×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

सोशल मीडिया साइट्स पर जर्मनी ने कसा शिकंजा, उठाये सख्त कदम

raghvendra
Published on: 12 Jan 2018 4:04 PM IST
सोशल मीडिया साइट्स पर जर्मनी ने कसा शिकंजा, उठाये सख्त कदम
X

लखनऊ : सोशल मीडिया पर ‘हेट स्पीच’ यानी वैमनस्य बढाने वाली पोस्ट सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में सभी के लिए सर दर्द बनी हुयी है। भारत में सभी वाकिफ हैं कि किस तरह धार्मिक भावनाएं भडक़ाने, लोगों को उकसाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाता है। सोशल मीडिया साइट्स यह कह कर पल्ला झाड़ लेती हैं कि कार्रवाई करनी है तो पोस्ट डालने वाले पर की जाये।

अब जर्मनी ने सोशल मीडिया साइट्स की जिम्मेदारी तय करने के लिए एक सख्त कदम उठाया है। जर्मनी में ऑपरेट करने वाली सोशल मीडिया कम्पनीज के लिए एक कानून ‘नेत्ज डीजी’ बना दिया गया है कि अगर किसी गैरकानूनी, नस्लवादी या किसी को बदनाम करने वाली पोस्ट अगर 24 घंटे के भीतर डिलीट नहीं की जाती है तो उस कंपनी पर 57 मिलियन डालर तक का जुरमाना ठोंक दिया जाएगा।

यह कानून 1 जनवरी 2018 से प्रभावी हो गया है। यूं तो ‘नेत्ज डीजी’ अक्टूबर से लागू है लेकिन सरकार ने कंपनियों को तीन महीने का ग्रेस पीरियड दिया था ताकि वे अपने यहाँ शिकायत प्रबंधन सिस्टम इंस्टाल कर लें।

इस कानून के साथ जर्मनी इस समस्या के मामले में पश्चिमी देशों में सबसे आक्रामक रुख अपनाने वाला देश बन गया है। ट्विटर, फेसबुक और गूगल को अब वहां मजबूरन ‘हेट स्पीच’ और अन्य अतिवादी मटेरियल पर कार्रवाई करने पड़ेगी। कानून के दायरे में फेसबुक, ट्विटर, गूगल, यू ट्यूब, स्नैपचैट और इन्स्टाग्राम आएंगे जबकि लिंक्डइन और शिंग जैसे प्रोफेशनल नेटवक्र्स इसके दायरे से बाहर हैं। वाट्सएप पर भी ये कानून लागू नहीं होगा।

लेकिन जर्मनी के फैसले पर सवाल भी उठ खड़े हुए हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी का क्या होगा? सोशल मीडिया कंपनियों के अलावा मानवाधिकार तथा डिजिटल ग्रुप्स ने जर्मनी के कानून का विरोध किया है कि यह अभिव्यक्ति की आजादी के व्यक्तिगत अधिकार को सीमित करने वाला कानून है।

असल में जर्मनी में जबसे दस लाख से ज्यादा प्रवासी आये हैं तबसे नस्लवादी कमेंट्स, और बाहरी लोगों के खिलाफ पोस्ट्स की बाढ़ आ गयी है। अब देखना है कि इस तरह के कदम और कौन कौन से देश उठाते हैं।

ट्विटर ट्रंप को ब्लॉक नहीं करेगा

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीटों से ट्विटर के सेवा नियमों को तोड़े जाने की चर्चा पर कंपनी ने स्पष्ट किया है कि वैश्विक नेताओं के ट्वीट ब्लॉक नहीं किए जाएंगे। ‘वर्ल्ड लीडर्स ऑन ट्विटर’ नामक ब्लॉग पोस्ट में कंपनी ने हालांकि सीधे तौर पर ट्रंप का नाम नहीं लिया और कहा, ‘इस मंच पर राजनीतिक हस्तियों और वैश्विक नेताओं के बारे में काफी चर्चा होती है।

ट्विटर से किसी वैश्विक नेता के ट्वीट को ब्लॉक करना या उनके विवादास्पद ट्वीट को हटाने से वे महत्वपूर्ण जानकारियां छुप सकती हैं, जिन्हें लोग देखना और जिस पर चर्चा करना चाहते हैं। ऐसा करके उस नेता को चुप नहीं कराया जा सकता, बल्कि इससे उनके शब्दों और कार्य-कलापों पर जरूरी चर्चा निश्चित ही बाधित हो सकती है।’ ट्विटर ने ट्रंप के ‘परमाणु बटन’ वाले ट्वीट को ब्लॉक नहीं किया था, जिसकी सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हुई थी और कई लोगों का मानना था कि यह ट्वीट उत्तर कोरिया के साथ परमाणु युद्ध की संभावना बढ़ाने वाला है।

इससे पहले, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने सोमवार को नववर्ष पर देश को संबोधित करते हुए कहा था कि कोरिया ने परमाणु हथियार बना लिए हैं और इसका उपयोग करने वाला बटन ‘हमेशा’ उनकी डेस्क पर तैयार रहता है। कई उपयोगकर्ताओं ने इस ट्वीट को इस उम्मीद के साथ रिपोर्ट किया था कि युद्ध की धमकी देने संबंधी ट्वीट हालिया हिंसक धमकी के बाद ट्विटर की नई शर्तों का उल्लंघन है।

दिसंबर में, ट्विटर ने ऑनलाइन गाली-गलौज, नफरत की भाषा, हिंसक धमकी और उत्पीडऩ की घटना में कमी लाने के लिए हिंसक और नफरत भरे कंटेंट के प्रति नया नियम लागू किया था।

ट्रंप के ट्वीट के संबंध में मिली प्रतिक्रिया पर कंपनी ने पहले ही स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि कंपनी ने इस संबंध में समीक्षा की और ‘पाया कि इस ट्वीट से अपमानजनक व्यवहार पर ट्विटर के नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है।’

ट्विटर ने कहा, ‘ट्रंप जो (पद) हैं और उनके बयान की योग्यता के अनुसार, उनका पोस्ट जो भी हो, यह नियम उन पर लागू नहीं होता।’ कंपनी ने अपने ब्लॉग में कहा कि वह नेताओं के ट्वीट की समीक्षा उनके राजनीतिक बयान के संदर्भ में करती है, जोकि उनके बारे में बताया है और उसी हिसाब से इसके नियम लागू होते हैं।



\
raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story