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श्रीलंका में हाहाकार: आजतक न देखा ऐसा आर्थिक संकट, त्राही-त्राही कर रही जनता

Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। मध्य – पूर्व में हुए स्प्रिंग आंदोलन की तरह यहां भी जनता अब सड़कों पर आ चुकी है और सत्ता में बैठे लोगों से अविलंब कुर्सी खाली करने की मांग कर रही है।

Krishna Chaudhary
Published on: 3 April 2022 11:51 AM IST
outcry in sri lanka
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श्री लंका में हाहाकार (फोटो-सोशल मीडिया)

Sri Lanka Crisis: भयानक आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। मध्य – पूर्व में हुए स्प्रिंग आंदोलन की तरह यहां भी जनता अब सड़कों पर आ चुकी है और सत्ता में बैठे लोगों से अविलंब कुर्सी खाली करने की मांग कर रही है। देश में बिगड़ते हालात को देखते हुए श्रीलंका सरकार ने पूरे देश में 36 घंटे के लिए कर्फ्यू लगा दिया है।

इसके अलावा सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शिकंजा कस दिया है। रविवार को देश में सभी फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और व्हाट्सऐप सहित सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आउट ऑफ सर्विस हो गए। इंटरनेट पर नजर रखने वाली संस्था नेटब्लॉक्स(NetBlocks) ने ये जानकारी दी है।

गुरूवार को भड़की थी हिंसा

बीते गुरूवार को राजधानी कोलंबो में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आधिकारिक आवास के बाहर हजारों की संख्या में लोग प्रदर्शन करने एकत्रित हो गए। ये लोग श्रीलंकाई राषट्रपति का इस्तीफा मांग रहे थे।

इस दौरान पुलिस द्वारा भीड़ को हटाने के लिए बल प्रयोग किया गया, जिससे प्रदर्शन हिंसक हो गया। पुलिस औऱ प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में कम से कम 5 पुलिसकर्मियों समेत 10 लोग घायल हुए। हिंसा के आरोप में 45 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

आपातकाल का ऐलान

श्रीलंका में स्थिति विस्फोटक होते देख राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने आपातकाल का ऐलान कर दिया। राजपक्षे ने कहा कि देश में सुरक्षा और आवश्यक सेवाओं की सप्लाई के रखरखाव के लिए ये निर्णय लिया गया है।

इसके बाद पूरे देश में सुरक्षा बढ़ा दी गई। संवेदनशील जगहों पर सेना की तैनाती कर दी गई। शनिवार को राजधानी कोलंबों में सेना की मौजूदगी में सुपरमार्केट खुले। बाजारों में भारी भीड़ देखी गई। इस दौरान लोग किसी अनहोनी की आशंका के चलते बड़े पैमाने पर सामान खरीदते दिखे।

वहीं हालिया संकट को लेकर अब राजपक्षे सरकार के अंदर से ही बागी स्वर निकलने लगे हैं। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे सरकार को समर्थन दे रहे 11 सियासी दलों ने कैबिनेट भंग कर अंतरिम सरकार बनाने की मांग की है। इनका कहना है कि वर्तमान कैबिनेट बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने में पूरी तरह असफल रही है।

भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ

गृह युध्द के बाद अब आर्थिक संकट में बुरी तरह से घिरे इस अहम पड़ोसी देश की मदद के लिए भारत आगे आया है। ईंधन संकट से जूझ रहे श्रीलंकाई नागरिकों की मदद के लिए भारत ने बड़ी संख्या में फ्यूल टैंकर भेजे हैं।

इसके अलावा अन्न संकट को दूर करने के लिए भारत सरकार वहां लगभग तीन लाख टन चावल भेजेगी। 40 हजार टन चावल की पहले खेप बहुत जल्द श्रीलंकाई सरजमीं पर होगी। भारत की इस मदद को श्रीलंका के राजनेता एवं आम जनता से काफी सराहना मिल रही है।


Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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