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इमरान खान सरकार कर रही शिक्षा का इस्लामीकरण

पाकिस्तान की इमरान खान सरकार पूरे देश में शिक्षा का इस्लामीकरण की योजना बना रही है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Ashiki
Published on: 27 May 2021 5:46 PM IST (Updated on: 28 May 2021 2:25 PM IST)
Imran Khan
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इमरान खान (Photo-Social Media) 

लखनऊ: पाकिस्तान की इमरान खान सरकार पूरे देश में शिक्षा का इस्लामीकरण की योजना बना रही है। सरकार का इरादा प्राइमरी स्कूल के लेवल से ही इस्लाम और कुरान की पढ़ाई शुरू करने का है।

इमरान खान सरकार की योजना में पहले दौर में पहली से पांचवीं तक की क्लास वाले प्राइमरी स्कूलों को शामिल किया जाएगा। हर स्कूल और कॉलेज को इस्लामिक शिक्षा के विषय पढ़ाने के लिए एक हाफिज और एक कारी अपने यहां रखना होगा। सरकार की योजना का नतीजा से स्कूलों और विश्वविद्यालयों के इस्लामीकरण के रूप में सामने आएगा क्योंकि इससे मौलवियों का असर बढ़ेगा, फिरकापरस्ती तेज होगी और सामाजिक ताना-बाना खराब होगा।

इमरान खान की पार्टी तहरीक ए इंसाफ ने 2018 के चुनाव में पूरे देश में एक जैसी शिक्षा व्यवस्था लागू करने का वादा किया था। तब बहुत से लोगों को उम्मीद थी कि नयी व्यवस्था विज्ञान, कला, साहित्य और अन्य समकालीन विषयों पर जोर देगी, लेकिन 2019 में जब सरकार ने नई योजना जारी की तो पता चला कि सबसे ज्यादा जोर इस्लाम पर है।

अंग्रेजी तक का इस्लामीकरण

इमरान सरकार की नई योजना में उर्दू, अंग्रेजी और सोशल स्टडीज का भारी इस्लामीकरण किया गया है। इसके अनुसार, बच्चे कुरान के 30 अध्याय और बाद में किताब का पूरा अनुवाद पढ़ेंगे। साथ ही अन्य इस्लामिक किताबें भी पढ़ाई जाएंगी। ये योजना कहती है कि बच्चे पूरी कुरान अनुवाद के साथ पढ़ें, इस्लामिक प्रार्थनाएं सीखें और हदीस याद करें।

दरअसल, पाकिस्तान बनने के बाद से सरकार और इस्लामिक कट्टरपंथियों में एक रिश्ता रहा है। देश का इस्लामीकरण 50 और 60 के दशक में शुरू हो गया था लेकिन 70 के दशक में इसने रफ्तार पकड़ी और 1980 में जिया उल हक की तानाशाही में यह अपने चरम पर पहुंच गया। जिया उल हक ने इस्लामिक कानून लागू किए, पढ़ाई का इस्लामीकरण किया, देशभर में हजारों मदरसे खोले, न्याय व्यवस्था, प्रशासन और सेना में इस्लामिक सोच के लोगों को भरा और ऐसे संस्थान बनाए जहां से मौलवी सरकार के काम काज पर नजर रख सकते थे। जिया उल हक की 1988 में मौत हो गयी लेकिन उनके बाद से हर सरकार ने इस्लामिक ताकतों को खुश रखने की कोशिश ही की है।

इसी साल लागू हो जायेगी योजना

इमरान खान की एजुकेशन पालिसी इस साल शुरू होने की संभावना है। प्राथमिक स्कूलों की किताबें छप भी चुकी हैं। अब ये तय है कि सरकारी स्कूलों में इस्लाम की पढ़ाई मदरसों से भी ज्यादा हुआ करेगी।

कुछ लोगों ने इन बदलावों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी है। सरकार का समर्थन कर रही मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पार्टी भी इस्लामीकरण के खिलाफ है। पाकिस्तान में कट्टरपंथ के आलोचकों का कहना है कि धर्मनिरपेक्षता और विज्ञान को बढ़ावा देने के बजे सरकार देश, बच्चों और युवाओं को बरसों पीछे धकेल रही है। लोगों का कहना है नई शिक्षा योजना से कट्टरपंथी, रुढ़िवादी और संकुचित सोच ही पनपेगी जो समाज के लिए घातक सिद्ध होगी।



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Ashiki

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