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आंखों के इशारे से इस बच्चे ने लिख दी किताब, स्टोरी कर देगी इमोशनल
विल्टशायर: 12 साल के एक ऐसे बच्चे ने 'आई कैन राइट' नाम की किताब लिख दी जो न तो बोल पाता है और न ही उसके हाथ काम करते हैं। उस बच्चे का नाम जोनाथन ब्रायन है। यह किताब उसने आंखों के इशारों से लिखी है। वह जन्म से गंभीर सेरेब्रल पाल्सी बीमारी से पीड़ित है। हर वक्त व्हीलचेयर पर रहता है। अपने शरीर को हिला भी नहीं पाता है।
newstrack.com आज आपको जोनाथन ब्रायन की अनटोल्ड स्टोरी के बारे में बता रहा है।
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जन्म के समय मां का हुआ था एक्सीडेंट
जोनाथन ब्रायन की मां चैन्टेल ने बताया कि प्रेगनेंसी के नौवें महीने में वह ऑक्सफोर्ड शायर शहर के पब में लंच करने के लिए कार से जा रही थी। तभी रास्ते में उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया। टक्कर इतनी तेज थी कि चैन्टेल को ब्लीडिंग होने लगी। मौके पर मौजूद लोगों ने उसकी मदद करते हुए उसे हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया। जिसके बाद डाक्टरों ने उसका इलाज शुरू किया।
ऐसे बची थी जोनाथन की जान
डाक्टरों ने चैन्टेल और उसके गर्भ में पल रहे है बच्चे की जान बचाने के लिए तुरंत डिलीवरी कराने का फैसला किया। एक्सीडेंट की वजह से जोनाथन गर्भ के अंदर फंस गया था। जैसे –जैसे टाइम बीत रहा था। वैसे –वैसे डाक्टरों की परेशानी बढ़ती जा रही थी। डाक्टरों ने फौरन सिजेरियन डिलीवरी करने का निर्णय लिया। वे चैन्टेल को लेकर इमरजेंसी की तरफ भागे। डाक्टरों की काफी मशक्कत करने के बाद जोनाथन मां के पेट से बाहर आया। तभी अचानक से जोनाथन की धडकनें बंद हो गई। डाक्टरों ने जोनाथन की हार्ट का आपरेशन किया तब जाकर उसकी जान बच पाई।
डाक्टरों ने घरवालों को बताई बीमारी की बात
जन्म के बाद जोनाथन के हाथ -पांव ठीक ढंग से काम नहीं कर थे। डाक्टरों ने उसकी एमआरआई कराई। रिपोर्ट देखने के बाद डाक्टरों ने जोनाथन के परिवारवालों को बताया कि उन्होंने आज तक इतनी खराब रिपोर्ट किसी भी मरीज की नहीं देखी है। उनके अनुसार दुनिया के किसी मरीज की ये अब तक कि सबसे खराब रिपोर्ट है। उन्होंने ये भी बताया कि जोनाथन अब कभी भी न तो अपने पैरों पर खड़ा हो पायेगा और न ही कुछ देख -सुन और बोल पायेगा। मां के गर्भ में चोट लगने और बच्चे तक ठीक से आक्सीजन न पहुंच पाने के कारण उसे सेरेब्रेल पाल्सी नाम की बीमारी हो गई है। उसे आजीवन व्हील चेयर पर ही रहना होगा।
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स्कूल ने एडमिशन लेने से किया था इनकार
जोनाथन जब थोड़ा बड़ा हुआ। तब उसके घरवालों ने उसका एडमिशन स्पेशल स्कूल (दिव्यांग बच्चों का स्कूल) में कराने का फैसला किया। पैरेंट्स जब बच्चे को लेकर स्कूल में गये तो वहां टीचर्स ने बच्चे को ये कहते हुए एडमिशन लेने से मना कर दिया कि वह न तो चल सकता है और न ही कुछ देख –सुन और बोल सकता है। ऐसे बच्चे को नहीं पढ़ाया जा सकता है। इसलिए वे ऐसे बच्चे को अपने यहां एडमिशन नहीं दे सकते है।
मां ने बच्चे को पढ़ाने के लिए इस तकनीक का लिया सहारा
जोनाथन के पिता क्रिस्टोफर टीचर्स की बात सुनकर निराश हो गये। लेकिन उसकी मां चैन्टेल ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने बच्चे को घर पर ही पढ़ाने का फैसला किया। उन्होंने अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए ‘ई-ट्रेन फ्रेम’ नाम की तकनीक का सहारा लिया। ई-ट्रेन फ्रेम कलर कोडिंग सिस्टम वाला चौकोर पारदर्शी प्लास्टिक बोर्ड होता है। शरीर से लाचार व्यक्ति इस पर बने चित्रों या शब्दों को आंखों के इशारों से बताता है। इसी तरह वह पूछे गए सवालों के जवाब दे सकता है। इस तरह 9 साल की उम्र में जोनाथन की पढ़ाई घर पर ही शुरू हो गई। जोनाथन कुछ शब्दों का उच्चारण करना सीख गया। इसके बाद ई-ट्रेन फ्रेम की मदद से वह लोगों से बात करने लगा।
किताब लिखने में लगे एक साल
जोनाथन की मां ने बताया, "हम उसकी आंखों की तरफ देखते, वह आंखों के इशारों से जो बताता है, उसे लिख लिया जाता। सीखने के दौरान उसने ईश्वर में अपने विश्वास की बात बताई, जो उसके जीवन का अहम हिस्सा थी।" मां ने बताया कि यह किताब लिखने में एक साल लगे। फिलहाल इस किताब से दूसरों को भी प्रोत्साहित करने की योजना है। इसके अलावा इसकी बिक्री से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल ई-ट्रेन फ्रेम एजुकेशन सिस्टम को बढ़ावा देने में किया जाएगा।