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अमेरिका में छात्रों और अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ता स्टूडेंट लोन

seema
Published on: 18 Jan 2019 1:19 PM IST
अमेरिका में छात्रों और अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ता स्टूडेंट लोन
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वाशिंगटन। अमेरिका में करीब 4.4 करोड़ नागरिक स्टूडेंट लोन के नीचे दबे हुए हैं। स्टूडेंट लोन की कुल रकम 1,500 अरब डॉलर है। अमेरिका में इससे ज्यादा कर्ज सिर्फ मोर्टगेज सेक्टर में फंसा है। अमेरिका में कुल कर्ज का सात फीसदी हिस्सा स्टूडेंट लोन का है। इसके अलावा 64.2 अरब डॉलर का प्राइवेट स्टूडेंट लोन भी है जो बैंकों और अन्य संस्थाओं ने दिया है। अमेरिका के केंद्रीय संघीय बैंक, फेडरल रिजर्व ने जून 2018 में एक शोध किया था जिसके मुताबिक अमेरिका में पढऩे वाले सभी छात्रों में से 42 फीसदी कर्ज के नीचे दबे हुए हैं। 20 साल के छात्रों पर ही औसतन 25,000 डॉलर का कर्ज चढ़ा हुआ है।

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जिन छात्रों ने 2016 में पढ़ाई शुरू की, उन पर औसतन 37,000 डॉलर का कर्ज चढ़ा हुआ है। अमेरिकन काउंसिल ऑन एडुकेशन के डायरेक्टर जॉन फैनस्मिथ के मुताबिक कर्ज में दबने वाले छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है। 2018 के पतझड़ तक दो करोड़ छात्रों ने अमेरिका की यूनिवर्सिटियों में दाखिला लिया। सन 2000 में ऐसे छात्रों की संख्या 1.5 करोड़ थी। जॉब मार्केट की वजह से ऊंची डिग्री लेना जरूरी होता जा रहा है। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक 2020 तक 65 फीसदी नौकरियां उन्हीं को मिलेंगी, जिनके पास कम से कम स्नातक की डिग्री हो। सरकारी कॉलेज में अब चार साल की पढ़ाई का औसत खर्च 20,000 डॉलर है और प्राइवेट कॉलेज में 50,000 डॉलर। कर्ज लेने वाले छात्रों को औसतन हर महीने 351 डॉलर की किस्त भरनी पड़ती है। यह किस्तें दशकों तक चलती हैं। ज्यादातर छात्र दो साल बाद ही किस्त भरने में नाकाम हो जाते हैं और लोन डिफॉल्टरों की श्रेणी में आ जाते हैं।

स्टूडेंट लोन के 90 फीसदी मामलों में राज्य कर्ज देता है, यानी कर्जदाताओं के पैसे से स्टूडेंट लोन दिया जाता है। लेकिन कर्ज न चुका पाने वाले छात्रों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही है, उससे वित्त विशेषज्ञ चिंता में हैं। ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट के मुताबिक 2023 तक करीब 40 फीसदी छात्र कर्ज चुकाने में नाकाम हो जाएंगे। हो सकता है कि विशाल कर्ज के डूबने से 2008 की मंदी जैसे हालात पैदा हों।

अमेरिकी मीडिया में अब स्टूडेंट लोन की तुलना 2008 में डूबे लेमन ब्रदर्स इनवेंस्टमेंट बैंक से हो रही है। लेमन ब्रदर्स इनवेस्टमेंट बैंक के डूबने के साथ ही अमेरिका में मंदी शुरू हुई और फिर पूरी दुनिया उसकी चपेट में आ गई। अमेरिकी बिजनेस चैनल सीएनबीसी स्टूडेंट लोन को कभी भी फूटने वाला बुलबुला बता रहा है। फॉक्स न्यूज और मार्केट वॉच इसे संकट बता रहे हैं।

अमेरिका की मौद्रिक नीति तय करने वाले फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल अमेरिकी संसद से कह चुके हैं कि युवाओं का कर्ज में डूबना देर सबेर अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा। युवाओं के पास घर और कार खरीदने का पैसा नहीं होगा। वे खरीदारी करने में भी हिचकिचाएंगे।

पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन ने छात्रों को राहत देने के लिए कर्ज माफी का कार्यक्रम चलाया था। इसके तहत पढ़ाई के बाद सरकारी नौकरी करने वाले छात्रों का लोन माफ किया गया लेकिन अमेरिकी शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल में कर्ज माफी की 99.5 फीसदी अर्जियां खारिज कर दी गईं। ट्रंप प्रशासन इस प्रोग्राम को खत्म करना चाहता है।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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