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Superbugs: सावधान! सुपरबग ले लेगा एक करोड़ लोगों की जानें

Superbugs: 2023 शुरू होते ही "सुपरबग" ने चिंता बढ़ा दी है। आशंका है कि ये पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले सकता है। इसके कारण हर साल 1 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 2 Jan 2023 9:26 PM IST
Superbug Case In America
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Superbug Case In America। (Social Media)

Superbugs: 2023 शुरू होते ही "सुपरबग" ने चिंता बढ़ा दी है। ये सुपरबग अमेरिका में इंसानों के बीच तेजी से फैल रहा है और आशंका है कि ये पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले सकता है। ये जान लीजिए कि सुपरबग वह स्थिति है जब मरीज के शरीर में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट के खिलाफ दवा बेअसर हो जाती है।

सुपरबग से हर साल 1 करोड़ लोगों की हो सकती है मौत

मेडिकल जर्नल लांसेट में प्रकाशित एक स्टडी बताती है कि अगर ये सुपरबग इसी रफ्तार से फैलता गया तो इसके कारण हर साल 1 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है। सुपरबग के चलते फिलवक्त ही दुनिया भर में हर साल 13 लाख लोगों की जान जा रही है। लांसेट की स्टडी में खुलासा हुआ है कि सुपरबग पर एंटीबायोटिक और एंटी-फंगल दवाएं भी असर नहीं करती हैं। दरअसल, सुपरबग बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट का स्ट्रेन है। होता ये है कि जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या पैरासाइट्स समय के साथ बदल जाते हैं या म्यूटेट हो जाते हैं तो उन पर दवा असर करना बंद कर देती है। इस तरह की प्रतिरोधक क्षमता पैदा होने के बाद उस संक्रमण का इलाज काफी मुश्किल हो जाता है।

2019 में दुनिया भर में 1.27 मिलियन लोगों की जान: लैंसेट

लैंसेट का अनुमान है कि जीवाणुरोधी प्रतिरोध ने 2019 में दुनिया भर में 1.27 मिलियन लोगों की जान ले ली। यूके सरकार और वेलकम ट्रस्ट के शोध के अनुसार, 2050 तक यह 10 मिलियन तक हो सकती है। हालांकि कम संसाधन वाले देशों में सबसे अधिक असर होता है लेकिन अमेरिका में भी में रोगाणुरोधी प्रतिरोध बहुत आम है।

एंटीबायोटिक का बेजा इस्तेमाल

किसी भी एंटीबायोटिक के अधिक अथवा बेवजह इस्तेमाल से बैक्टीरिया, वायरस या फंगस प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर लेते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मामूली वायरल संक्रमण में एंटीबायोटिक लेते रहने पर सुपरबग बनने के अधिक आसार रहते हैं।

कोरोना महामारी के बीच सुपरबग की वजह से हो रही मौतों पर लांसेट ने की स्टडी

कोरोना महामारी के बीच सुपरबग की वजह से हो रही मौतों पर लांसेट ने स्टडी की है। रिपोर्ट के अनुसार 2021 में आईसीएमआर ने 10 अस्पतालों में अध्ययन किया और पाया कि कोरोना वायरस के बाद से लोग ज्यादा एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करने लगे हैं। कोरोना से संक्रमित होने वाले लगभग 50 फीसदी से ज्यादा मरीजों को इलाज के दौरान या बाद में बैक्टीरिया या फंगस के कारण इन्फेक्शन हुआ और उनकी मौत हो गई। स्टडी के अनुसार दुनिया में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल इसी रफ्तार में बढ़ता रहा तो मेडिकल साइंस की सारी तरक्की शून्य हो जाएगी।

भारत में स्थिति इस लिए चिंताजनक है क्योंकि यहां एंटीबायोटिक तक लोगों की बहुत आसान पहुंच है। लोग अपने आप ही अपना इलाज करने लगते हैं और एंटीबायोटिक दवाएं इस्तेमाल करते हैं। यही कारण है कि धीरे धीरे एंटीबायोटिक भी असर करना बंद कर देती हैं।



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Deepak Kumar

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