकीट प्यूपा पेश करेगा। इस रेस्तरां ने बताया है कि उसके कई ग्राहक खास कर 30 वर्ष से कम उम्र के युवा लोग बहुत उत्साही है। वे चाहते हैं कि डिश में पूरा कीट दिखाई दे। रेस्तरां को उम्मीद है कि कीट वाली डिश की बिक्री से उनकी कमाई 30 प्रतिशत तक बढ़ जायेगी।

लॉजिस्टिक कंपनी डिक्लेरेटर्स के संस्थापक जेवियर यिप ने सिंगापुर में बिक्री के लिए कीटों का आयात करने के लिए एक और बिजनेस स्थापित किया है जिसमें सफेद ग्रब से लेकर रेशम के कीड़ों के साथ-साथ क्रिकेट और मीलवर्म तक के ढेरों बग स्नैक्स पेश किये जाते हैं।

एक नया और टिकाऊ विकल्प

कीटों को संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन द्वारा मांस के लिए अधिक टिकाऊ विकल्प के रूप में प्रचारित किया गया है, क्योंकि हाई प्रोटीन होता है और इनकी खेती में कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है। यानी ये इको फ्रेंडली हैं।

जापानी स्टार्ट-अप मोरस सिंगापुर में रेशमकीट प्रोडक्ट्स की एक सीरीज शुरू करने की योजना बना रहा है, जो महंगे रेस्तरां और यूजर्स दोनों को टारगेट करेगा। इस कम्पनी का मानना है कि पैसे वाले लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होते हैं। इस कंपनी के प्रोडक्ट्स में शुद्ध रेशमकीट पाउडर शामिल है जिसका इस्तेमाल खाद्य सामग्री के रूप में किया जा सकता है। इसके अलावा कीटों से बने माचा पाउडर, प्रोटीन पाउडर और प्रोटीन बार भी शामिल हैं जिनमें हाई प्रोटीन और अमीनो एसिड के साथ-साथ विटामिन, फाइबर और खनिजों जैसे अन्य प्रमुख पोषक तत्व होते हैं।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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