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Sri Lanka Economic Crisis : राजपक्षे सरकार का गिरना तय, विपक्ष ने सर्वदलीय कैबिनेट में शामिल होने से किया इनकार
Sri Lanka Economic Crisis: श्रीलंका में अब राजपक्षे सरकार का पतन तय है। सभी कैबिनेट मंत्री इस्तीफा दे ही चुके हैं और विपक्ष ने सर्वदलीय कैबिनेट में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
Sri Lanka Economic Crisis: गहरे आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका में अब राजपक्षे सरकार का पतन तय है। सभी कैबिनेट मंत्री इस्तीफा दे ही चुके हैं और विपक्ष ने सर्वदलीय कैबिनेट में शामिल होने से इनकार कर दिया है। पूर्व ऊर्जा मंत्री और सरकार में गठबंधन दलों में से एक के नेता उदय गम्मनपिला ने तो साफ कह दिया है कि सरकार संसद में अपना बहुमत खो देगी।
गम्मनपिला ने नई कैबिनेट के लिए चार मंत्रियों की नियुक्ति की आलोचना करते हुए कहा : "नई कैबिनेट नई बोतल में पुरानी शराब है। हमारी मांग आवश्यक सेवाओं को बहाल करने और संसदीय चुनाव कराने के लिए एक सर्वदलीय अंतरिम सरकार की है। लोगों को अपना अगला नेता तय करना चाहिए, किसी और के द्वारा नहीं।
विपक्ष को सत्ता सौंपने का आग्रह
एसएलपीपी के एक अन्य सांसद और पूर्व मंत्री निमल लांजा ने कहा है कि सरकार निश्चित रूप से संसद में अपना बहुमत खो देगी क्योंकि 50 से अधिक सांसदों ने स्वतंत्र रूप से निर्णय करने का फैसला किया है। सांसद ने सरकार से विपक्ष को सत्ता सौंपने का आग्रह किया। लांजा ने कहा कि मंगलवार को 50 सांसदों के समूह के हटने के बाद सरकार संसद के कुल 225 सांसदों में से 113 का बहुमत खो देगी।
इस बीच, राजपक्षे सरकार के श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) के मुख्य गठबंधन सहयोगी श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) ने घोषणा की है कि सभी 14 सांसद सरकार छोड़ देंगे और संसद में स्वतंत्र खड़े होंगे। एसएलएफपी सांसद महिंदा अमरवीरा ने मीडिया को बताया कि सरकार छोड़ने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि सरकार ने पिछले छह महीनों में उनके अनुरोधों पर ध्यान नहीं दिया।
दूसरी तरफ सत्ता पक्ष के संसदीय दल की बैठक के बाद सांसद और पूर्व मंत्री महिंदानंद अलुथगामगे ने कहा कि 132 सांसदों ने संसद में सरकार को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया है।
अपने भाई महिंदा राजपक्षे की सरकार में पूर्व रक्षा सचिव रहे गोटाबाया राजपक्षे ने तमिल विद्रोही टाइगर्स के खिलाफ 26 साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 2019 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें 69 लाख से अधिक मतों और दो तिहाई बहुमत के साथ राष्ट्रपति चुना गया था।
श्रीलंका संसद की बैठक आज होने वाली है। अटकलें हैं कि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे इस्तीफा दे सकते हैं क्योंकि अब स्थितियां उनके नियंत्रण से बाहर चली गईं हैं। गुस्साए लोग लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ता जा रहा है।