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महिलाओं की आइकन बनीं इसाबेला, ब्लॉगिंग से जमा ली ब्यूटी कंपनी

raghvendra
Published on: 10 Nov 2017 3:37 PM IST
महिलाओं की आइकन बनीं इसाबेला, ब्लॉगिंग से जमा ली ब्यूटी कंपनी
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स्टॉकहोम। स्वीडन की इसाबेला लोवेनग्रिप ने 27 साल की उम्र में ही काफी शोहरत हासिल कर ली है। फैशन व सुंदरता पर केंद्रित उनका ब्लॉग सारी दुनिया में पढ़ा जाता है। इसाबेला ने अपने लाइफस्टाइल ब्लॉग से प्रसिद्धि पाने के बाद स्वीडन की सबसे प्रसिद्ध ब्यूटी कंपनियों में से एक स्थापित की। हालांकि बुलंदी पर पहुंचने के लिए उन्हें तमाम दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा मगर इसाबेला इतने दृढ़ निश्चय वाली थीं कि उन्होंने दिक्कतों से सीख लेते हुए कामयाबी की राह बनाकर ही दम लिया।

ब्लॉग शुरू करने पर उड़ा था मजाक

इसाबेला ने 14 साल की उम्र में अपना ब्लॉग शुरू किया और उस समय मुख्यधारा की मीडिया ने उन्हें बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लिया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक उनका मजाक भी उड़ाया गया मगर इसका इसाबेला पर कोई फर्क नहीं पड़ा। इसाबेला का कहना है कि एक दशक पहले स्वीडन में ब्लॉग की एक लहर थी। वे याद करती हैं कि जब उन्होंने अपना ब्लॉग शुरू किया तो स्वीडन की मीडिया ने हमारा मजाक उड़ाया।

यहां तक कहा गया कि उन किशोर महिलाओं की तरफ देखो जो ब्लॉग से बिजनेस करने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि हमने हार नहीं मानी और मुझे इस पर बहुत गर्व है। उपनाम ब्लोंडिनबेला के तहत वह बहुत जल्दी ही नॉॢडक देशों में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली ब्लॉगर बन गई। आज स्थिति यह है कि लगभग 1.5 मिलियन लोग हर हफ्ते इनकी साइट पर जाते हैं। उनका ब्लॉग में फैशन व सुंदरता पर मुख्य रूप से फोकस रहता है और अब तो फ्रेंच व अरबी भाषा में भी उनके ब्लॉग का अनुवाद होने लगा है।

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पांच साल पहले लॉन्च की ब्यूटी कंपनी

इसाबेला ने 2012 में अपना ब्यूटी ब्रांड लोवेनग्रिप केयर एंड कलर (एलसीसी) लॉन्च किया। इसे पिछले साल स्वीडन में तेजी से बढ़ रही ब्यूटी कंपनी के रूप में मान्यता मिली। इसाबेला का कहना है कि वे खुद को लेखक से ज्यादा व्यापारी मानती हैं। वे मुसीबतों से प्रेरणा लेने वाली महिला हैं और कहती हैं कि उनकी तरक्की इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने अपने राह की दिक्कतों से और आगे बढऩे की प्रेरणा ली।

वैसे वे बिल्कुल बेबाक अंदाज में यह भी कहती हैं कि जब मैं अपने अधिकारियों से बात करती हूं तो मुझे लगता है कि मैं अभी भी काफी बुरा लिखती हूं। किशोरी के रूप में ही उनका बिजनेस की ओर रुझान था और इसका पहला संकेत तब दिखा जब उन्होंने अपने ब्लॉग के लिए विज्ञापन और प्रायोजक ढूंढने शुरू किए। वे अपने मकसद में काफी हद तक कामयाब भी रहीं।

इसाबेला की कंपनी एलसीसी खुद को सौम्य उत्पादों वाली कंपनी बताती है। यह कंपनी फेसियल, क्रीम, मस्कारा, शैंपू और बॉडी लोशन जैसे ब्यूटी प्रोडक्ट बनाती है। कंपनी ने कम समय में कामयाबी की दास्तान लिखी है। कंपनी की कामयाबी का ही नतीजा है कि आज इस कंपनी का नॉॢडक्स, एस्टोनिया और स्विट्जरलैंड में भी विस्तार हो गया है। कंपनी ने पिछले साल 35 मिलियन स्वीडन क्रोना (3.3 मिलियन पाउंड) की बिक्री की है।

कंपनी खड़ा करने का था जुनून

ब्लॉगिंग और कंपनी चलाना बिल्कुल अलग तरह के काम हैं और इसीलिए इसाबेला से हमेशा इस बाबत सवाल पूछे जाते हैं। इस पर उनका जवाब होता है कि कंपनी बनाना मेरा जुनून है। मेरे लिए किसी और का मेकअप या कपड़े पहनना थोड़ा मुश्किल है। मैं सबकुछ बनाना चाहती हूं। वैसे एक बात यह भी है कि इसाबेला की कंपनी एलसीसी और ब्लॉग एक-दूसरे में मजबूती से बंधे हुए हैं। दोनों का स्टॉकहोम में एक ही ऑफिस है और एक ही ऑफिस इसाबेला दोनों काम संभालती हैं। उन्होंने मदद के लिए 40 कर्मचारियों को रखा है।

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प्रोडक्ट पर लेती हैं पाठकों की राय

वे ब्लॉग का इस्तेमाल अपने पाठकों की राय जानने के लिए भी करती हैं। वे अपने पाठकों से अपने उत्पादों और प्रोजेक्ट के बारे में उनकी राय पूछती रहती हैं। इसाबेला के अन्य व्यवसाय भी हैं जिनमें जूतों के ब्रांड, कपड़े का लेबल, एक निवेश कंपनी और व्यक्तिगत वित्त कार्यशालाएं शामिल हैं। उनके समूह को इस साल 75 मिलियन स्वीडिश क्रोना के सेल की उम्मीद है।

इसाबेला मानती हैं कि कॅरियर बनाने में समय और प्रयास से मेरे व्यक्तिगत जीवन पर दबाव पड़ा है। वे अपने उन प्रोजेक्ट्स को लेकर भी बहुत स्पष्ट हैं जो नाकाम रहे हैं, इसमें पारंपरिक इगोबूस्ट पत्रिका जिसने कभी मुनाफा नहीं दिया और बेल्मे उनका पहला ऑनलाइन स्टोर भी शामिल हैं जो उनके बिजनेस बेचने के तुरंत बाद दिवालिया हो गया था। वैसे उनका कहना है कि मैंने गलतियों से काफी सीखा है।

महिलाओं की बनीं आइकन

अपनी कामयाबी के कारण इसाबेला स्वीडन की हजारों महिलाओं के लिए एक आइकन बन गयी हैं। वैसे उनके बारे में लोगों की राय अलग-अलग होती है। उनकी निजी जिन्दगी भी बहुत अच्छी नहीं चल रही। उन्होंने हाल में अपने पति को तलाक दिया है। इसके लिए भी उन्हें आलोचनाएं झेलनी पड़ रही हैं। हालांकि वे कहती हैं कि उनकी लाइफस्टाइल के आधार पर उन्हें जज नहीं किया जाना चाहिए। दो बच्चों की मां इसाबेला के मुताबिक मेरे लिए मेरे बिजनेस और मेरे परिवार के बीच चयन करना जरूरी नहीं है। अगर मैं अपने आप से खुश हूं तो मैं एक बेहतर मां, एक बेहतर सहयोगी और बेहतर लीडर हूं।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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