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अब भारत के लिए चीन की ओर से नया खतरा, श्रीलंका में ड्रैगन समर्थक अनुरा दिसानायके की जीत में छिपा है क्या संकेत

Srilanka New President: दिसानायके को चीन समर्थक माना जाता है और वे कई मौकों पर भारत का विरोध भी कर चुके हैं। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति बनने के बाद श्रीलंका और हिंद महासागर में चीन का दखल और बढ़ेगा।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 23 Sept 2024 12:46 PM IST
अब भारत के लिए चीन की ओर से नया खतरा, श्रीलंका में ड्रैगन समर्थक अनुरा दिसानायके की जीत में छिपा है क्या संकेत
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Srilanka New President Anura Kumara Dissanayake  (photo: social media )

Srilanka New President: श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने हर किसी को हैरान कर दिया है। देश में पहली बार मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की है। मार्क्सवादी जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी के विस्तृत मोर्चे नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के उम्मीदवार 56 वर्षीय दिसानायके श्रीलंका के दसवें राष्ट्रपति होंगे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी समागी जन बालवेगया (एसजेबी) के साजिथ प्रेमदासा को हराकर यह जीत हासिल की है। गोटाबाया राजपक्षे के बाद के पलायन के बाद राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने वाले रानिल विक्रमसिंघे तीसरे नंबर पर रहे। वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे थे।

श्रीलंका के इस चुनाव में दिसानायके की जीत भारत की चिंता बढ़ने वाली साबित हो रही है। दरअसल दिसानायके को चीन समर्थक माना जाता है और वे कई मौकों पर भारत का विरोध भी कर चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद श्रीलंका और हिंद महासागर में चीन का दखल और बढ़ेगा। चीन ने पहले ही श्रीलंका को अपने कर्ज के जाल में फंसा रखा है और अब अपने समर्थक राष्ट्रपति के जरिए वह भारत की मुसीबतें बढ़ाएगा।

दिसानायके का रुख चीन समर्थक और भारत विरोधी

कोलंबो से सांसद दिसानायके नेशनल पीपुल्स पार्टी और जेवीपी पार्टी का नेतृत्व करते हैं। उनका रुख पहले से ही चीन समर्थक रहा है। इसके साथ ही वे कई मौकों पर भारत विरोधी रवैए का इजहार भी कर चुके हैं। श्रीलंका के गृह युद्ध के दौरान भारत और श्रीलंका के बीच हुए शांति समझौते का भी उन्होंने विरोध किया था। इसके साथ ही उन्होंने श्रीलंका में अडानी ग्रुप के 484 मेगावाट के समझौते को रद्द करने की बात भी कही थी। उन्होंने श्रीलंका में चुनाव प्रचार के दौरान देश के लोगों से वादा किया था कि राष्ट्रपति बनने के बाद भी समझौते को रद्द कर देंगे।

मार्क्सवाद और लेनिनवाद की ओर दिसानायके का झुकाव को देखते हुए माना जा रहा है कि वे आने वाले दिनों में भारत विरोधी कदम उठा सकते हैं। दिसानायके की पार्टी को पिछले चुनाव के दौरान सिर्फ तीन फ़ीसदी वोट हासिल हुए थे मगर इस बार उन्होंने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने के साथ श्रीलंका की किस्मत बदलने का वादा करते हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है।

आर्थिक संकट के बावजूद चीन का समर्थन

पिछले कुछ वर्षों से श्रीलंका गहरे आर्थिक संकट में फंसा हुआ है और इस कारण देश के लोगों ने विद्रोही तेवर भी दिखाए थे। श्रीलंका के लोगों ने राष्ट्रपति आवास में घुसकर उस पर कब्जा कर लिया था जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा था। श्रीलंका के इस आर्थिक संकट के पीछे चीन का बड़ा हाथ माना जाता है क्योंकि चीन ने श्रीलंका को कर्ज के जाल में जकड़ रखा है।

इसके बावजूद दिसानायके की पार्टी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में चीन के हस्तक्षेप का समर्थन करती रही है। श्रीलंका के गहरे आर्थिक संकट में फंसने के बाद चीन ने मदद के लिए हाथ भी नहीं बढ़ाया था मगर फिर भी दिसानायके और उनकी पार्टी चीन की वकालत करती रही है। ऐसे में उनकी जीत भारत के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है।

दिसानायके के लिए सरकार चलाना मुश्किल

दिसानायके की पार्टी जेवीपी के पास संसद में सिर्फ तीन सांसदों की ताकत है। इस कारण माना जा रहा है कि अगले दो-तीन महीनों के दौरान देश के संसदीय चुनाव में जाने से पहले दिसानायके के लिए सरकार चलाना मुश्किल काम साबित होगा। जानकारों का मानना है कि जेवीपी के तीन सांसदों में से एक प्रोफेसर हरिनी अमरसूर्या को देश का नया प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है। पिछले 24 वर्षों में संसद में प्रवेश करने के बाद दिसानायके ने सिर्फ दो पदों पर काम किया है और ऐसे में उनका अनुभवहीन होना भी तमाम सवाल खड़े कर रहा है।

चीन की मांग को ठुकराना नामुमकिन

दिसानायके का राष्ट्रपति बनना भारतीय नजरिए से इसलिए भी खतरे का कारण माना जा रहा है क्योंकि चीन की दक्षिणी हिंद महासागर में काफी महत्वाकांक्षाएं हैं और इसके लिए श्रीलंका का मददगार होना जरूरी है। चीन के कर्ज के जाल में फंसा श्रीलंका चीन की किसी भी मांग को अस्वीकार करने की स्थिति में नहीं है और अब तो चीन समर्थक दिसानायका ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत भी हासिल कर ली है।

हिंद महासागर में भारत के लिए खतरा बनेगा चीन

चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट को 99 साल की लीज पर ले रखा है। पिछले साल चीनी सेना का जासूसी जहाज भी इस पोर्ट पर रुका था। भारत ने इस पर आपत्ति जताते हुए कड़ा रुख अपनाया था। अब मान जा रहा है कि चीन हंबनटोटा पोर्ट को अपने सैन्य अड्डे के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। इसके साथ ही चीन ने हिंद महासागर में भारत की गतिविधियों पर निगरानी करने के लिए एक रडार बेस स्थापित करने की योजना भी बना रखी है। इसके जरिए चीन हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की उपस्थिति पर नजर रखने के साथ ही कुडनकुलम और कलपक्कम परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर भी नजर रखने में कामयाब रहेगा।

ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दिसानायके की चीन समर्थक नीति भारत के लिए बड़ा टेंशन पैदा करने वाली साबित होगी। अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि आने वाले दिनों में दिसानायके चीन के मददगार के रूप में क्या भूमिका निभाते हैं।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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