Srilanka Economic Crisis: श्रीलंका में अराजकता, पढ़ें ये लेख

Sri lanka Crisis: श्रीलंका में आर्थिक संकट इतना भीषण हो गया है कि कल पूरे मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Written By Dr. Ved Pratap VaidikPublished By Monika
Published on: 6 April 2022 5:16 AM GMT (Updated on: 6 April 2022 8:03 AM GMT)
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गांव और शहर में लाखों लोग सड़कों पर (फोटो : सोशल मीडिया)

Sri lanka Crisis: भारत के दो पड़ौसी देशों, पाकिस्तान और श्रीलंका (Sri lanka) में अस्थिरता के बादल छा गए हैं। पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय का फैसला जो भी हो। श्रीलंका की राजपक्ष भाइयों की सरकार रहे या चली जाए। पर हमारे इन दो पड़ौसी देशों की राजनीति गहरी अस्थिरता के दौर में प्रवेश कर गई है। जहां तक श्रीलंका का प्रश्न है, वहां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य तीन मंत्री एक ही राजपक्ष परिवार के सदस्य हैं। ऐसी पारिवारिक सरकार शायद दुनिया में अभी तक कभी नहीं बनी है।

जब सर्वोच्च पदों पर इतने भाई और भतीजे बैठे हों तो वह सरकार किसी तानाशाह से कम नहीं हो सकती। राजपक्ष-परिवार श्रीलंका का राज-परिवार बन गया। श्रीलंका में आर्थिक संकट इतना भीषण हो गया है कि कल पूरे मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया। सबसे बड़ी बात यह कि जिन चार मंत्रियों को फिर नियुक्त किया गया, उनमें वित्तमंत्री बसील राजपक्ष नहीं हैं। वित्तमंत्री के खिलाफ सारे देश में जबर्दस्त रोष फैला हुआ है, क्योंकि मंहगाई आसमान छूने लगी है।

चावल 500 रु. किलो, चीनी 300 रु. किलो और दूध पाउडर 1600 रु. किलो बिक रहा है। बाजार सुनसान हो गए हैं। ग्राहकों के पास पैसे नहीं हैं। रोजमर्रा पेट भरने के लिए हर परिवार को ढाई-तीन हजार रु. चाहिए। लोग भूखे मर रहे हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि अगले दो-तीन दिन में सरे-आम लूट-पाट की खबरें भी श्रीलंका से आने लगें। पेट्रोल, डीजल और गैस का अकाल पड़ गया है, क्योंकि उन्हें खरीदने के लिए सरकार के पास डॉलर नहीं हैं। लोग अपनी जान बचाने के लिए भाग-भागकर भारतीय आ रहे हैं । श्रीलंका के रिजर्व बैंक के गवर्नर अजीत निवार्ड कबराल ने भी इस्तीफा दे दिया है। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के तीन बड़े आधार हैं। पर्यटन, विदेशों से आनेवाला श्रीलंकाइयों का पैसा और वस्त्र-निर्यात। महामारी के दौरान ये तीनों अधोगति को प्राप्त हो गए। 12 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज चढ़ गया। उसकी किस्तें चुकाने के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है। चाय के निर्यात की आमदनी घट गई, क्योंकि रासायनिक खाद पर प्रतिबंध के कारण चाय समेत सारी खेती लंगड़ा गई।

गांव और शहर में लाखों लोग सड़कों पर उतरे

श्रीलंका को पहली बार चावल का आयात करना पड़ा। 2019 में बनी इस राजपक्ष सरकार ने अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लालच में तरह-तरह के टैक्स घटा दिए और मुफ्त अनाज बांटना शुरु कर दिया। सारा देश विदेशी कर्जे में डूब गया। गांव-गांव और शहर-शहर में लाखों लोग सड़कों पर उतर आए। घबराई हुई सरकार ने विरोधी दलों से अनुरोध किया कि सब मिलकर संयुक्त सरकार बनाएं । लेकिन वे तैयार नहीं हैं। राजपक्ष सरकार ने पहले आपात्काल घोषित किया, संचारतंत्र पर कई पाबंदियां लगाईं और अब उसे कर्फ्यू भी थोपना पड़ा है। भारत सरकार ने श्रीलंका की तरह-तरह से मदद करने की कोशिश की है । लेकिन जब तक दुनिया के मालदार देश उसकी मदद के लिए आगे नहीं आएंगे, श्रीलंका अपूर्व अराजकता के दौर में प्रवेश कर जाएगा।

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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