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Sri Lanka: श्रीलंका के 7 राजनीतिक दलों ने PM मोदी से लगाई मदद की गुहार, चिट्ठी लिखकर की यह मांग

Sri Lanka News Today: भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका के कुल 7 राजनीतिक दलों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख श्रीलंकाई तमिलों से सम्बंधित एक विषय में मदद की मांग की है।

Rajat Verma
Report Rajat VermaPublished By Shreya
Published on: 10 Jan 2022 3:32 PM IST
Sri Lanka: श्रीलंका के 7 राजनीतिक दलों ने PM मोदी से लगाई मदद की गुहार, चिट्ठी लिखकर की यह मांग
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पीएम नरेंद्र मोदी (फोटो साभार- ट्विटर) 

Sri Lanka News Today: भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका के कुल 7 राजनीतिक दलों (Sri Lankan Parties) ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को चिट्ठी लिख श्रीलंकाई तमिलों (Sri Lankan Tamils) से सम्बंधित एक विषय में मदद की मांग की है। दरअसल, सभी 7 दलों ने प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) से गुहार लगाई है कि वह श्रीलंकाई सरकार (Sri Lankan Government) से श्रीलंकाई संविधान (Sri Lankan Constitution) के 13वें संशोधन को पूर्ण रूप से लागू करने को लेकर बात करें।

प्रधानमंत्री से मदद मांगने वाली सभी 7 पार्टियां विशेषकर श्रीलंकाई तमिल समुदाय का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिसके मद्देनज़र सभी दलों का मानना है कि श्रीलंका में तमिलों को उचित जगह और भागीदारी नहीं मिल रही है, जिसका संविधान के 13वें में विशेष ज़िक्र है। इन मांगों के चलते सभी 7 दलों का भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से आग्रह है कि वह श्रीलंकाई सरकार से इस विषय पर बात करें जिससे उनकी समस्या का जल्द से जल्द निराकरण होने के साथ ही संविधान का 13वां संशोधन भी जल्द ही प्रभावी रूप से लागू हो सके।

इन पार्टियों ने लिखी है चिट्ठी

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रीलंका की निम्न राजनीतिक पार्टियों ने लिखा है पत्र- TNA, ITAK, TELo, PLOTE, EPRLF, TMP और TNP। इस पत्र के माध्यम से राजनीतिक दलों ने आज़ादी के बाद से अबतक तमिलों को उचित अवसर और भागीदारी ना मिलने को लेकर लिखा है।

पत्र में इन बातों का जिक्र

साथ ही इस बात का भी ज़िक्र है कि श्रीलंका के ब्रिटेन से आज़ाद होने के बाद तमिलों ने श्रीलंकाई सरकार से उचित प्रकार से सत्ता और अन्य भागीदारी में बंटवारे को लेकर मांग रखी थी, जिसे कि आज तक उचित जगह नहीं मिल पाई है। इसी के साथ श्रीलंकाई संविधान के 13वें संशोधन को लागू ना करके भी तमिलों का हक़ छीना जा रहा है।इन बातों के अलावा चिट्टी में भारत और भारत सरकार (Bharat Sarkar) द्वारा इस मामले में लगातार हर संभव सहायता और सुझाव मिलते रहने के चलते शुक्रिया अदा किया गया है।

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